जन्माष्टमी 2019- अगर आप मथुरा-वृंदावन जा रहे हैं ,तो इन मंदिरों के दर्शन करने जरूर जाएं

जन्माष्टमी 2019- उत्तर प्रदेश स्थित भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। वैसे तो मथुरा साल भर ही श्रद्धालुओं और पर्यटकों से भरा रहता है, लेकिन होली और जन्माष्टमी के त्योहार पर इस जगह की रौनक ही कुछ अलग होती है। मथुरा की हर आकर्षित करने वाली चीज़
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जन्माष्टमी 2019- अगर आप मथुरा-वृंदावन जा रहे हैं ,तो इन मंदिरों के दर्शन करने जरूर जाएं

जन्माष्टमी 2019- उत्तर प्रदेश स्थित भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। वैसे तो मथुरा साल भर ही श्रद्धालुओं और पर्यटकों से भरा रहता है, लेकिन होली और जन्माष्टमी के त्योहार पर इस जगह की रौनक ही कुछ अलग होती है। मथुरा की हर आकर्षित करने वाली चीज़ किसी न किसी तरह भगवान कृष्ण से जुड़ी है। मथुरा, वृंदावन, बरसाना और आगरा जैसे शहरों से करीब होना इस जगह को और खास बनाता है। बाल कृष्ण की अटखेलियों और गोपियों के साथ रासलीला की कई कहानियों को संजोए इस जगह की यात्रा करने का ये बिल्कुल सही वक्त है। जन्माष्टमी को लगभग पूरे भारत में मनाया जाता है, मगर इसकी असल रौनक आपको कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा-वृंदावन में देखने को मिलेगी। तो इस बार अगर आप जन्माष्टमी जोरों-शोरों से मनाना चाहते हैं तो इस वीकेंड मथुरा-वृन्दावन का प्लान बना लें। यहां हम आपको मथुरा के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जाकर आप जन्माष्टमी की असल रौनक देख सकते हैं।

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श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर

श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था। मथुरा में इसी जगह पर भगवान कृष्ण के सबसे प्राचीन मंदिर का निर्माण करवाया गया है जिसे श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर मथुरा के बिल्कुल बीचोबीच स्थित है। बताया जाता है कि यहां पहला मंदिर 80-57 ईसा पूर्व बनाया गया था। इस विषय पर महाक्षत्रप सौदास के समय में मिले एक शिलालेख से ज्ञात होता है कि किसी वसु नामक व्यक्ति ने यह मंदिर बनाया था। जबकि दूसरा मंदिर सन् 800 में विक्रमादित्य के काल में बनाया गया था। वर्तमान समय में महामना पंडित मदनमोहन मालवीय की प्रेरणा से यह एक भव्य और आकर्षण मन्दिर के रूप में स्थापित है। इस मंदिर का असल रंग जन्माष्टमि पर देखने को मिलता है। जगह-जगह भोग, प्रसाद और सांस्कृतिक कार्यक्रम आपका मन मोह लेंगे।

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द्वारकाधीश मंदिर

मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर भी श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। यह भव्य नक्काशी दार मंदिर अपने आरती के लिए जाना जाता है। इस मंदिर के मुख्य आश्रम में रानी राधिका की प्रतिमाएं भी हैं। इस मंदिर को इसके अनोखे अंदाज में होली खेले जाने के लिए भी जाना जाता है। असकुंडा घाट के समीप बनें इस मंदिर का प्रसाद इसकी अपनी पाकशाला में तैयार किया जाता है। बेहतरीन नक्काशी के साथ यह मंदिर का स्थापत्य कला की दृष्टि से भी महत्व पूर्ण है।

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इस्कान मंदिर

1975 में बने इस्कान मंदिर को श्री कृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर ठीक उसी जगह पर बना है, जहां आज से 5000 साल पहले भगवान कृष्ण दूसरे बच्चों के साथ खेला करते थे। मंदिर में कई सुंदर चित्रकारी की गई है, जिसमें भगवान कृष्ण की शिक्षा का वर्णन किया गया है। यह दूसरे मंदिरों से थोड़ा अलग है। क्योंकि लोग यहां सिर्फ पूजा करने के लिए ही नहीं आते, बल्कि वे यहां आकर साधना और पवित्र श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करते हैं।

