बहुत ही खूबसूरत है उत्तराखंड का श्रीनगर, जानिए इन हसीन वादियों का क्या है इतिहास

श्रीनगर-न्यूज टुडे नेटवर्क : उत्तराखंड का श्रीनगर लंबे समय से अपने धार्मिक इतिहास के लिए जाना जाता है। श्रीनगर गढ़वाल शहर बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसा है। यह शहर चारों ओर लेह घाटियों से घिर हुआ है, इस शहर की प्रकृति की लुत्फ अलकनंदा नदी के किनारे उठाया जा सकता है। आपको बता दें कि
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बहुत ही खूबसूरत है उत्तराखंड का श्रीनगर, जानिए इन हसीन वादियों का क्या है इतिहास

श्रीनगर-न्यूज टुडे नेटवर्क : उत्तराखंड का श्रीनगर लंबे समय से अपने धार्मिक इतिहास के लिए जाना जाता है। श्रीनगर गढ़वाल शहर बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसा है। यह शहर चारों ओर लेह घाटियों से घिर हुआ है, इस शहर की प्रकृति की लुत्फ अलकनंदा नदी के किनारे उठाया जा सकता है। आपको बता दें कि देश में एक और श्रीनगर नाम का पर्यटन गंतव्य है जो पहाड़ी खूबसूरती और हसीन वादियों के मामले में जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से कम नहीं। यह खूबसूरत गंतव्य उत्तराखंड राज्य में स्थित है जो बद्रीनाथ जाने के रास्ते के दौरान पड़ता है। अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के साथ-साथ इस शहर का अपना अलग गौरवशाली इतिहास रहा है। बता दें भारत में कई वर्तमान पहाड़ी शहर हैं जो भारत में अंग्रेजों के आगमन के बाद विकसित हुए, श्रीनगर भी उन्हीं नगरों में शामिल है। पहाड़ी ऊंचाई पर बसे इस स्थल पर देखने योग्य कई खूबसूरत दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। मैदानी इलकों की चिपचिपाती गर्मियों बीच यह कम दूरी पर स्थित एक आरामदायक स्थल है।

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श्रीनगर का संक्षिप्त इतिहास

उत्तराखंड का श्रीनगर कभी गढ़वाल के पंवार वंश का राजधानी शहर और एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र हुआ करता था। कहते हैं कि प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेलने के बाद भी इस शहर ने अपना अस्तित्व नहीं खोया। आज भी आप यहां पंवार राजवंश से जुड़े ऐतिहासिक साक्ष्यों को देख सकते हैं। पंवार राजाओं के शासनकाल के दौरान यहां कई महत्वपूर्ण चीजों विकसित की गईं थी। यहां मौजूद प्राचीन मंदिर इस पहाड़ी स्थल के एक अलग धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं को सामने रखने का काम करते हैं। इस शहर का अपना पौराणिक महत्व भी है, माना जाता है यह स्थल आदी शंकराचार्य से जुड़ा रहा है।

पौराणिक किवदंतियां

इस शहर का जिक्र पौराणिक लेखों में भी मिलता है, जानकारी के अनसुार इसका उल्लेख श्री क्षेत्र के नाम से किया गया है। श्री क्षेत्र यानी भगवान शिव की पसंद। प्रचलित किवदंतियों के अनुसार महारजा सत्यसंग को कठोर तपस्या के बाद श्री विद्या हासिल हुई थी, जिसके बाद उन्होंने इस विद्या से कोलासुर राक्षस का वध किया था। शहर की पुर्नस्थापना के लिए विशेष यज्ञ का आयोजन किया गया था। श्री विद्या के ही कारण इसका नाम श्रीपुर भी पड़ा। बाद में गढ़वाल के शासक अभय पाल ने इस शहर को अपनी राजधानी बनाया। 1803 के गौरखा आक्रमण तक गढ़वाल के शासकों यहां राज रहा। बाद ब्रिटिश काल के दौरान इस शहर का महत्व काफी खत्म हो गया। गढ़वाल का मुख्यालय बाद में पौड़ी को बना दिया गया था।

