राजस्थान (जयपुर) के सबसे खूबसूरत मुख्य पर्यटन स्थल , जहां लगी रहती हैं हमेशा पर्यटकों की भीड़

राजस्थान (जयपुर) –अगर आपको प्राचीन महलों और शाही जीवनशैली को करीब से देखने की लालसा रखते हैं तो आप राजस्थान का भम्रण जरूर करें। ये भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। यहां कई राजा-महाराजाओं के किले हैं जिनमें उनके इतिहास छिपे हैं। कला-संस्कृति और विशेषकर वास्तुकला में दिलचस्पी रखने वालो को यहां
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राजस्थान (जयपुर) के सबसे खूबसूरत मुख्य पर्यटन स्थल , जहां लगी रहती हैं हमेशा पर्यटकों की भीड़

राजस्थान (जयपुर) –अगर आपको प्राचीन महलों और शाही जीवनशैली को करीब से देखने की लालसा रखते हैं तो आप राजस्थान का भम्रण जरूर करें। ये भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। यहां कई राजा-महाराजाओं के किले हैं जिनमें उनके इतिहास छिपे हैं। कला-संस्कृति और विशेषकर वास्तुकला में दिलचस्पी रखने वालो को यहां जरूर आना चाहिए। पूरे राजस्थान में कई ऐसे शहर हैं जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। यहां की संस्कृति और भव्य इमारतों को देखने के लिए सिर्फ देशभर से ही नहीं बल्कि विश्वभर से सैलानी आते हैं। ऐसे में अगर आप भी कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं तो राजस्थान के इन खूबसूरत शहरों में जरूर जाएं।

राजस्थान (जयपुर) के सबसे खूबसूरत मुख्य पर्यटन स्थल , जहां लगी रहती हैं हमेशा पर्यटकों की भीड़

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राजस्थान का राजमहल प्राचीन भारतीय भवन निर्माण कला को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। पुरुषों की वेशभूषा, रंगीन पगड़ी तथा बड़ी बड़ी मूछें उनकी वीरता की पहचान है। स्त्रियों के चमकीले रंगीन का आगरे भी उनकी अलग ही पहचान है। उनके सर से पैर तक पहने वाले राजस्थानी के जेवर अनोखी पहचान रखते हैं। इसलिए राजस्थान में जाने वाले पर्यटन यह सब खरीदते हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का सातवां राज्य है। इस मरुस्थलीय राज्य में जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर जैसे कई ऐतिहासिक शहर है, जहां अभी भी पुराने किले महान एवं अन्य इमारत हैं।

जयपुर, पिंक सिटी

जयपुर को गुलाबी नगरी भी कहा जाता है। यहां देखने लायक कुंतलगढ़, जयगढ़. जंतर-मंतर और नाहरगाढ़ किला है। इनके अलावा यहां हवामहल भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है। इस महल में 360 खिड़कियां हैं जिस वजह से यहां बिना एयर कंडीशनर के ही काफी ठंडी हवा आती है। पिंक सिटी के नाम से मशहूर जयपुर राजस्थान की राजधानी है। जयपुर अपनी वास्तुकला के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यहां कला, संस्कृति और सभ्यता का अनोखा संगम देखने को मिलता है। जयपुर जिस स्थान पर आज ही या शहर स्थित है वहां पहले सूखी झील का मैदान था। यह मैदानी भाग तीन दिशाओं में अरावली पर्वत श्रृंखला द्वारा गिरा हुआ था। राजस्थान रमन हेतु आए पर्यटकों में जयपुर का विशेष आकर्षण रहा है। 18 नवंबर सन 1727 में सवाई राजा जयसिंह ने इस शहर को बसाया था। उन्हीं के नाम पर शहर का नाम जयपुर पड़ा है। महाराजा जयसिंह के राजदरबार में एक बांग्लाभाषी वास्तुकार द्वारा इस नगर की सुनियोजित रूपरेखा तैयार की गई और उसी आधार पर इस नगर को बसाया गया। 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग का कर दिया गया था, तब से आज तक जयपुर अपने गुलाबी योवन को संभाले हुए हैं।

