नैनीताल- कुमाऊं कमिश्नर ने 700 करोड़ के प्लान में किया बदलाव, सीएम कर चुके है घोषणा
सूखाताल से नैनी झील को 20 से 40 प्रतिशत पानी मिलता है लेकिन सराकरों की उपेक्षा की वजह से नैनीझील का यह कैचमेंट एरिया सूखता जा रहा है। इस ताल को पुनर्जीवित करने की योजनाएं तो ज़रूर तैयार की गईं लेकिन ज़मीन पर काम एक इंच भी नहीं किया जा सका है। पिछले सालों में कई अधिकारियों के दौरों के बाद अब कुमाऊं कमिश्नर ने भी सूखाताल का निरीक्षण किया और जल्द ही सूखाताल पुनर्जीवन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए है। हालांकि पहले भी कई कमिश्नर यहां का दौरा कर चुके हैं और 700 करोड़ रुपये का प्लान तैयार कर शासन को भेजा जा चुका है।
क्या है नया प्लान
दरअसल सूखाताल झील को पुनर्जीवित करने की मुख्यमंत्री घोषणा कर चुके हैं। इसके लिए सिंचाई विभाग ने 700 करोड़ रुपये का प्लान तैयार किया है। लेकिन अब कमिश्नर कुमाऊं ने इसमें बदलाव किया है। झील के निरीक्षण के दौरान मीडिया से बातचीत में कमिश्नर कुमाऊं और मुख्यमंत्री के सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने कहा कि सूखाताल को पर्यटन के लिए विकसित करने के साथ भूजल स्तर बढ़ाने के लिए काम किया जाना है।

इसमें सिंचाई विभाग को इस झील को जलाशय के रुप में बनाने को कहा गया है और केएमवीएन इस पर पर्यटन विकास के लिए काम करेगा। ह्यांकी ने कहा कि झील का स्वरूप ऐसा होना चाहिए कि यहां पर पर्यटन गतिविधियां हो ताकि नैनीताल मालरोड़ से पर्यटकों को यहां लाया जा सके और रुसी बाइपास से सीधे यहां तक पर्यटक आ सकें। पर्यटन व सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि सभी प्लान 15 दिन में पूरा कर दें ताकि शासन को समय पर भेजा जा सके।
हाईकोर्ट के आदेश का भी नहीं पालन
बता दें कि सूखाताल झील को पुनर्जीवित करने की सरकार ने तो घोषणा की ही है इसके साथ ही हाईकोर्ट का भी इस बारे में आदेश है। हाईकोर्ट ने झील से अतिक्रमण हटाने के भी निर्देश जारी किए थे हालांकि अब तक प्रशासन ने 60 से ज्यादा अतिक्रमण को चिन्हित तो कर लिया है लेकिन हटाया नहीं है। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के आदेश के तहत सूखाताल को फिर से झील का स्वरूप देना होगा और जो झील में आने वाले जो नाले गायब कर दिए गए हैं, उन्हें भी झील में जोड़ना होगा। अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होता है तो कोर्ट आदेश की अवमानना मानी जाएगी।
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