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अलकनंदा नदी मुख्य आकर्षण

ऐतिहासिक महत्व के अलावा अगर इस शहर के पर्यटन बिंदुओं पर नजर डालें तो पता चलता है कि यह शहर प्राकृतिक दृष्टि से काफी ज्यादा उन्नत है। एक शानदार अवकाश बिताने के लिए यह एक शानदार जगह है। हालांकि अभी भी बहुत लोग इस आकर्षक स्थल से बेखबर हैं लेकिन आप यहां खासकर गर्मियों के समय सैलानियों आराम फरमाते देख सकते हैं। यहां बहती अलकनंदा नदी और पहाड़ी घाटियां यहां का मुख्य आकर्षण हैं। मौसम यहां का सालभर खुशनुमा रहता है। सर्दियों में आप यहां हल्की बर्फवारी का आनंद ले सकते हैं। आप यहां इस दौरान बादलों को काफी नजदीक महसूस करेंगे। इसके अलावा आप यहां से बद्रीनाथ, केदारनाथ, कोटद्वार, ऋषिकेश, टिहरी गढ़वाल आदि स्थानों के लिए भी जा सकते हैं।

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पक्षी और वन्य जीव विहार

गढ़वाल का एक अच्छा खासा वन्य क्षेत्र श्रीनगर की सीमाओं के करीब फैला है। यहां के वृक्ष आपको ज्यादातर पीपल, कचनार, तेजपत्ता, सिसम, आदि दिखेंगे। आप यहां वन्य जीवों को भी देख सकते हैं। श्रीनगर के आसपास आप तेंदुआ, जंगली बिल्ली, चीता, गीदड़, सांभर, गुराल आदि जानवरों को देख सकते हैं। इसके अलावा यह क्षेत्र 400 से अधिक पक्षी प्रजातियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करने का काम करता है। आप यहां पक्षियों में काला सिर वाली पक्षी, कस्तूरिका, बुलबुल, गुलाबी मिनिवेट, हंसोड़ सारिका, कठफोड़वा, निली मक्खी पकडऩे वाले पक्षी देख सकते हैं। प्रकृति के करीब ये सारे अनुभव आपको काफी रोमांचक अनुभूति प्रदान करेंगे।

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स्थानीय आकर्षण- मंदिरों के दर्शन

प्राकृतिक खूबसूरती के अलावा यहां के धार्मिक स्थान भी पर्यटकों का काफी ज्यादा ध्यान खींचते हैं। यहां आपको उत्तराखंड की विशिष्ट शैली देखने को मिलेगी। मंदिर का निर्माण पत्थरों के टुकड़े काटकर हुआ है। इसके अलावा आप यहां के जैन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर जैनों के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। यहां की वास्तुकला देखने लायक है।

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सिद्धेश्वर मंदिर : इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि जब देवता असुरों से युद्ध में परास्त होने लगे तो भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की आराधना की और 1,000 कमल फूल उन्हें अर्पित किए। भगवान विष्णु की भक्ति से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया था, जिससे उन्होंने असुरों का विनाश किया।
सिद्धेश्वर मंदिर

केशोराय मठ : शंकरमठ की तरह ही यह पत्थरों के टुकड़ों से बना है।1682 में केशोराय द्वारा बनवाया गया था। 1864 की बाढ़ में श्रीनगर शहर के डूब जाने के साथ-साथ यह मन्दिर भी पूरी तरह से रेत में दब गया था। मन्दिर का एक चौथाई आधारतल खिसकने तथा मन्दिर का ऊपरी हिस्सा ध्वस्त हो जाने के बाद भी यह मन्दिर अड़िग खड़ा है।

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हेमकुंड साहिब : उत्तराखंड के चमोली जनपद में सात पर्वतों के बीच बसा हेमकुंड गुरुद्वारा अद्भुत है। यह 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मान्यता है कि इसी स्थान पर सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी। यहां पूरे साल देश-विदेश के लोग मत्था टेकने आते हैं।
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जैन मंदिर : 1894 की बाढ़ के बाद पारसनाथ जैन मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया थ। मंदिर का निर्माण 1925 में प्रताप सिंह एवं मनोहर लाल की पहल पर हुआ था।1970 में प्रसिद्ध जैन मुनि श्री विद्यानंदजी यहां आकर कुछ दिनों तक ठहरे थे।

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कैसे करें प्रवेश

श्रीनगर आप परिवहन के तीनों साधनों के माध्यम से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार और देहरादून है। हवाई मार्ग के लिए आप देहरादून स्थित जॉली ग्रांट हवाईअड्डे का सहारा ले सकते हैं। अगर आप चाहें तो श्रीनगर सडक़ मार्गों से भी पहुंच सकते हैं, दिल्ली, हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग आदि गंतव्यों से आपको आसानी से बस सेवा मिल जाएंगी।