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जयपुर दर्शनीय स्थल : कुंतलगढ़, जयगढ़, जंतर-मंतर और नाहरगढ पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं। 360 खिड़कियों वाला महल, हवामहल यहां वातानुकुलित मशीन के बिना भी ठंडी हवा खाई जा सकती है, नगर प्रसाद राजस्थानी एवं मुगल स्थापत्य शैली में बना है। इसका नाम चंद्रमहल भी है। गोविंद जी का मंदिर, जयपुर का जादूगर और जलमहल है। इस महान में कुल 5 मंजिले है। चार झील के पानी में डूबी रहती है। सिसोदिया रानी का बाग, मोतीमहल आदि अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल है।

जयगढ़ किला : जयगढ़ का किला, महाराजा जय सिंह ने 18 वीं सदी में बनवाया था। यह किला जयपुर में अरावली की पहाडय़िों पर चील का टीला पर स्थित है। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से पूरा जयपुर शहर देखा जा सकता है । यहाँ पानी इक_ा करने की उचित व्यवस्था है। किले के बीच में, एक वॉच टावर है जिसके आसपास खूबसूरत नजारा दिखता है। इस किले पर 31 फीट लंबी और 50 टन वजन का तोप है जौ एशिया का सबसे बड़ा है और जो सिर्फ एक बार ही चलाया गया।

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जल महल: जयपुर की महारानियों के स्मारकों के पास और मानसागर झील के मध्य स्थित यह एक सपने जैसा महल है। यह मुगल और राजपूत शैली की वास्तुकला के संयोजन से निर्मित सबसे सुंदर वास्तुशिल्प महलों में से एक है। पीछे की ओर नाहरगढ़ पहाडिय़ों के साथ झील में बसा जल महल देखनेवालों को मंत्रमुग्ध करता है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है मानो ये महल एक मंजिला ही है पर असल में इसकी चार और जलमग्न मंजिलें हैं।

हवा महल : इस महल को 1799 में उल्टे छत्ते संरचना के आकार जैसा बनाया गया था। यह महल मुख्य रूप से शाही महिलाओ के लिए बनाया गया था जो की वो महल से ही सड़क पर आने जाने वाले लोगो को देख सके और हलचल का आनंद ले सकें। इस महल की वास्तु कला का निर्माण ही शाही महिलायो को जनता की चकाचौंध से दूर रखने के लिए किया गया था ताकि वो महल से सड़क का सारा दृष्टिकोण देख सके। इस महल की खिड़किया डिजाइनर जाली जैसी है जिनसे आप सड़क के द्रश्य ही नही पक्षियों की आँखों को भी देख सकते हो। लेकिन इस महल को बनाने का मुख्य कारण तो शाही महिलाओ द्वारा सड़क के ऊपर गए बिना ही वहां के सारे द्र्श्यो को देखना था ।  इस महल के निर्माण का श्रेय कच्छवाहा राजपूत कबीले के सवाई प्रताप सिह को जाता है। उस समय के प्रमुख आर्किटेक्ट लाल चंद उस्ताद ने अपनी कलात्मक कौशल और स्थापत्य उत्कृष्टता का सबसे अच्छा इस्तेमाल किया उन्होंने अपनी वैचारिकता और बुद्धिमता से इस महल का निर्माण किया था।

अलबर्ट हॉल संग्रहालय

जयपुर के राम निवास उद्यान में स्थित, अल्बर्ट हॉल राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है। इसे सरकारी केंद्रीय संग्रहालय भी कहा जाता है, और इसमें दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से लाए गए कलाकृतियों का एक व्यापक संग्रह है।
आदिवासी पोशाक, ड्योराम, मूर्तियां, लघु चित्र, कालीन, संगीत वाद्ययंत्र और यहां तक कि एक मिस्र की ममी भी आप यहां पाएंगे। इस इमारत को सर स्विंटन जैकब ने इंडो-सरसेनिक वास्तुकला की शैलियों का उपयोग करते हुए डिजाइन किया था। यह हॉल महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय द्वारा बनाया गया था और 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स, अल्बर्ट एडवर्ड की जयपुर की यात्रा के दौरान अल्बर्ट हॉल की नींव रखी गई थी और इसे 1887 में पूरा किया गया था।

