नैनीताल-(बड़ी खबर)-चारधाम देवस्थानम एक्ट पर सरकार को बड़ी राहत, कोर्ट ने दिया ये फैसला

नैनीताल-चारधाम देवस्थानम एक्ट पर लगी याचिका को नैनीताल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस मामले में उत्तराखंड सरकार को बड़ी राहत मिली है। इससे पहले कोर्ट इस मामले में 29 जून से प्रतिदिन सुनवाई कर रहा था। जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी
 | 
नैनीताल-(बड़ी खबर)-चारधाम देवस्थानम एक्ट पर सरकार को बड़ी राहत, कोर्ट ने दिया ये फैसला

नैनीताल-चारधाम देवस्थानम एक्ट पर लगी याचिका को नैनीताल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस मामले में उत्तराखंड सरकार को बड़ी राहत मिली है। इससे पहले कोर्ट इस मामले में 29 जून से प्रतिदिन सुनवाई कर रहा था। जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई हुई थी।

नैनीताल-(बड़ी खबर)-चारधाम देवस्थानम एक्ट पर सरकार को बड़ी राहत, कोर्ट ने दिया ये फैसला

यह भी पढे़ हल्द्वानी-पालम सिटी कंटेनमेंट जोन से मुक्त, अब यहां लगी बैरिकेडिंग

यह भी पढे़ हल्द्वानी-ठग से भी तेज निकला ये युवक, ओएलएक्स पर 1.20 लाख की चपत लगने से ऐसे बचा

यह भी पढे़👉 हल्द्वानी- गुलदार के दहशत से सहमा हल्द्वानी, अब महर्षि स्कूल तक पहुंचे कदम

सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया था कि प्रदेश सरकार की ओर से चारधाम के मंदिरों के प्रबंधन को लेकर लाया गया देवस्थानम बोर्ड एक्ट असांविधानिक है। देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से सरकार का चारधाम व 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन लेना संविधान के अनुच्छेद 25, 26 व 32 का उल्लंघन है और यह जनभावनाओं के विरुद्ध है। कहा था कि इसमें मुख्यमंत्री को भी शामिल किया गया है, जबकि सीएम का कार्य तो सरकार चलाना है और वे जनप्रतिनिधि हैं, उन्हें इस बोर्ड में रखने का कोई औचित्य नहीं है।

कहा था कि मंदिर के प्रबंधन के लिए पहले से ही मंदिर समिति का गठन हुआ है। जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार ने पूछा था कि क्या यह एक्ट असांविधानिक है। इसके जवाब में सरकार ने कहा कि एक्ट बिल्कुल भी असांविधानिक नहीं है और न ही इससे संविधान के अनुछेद 25, 26 और 32 का उल्लंघन होता है। राज्य सरकार ने एक्ट को बड़ी पारदर्शिता से बनाया है। मंदिर में चढऩे वाला चढ़ावे का पूरा रिकार्ड रखा जा रहा है, इसलिए यह याचिका निराधार है और इसे निरस्त किया जाए।