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जैसलमेर, राजस्थान

राजस्थान का यह शहर एक तरह का रेगिस्तान है और यहां हर जगह रेत फैली हुई है। इस शहर की स्थापना राजा रावल जैसल ने साल 1156 में की थी और उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम जैसलमेर रखा गया। यहां बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है जिस वजह से यहां घूमने के लिए अक्टूबर से लेकर मार्च तक का समय सबसे बेहतर रहता है। जैसलमेर में घूमने लायक पटवा हवेली, राजा का महल और नथमल जी की हवेली अपनी खूबसूरत नक्शकारी के लिए काफी फेमस हैं। रेगिस्तान के हृदयस्थल पर स्थित जैसलमेर देश के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। अनुपम वास्तुशिल्प, मधुर लोकसंगीत, विपुल सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासत को अपने में समाए जैसलमेर पर्यटकों के स्वागत के लिए सदैव तत्पर रहता है। यह झुलसाने वाली गर्मी और जमा देने वाली ठंडी रेगिस्तानी जमीन के लिए जाना जाता है।

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जैसलमेर के दर्शनीय स्थल : जैसलमेर की मशहूर स्टोन कार्मिक देखने के इच्छुक पर्यटक को को नक्काशी से परिपूर्ण अतीत की धरोहर पटवा हवेली, राजा का महल, नथमल जी की हवेली आदि बरबसआकृष्ट करते हैं।

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ऊंट की सवारी : रेगिस्तानी इलाके में भ्रमण करना हैं तो कैमल (ऊंट) सवारी से कतई अछूते नहीं रहें। रेगिस्तान के इस जहाज पर हिचकोले ले-लेकर की गई यात्रा आप कतई भुला नहीं पाएंगे, क्योंकि रेगिस्तान का मजा उसके महारथी की पीठ पर बैठकर कुछ अलग ही आता है। ध्यान रखें कि कैमल सवारी का लुत्फ सर्दियों में ही लें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

उदयपुर, राजस्थान

राजस्थान का यह शहर सबसे खूबसूरत है। यहां कई झीलें हैं जिनके चारों तरफ हरियाली है जिस वजह से यह लोगों के आकर्षण का केंद्र है। उदयपुर में पिछौला झील, लेक पैलेस, जगदीश मंदिर और गुलाब बाग मुख्य पर्यटक स्थल हैं। यह अपनी प्रकृति और मानवीय रचनाओं से समृद्घ अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां की हवेलियों, महलों, झीलों और हरियाली को देख कर सैलानी उमंग से भर जाते हैं। मनमोहक और हरेभरे बगीचे, झीलों , नहरें, दूध की तरह सफेद संगमरमर के महल इस शहर को रोमांटिक बनाते हैं।

उदयपुर के दर्शनीय स्थल : दर्शनार्थियों को मानसून पैलेस, लक्ष्मी विलास, सिटी पैलेस, मुनिवास व यहां की झील, भाग इत्यादि विशेष रूप से आकर्षित करते हैं।

माउंट आबू, राजस्थान

राजस्थान के सबसे सुंदर हिल स्टेशनों में से एक है मांउट आबू जो राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन है। दक्षिणी राजस्थान के सिरोही जिले में गुजरात की सीमा से सटा यह हिल स्टेशन 4 हजार फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। इस की सुंदरता कश्मीर से कम नहीं आंकी जाती। इस स्थान पर पांच मंदिरों का निर्माण किया गया है। इन मंदिरों की दीवारों स्तंभों एवं छात्रों पर इतना बारीक काम किया गया है, कि पर्यटकों की आंखों आश्चर्य से खुली की खुली रह जाती है माउंट आबू के सर्वोच्च शिखर को गुरु शिखर कहा जाता है। यहां कई जैन मंदिर हैं जिनमें से देलवाड़ा जैन मंदिर यहां का मुख्य पर्यटन स्थल है। इसके अलावा यहां एक दत्तात्रेय मंदिर है जो गुफा में बसा है और यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

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माउंट आबू के दर्शनीय स्थल: नक्की झील, सनसैट पौइंट, हनीमून पौइंट, टौड रौक, म्यूजियम और आर्ट गैलरी, निकट ही गुरु शिखर पर सृष्टि की उत्पत्ति करता ब्रह्मा, पालनकर्ता विष्णु एवं संहार करता शिव का त्रिमूर्ति मंदिर है। अचलगढ़ अधरादेवी सन सेट पॉइंट आदि भी दर्शनीय है।

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जोधपुर, राजस्थान

जोधपुर शहर, जोधपुर ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय, राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में है। जोधपुर प्रमुख सड़क और रेल जंक्शन वाला शहर है। जोधपुर शहर के कुछ हिस्से 18वीं शताब्दी के परकोटे से घिरे हुए हैं। यह दुर्ग, जिसमें महल और ऐतिहासिक संग्रहालय हैं, एक अलग-थलग, लेकिन ऊँची चट्टान पर बना हुआ है, जो दूर से ही दिखाई देता है। इसके ठीक उत्तर में मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मंडौर के चौथी शताब्दी के अवशेषविद्यमान हैं। जोधपुर मारवाड़ों का मुख्‍य वित्तिय राजधानी था, जहाँ राठौड़ वंश ने शासन किया था। जोधपुर थार मरुस्थल के दाहिने छोर पर स्थित है।

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पुष्कर तीर्थ, राजस्थान

पुष्कर ब्रह्मा के मंदिर और ऊँटों के व्यापार मेले के लिए प्रसिद्ध है। पुष्कर का शाब्दिक अर्थ है तालाब।अजमेर से मात्र 11 किलोमीटर दूर तीर्थराज पुष्कर विश्वविख्यात है और पुराणों में वर्णित तीर्थों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। संपूर्ण भारतवर्ष में सिर्फ पुष्कर ही वह श्रद्धा स्थल है। जहां जगत के उत्पत्ति करता ब्रह्माजी पुराणिक इंदु ग्रंथ की एक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी स्वयं अपनी ही पत्नी सावित्री से शापित है जिस कारण उनका पूजन नहीं किया जाता है। पुष्कर में कई घाट है, जिसमें 15 घाटों का विशेष उल्लेख है। घाटों काजल मोक्ष, पापभक्ति की शक्ति से संपन्न है। स्नान करने वाले को यह दोनों ही फल प्राप्त होते हैं। इतना ही नहीं स्नान वाले श्रद्धालुओं वक्त चारों धामों की यात्रा एवं स्नान का फल मात्र पुष्कर के कांटो में स्थान कर कर प्राप्त करता है। दूधिया पत्थर से निर्मित मंदिर में स्थूलकाय लाल रंग एवं चार मुखी ब्रह्म देव की प्रतिमा है। उल्टे हाथ की तरह गायत्री देवी विराजमान है और नारद गणपति, पंचदेव यहां प्रतिष्ठित है। मां सावित्री का मंदिर झील के पार सावित्री पाठ पर स्थित है। इसकी विशेषता यह है कि यहां केवल स्त्रिया ही पूजा कर सकती है। इस के निकट ही मां संतोषी और एक पहाड़ की चोटी पर गायत्री मंदिर स्थित है। विभिन्न स्थलों से रेल गाडिय़ां और बस यहां आती हैं।

जंतर मंतर

यह जयपुर सिटी के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक है। यह स्मारक भारत में मौजूद पांच खगोलीय वेधशालाओं में से सबसे बड़ा है। इसका निर्माण राजा सवाई जय सिंह ने  1727-1733 में किया था। यह नाम संस्कृत यंत्र मंत्र से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘गणना का साधन’। सन 2010 में इसे भारत की यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में जोड़ा गया था। इस वेधशाला में पत्थर और पीतल से निर्मित उन्नीस यंत्र है। इन यंत्रो की चतुर रचना और व्यवस्था की वजह से पर्यवेक्षक अपनी आँखों से स्वर्गीय निकायों की स्थिति का अंदाज़ा लगा सकते है।

सरिस्का, राजस्थान

इस अभ्यारण कौशल 1979 में टाइगर रिजर्व का दर्जा प्राप्त हुआ है। रात में अरणीय सफारी पैकेज टूर के अंतर्गत भ्रमण हेतु गाड़ी सर्वोत्तम साधन है। यहां सांभर, नीलगाय, भालू,जंगली बिल्ली एवं भाग का दर्शन किया जा सकता है। इसलिय राजस्थान बहुत ही सुन्दर घूमने लायक स्थल है।

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बिरला मंदिर

जयपुर का बिरला मंदिर भारत के मशहूर मंदिरों में से एक है । इसका निर्माण बिरला ग्रुप ऑफ कंपनी ने 1988 में की थी। यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना है ।इस मंदिर में लक्ष्मी नारायण की भव्य प्रतिमा है। जो पत्थर के एक टुकड़े से बनाई गई है । मंदिर का बाहरी हिस्सा भी बहुत आकर्षक है ओर इसकी सीढय़िां भी संगमरमर से बनी हुई है। बाहर गार्डन में शंकर भगवान का आकर्षक प्रतिमा है यहां पूरे दिन दर्शकों की भीड़ लगी रहती है।

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अजमेर, राजस्थान

अजमेर शहर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए काफी मशहूर है, इस दरगाह पर प्रतिवर्ष रमजान के महीने में उर्स उत्सव मनाया जाता है। दरगाह की विशेषता सिद्धू फकीर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार है, जो सच्चे मन से दुआ करने पर मन की मुराद पूरी करते हैं एवं श्रद्धालुओं की भारी भीड़ प्रसाद रूप वितरित करने के लिए बनाई जाने वाली बिरयानी को बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले दो पात्र जिसमें एक बारी में 120 और 80 मन चावल पकता है। सुल्तान मोहब्बत खेल जी के पीता की समाधि जुम्मा मस्जिद, डाई दिन का झोपड़ा, तारागढ़ पहाड़ , म्यूजियम, लाल पत्थर का जैन मंदिर, और पृथ्वीराज चौहान द्वारा निर्मित कृत्रिम झील आदि पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बना रहा है। इसके अलावा यहां घूमने लायक जुम्मा मस्जिद, ढाई दिना का झोपड़ा, तारागढ़ पहाड़ और लाल पत्थर का जैन मंदिर प्रसिद्ध हैं।

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भरतपुर, राजस्थान

भरतपुर का प्राचीन भव्य किला आधुनिक समय में एक विश्वस्तर के सेंचुरी में बदल गया है। यहां पर अनेक प्रकार के पक्षी तथा तेंदुआ, भालू ,नीलगाय, चिता, हिरन आदि पाए जाते हैं। विभिन्न पशु या पक्षियों को आप 6:00 बजे उसे 8:00 बजे तक देख सकते हैं। झील में नाव की सवारी का आनंद भी आप ले सकते हैं। वर्ल्ड सेंचुरी में बदला किला, अतीत में अजय था। 1730 ई. में राजा सूरजमल ने भरतपुर की स्थापना की। भरतपुर किले पर विजय पाने के लिए अंग्रेजों को पूरे 4 महीने तक जी तोड़ मेहनत करनी पड़ी थी तब कहीं 1805 ई मे वह इस अजय किले को जीत पाए थे। किले में दो प्रवेश द्वार और 6 बुज हैं।

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अलवर, राजस्थान

यह शहर 1775 महाराजा राव प्रताप सिंह द्वारा बनवाया गया था। यहां का प्रमुख आकर्षण सिटी पैलेस है, जो कि अब म्यूजियम में परिवर्तित हो चुका है। अस्त्रकार में विबिन्न महान बादशाहों के अस्त्रो को सुरक्षित रखा गया है। यहां विशाल अस्तबल घोड़ों का नहीं हाथियों का वह भी कोई दूसरों 400 नहीं पूरे 3000 आदमियों को रखा जाता था। यहां भी थाने की उत्तम व्यवस्था है।

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बीकानेर राजस्थान

बीकानेर शहर, उत्तर-मध्य राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है। बीकानेर दिल्ली से 386 किमी पश्चिम में पड़ता है। बीकानेर राजस्थान का एक नगर तथा पुरानी रियासत था। बीकानेर शहर भूतपूर्व बीकानेर रियासत की राजधानी था। लगभग सन् 1465 ई. में राठौर जाति के एक राजपूत सरदार बीका ने अन्य राजपूत जातियों का भूभाग जीतना प्रारंभ किया। बीकानेर योद्धाओं का शहर माना जाता है, न जाने कितने वीरों ने इस भूमि पर जन्म लिया और अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कराया। उस समय के राजा-महाराजाओं ने यहां कई विशाल संरचनाओं का निर्माण करवाया, जिन्हें देखने के लिए आज पूरे विश्व भर से पर्यटक आते हैं।

कैसे पहुंचे

जयपुर भारत में प्रमुख स्थलों के लिए सडक़, रेल और वायु मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नई दिल्ली और आगरा से जयपुर के लिए कई सीधी बसें मिलती है। जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा या सांगानेर हवाई अड्डा शहर से 13 किमी दूर स्थित है। यात्री, एयरपोर्ट से शहर तक आने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते है। जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन पर देश के कोने-कोने से डायरेक्ट ट्रेन आती हैं। जयपुर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है।