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बांके बिहारी मंदिर

वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर भगवान श्री कृष्ण का महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है, जिसे प्रचीन गायक तानसेन के गुरू स्वमी हरिदास ने बनवाया था। भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर में राजस्थानी शैली की बेहतरीन नक्काशी की गई है। बांके बिहारी का ये मंदिर भगवान के सुन्दर रूप को दर्शाने के साथ देश-विदेश सभी जगह बेहद फेमस है। माना जाता है कि इस मंदिर में आए बिना आपकी वृंदावन की यात्रा पूरी नहीं होती। यहां भगवान कृष्ण के होने वाले अलग-अलग श्रृगांर आपको इस मंदिर की ओर और भी ज्यादा आकर्षित करते हैं। इस मंदिर में जन्माष्टमि के एक सप्ताह पहले से ही भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। यह मंदिर 12:30 बजे से 4 बजे के बीच बंद रहता है। इसके बाद आप निधिवन की ओर रुख सकते हैं।

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निधिवन

अगर मथुरा आएं है और श्री कृष्ण की रासलीला की गाथा और इसकी झलक देखे बिना चले जाएँ तो ये सफर अधूरा ही रह जाएगा। माना जाता है इस अद्भुत वन में श्री कृष्ण आज भी आधी रात को राधा और गोपियों के साथ रासलीला करते हैं। यहां जोड़े में मौजूद तुलसी के पौधों के बारे में कहा जाता है कि ये रात के वक्त गोपियों का रूप ले लेती हैं और सुबह फिर पौधों में बदल जाती हैं। लेकिन निधिवन में रात के वक्त प्रवेश की अनुमति नहीं है, क्योंकि यहां मौजूद लोगों का कहना है कि कोई अगर इस रासलीला को देख ले तो या तो वो आँखों की रोशनी खो देता है, या मानसिक संतुलन। लेकिन आप सुबह से लेकर शाम तक इस अलौकिन परिसर की खूबसूरती में लीन हो सकते हैं। फुलवारी में ही एक छोटा सा नक्काशीदार मंदिर है, जो भगवान कृष्ण और उनकी संगिनी राधा को समर्पित है। इस मंदिर के आसपास कई बन्दर है, इसलिए इस मंदिर की सैर करते समय अपने सामान की सुरक्षा खुद करें। आप चाहे तो बंदरो को चना और केले भी खिला सकते हैं।

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राधा रमण मंदिर

जन्माष्टमी के मौके पर अगर आप मथुरा जा रहे हैं तो राधा रमण मंदिर के दर्शन करने जरूर जाएं। भव्य और प्राचीन इस मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। इस मंदिर का निर्माण 1542 में किया गया था। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी शालिग्रान के रूप में स्थापित हैं। इस मंदिर में जन्माष्टमी के दिन काफी भीड़ होती है। आरती से लेकर जन्मोत्सव तक सारे कार्यक्रम यहां बहुत भव्य तरीके से किए जाते हैं।

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गोवर्धन पर्वत

भगवान कृष्ण की अनोखी लीलाओं की कहानियाँ तो हम सभी ने सुनी और पढ़ीं हैं और इन्हीं में से एक को साक्षात देखने को मिलता है गोवर्धन पर्वत के रूप में। पौराणिक कथाओं कि मानें तो ब्रजवासियों को इंद्र की धुंआधार वर्षा के प्रकोप के बचाने के लिए श्री कृष्ण ने इस पूरे पहाड़ को अपनी तर्जनी उंगली पर उठा लिया था। इसे गिरिराज भी कहते हैं। आज दूर-दूर से भक्त इसके दर्शन करने आते हैं। बहुत से श्रद्धालू ऐसे भी हैं जो इस 21 किलोमीटर लम्बे पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं। इसके रास्ते में राधा कुंड, कुसुम सरोवर, मानसी गंगा, गोविंद कुंड, पूंछरी का लोटा, दानघाटी आदि भी पड़ते हैं। तो बस इस जन्माष्टमी पर परिवार के साथ निकल जाइए मथुरा-वृंदावन की दो दिन की सैर पर और देख आइए जन्माष्टमी का रंग।

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यमुना नदी

वृन्दावन घूमने के बाद शाम के समय आप यमुना नदी में नौका विहार का मजा ले सकते हैं। यहां सुबह और शाम अध्यात्मिक आरती भी होती है।

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मथुरा से वृंदावन

श्री कृष्ण मंदिर घूमने के बाद आप वृन्दावन की ओर रुख कर सकते हैं। श्री कृष्ण जन्मभूमि से वृन्दावन ऑटो द्वारा महज 15 रुपये खर्च कर पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप अपनी गाड़ी या बाइक और कैब से जरिये भी जा सकते हैं। वृंदावन का सार 16 वीं शताब्दी तक विलुप्त होने लगा था, जब इसे चैतन्य महाप्रभु द्वारा फिर से खोजा गया था। 1515 में, चैतन्य महाप्रभु ने भगवान श्रीकृष्ण के पारलौकिक अतीत से जुड़े खोए हुए पवित्र स्थानों का पता लगाने के उद्देश्य से वृंदावन की यात्रा की। यह माना जाता था कि उनकी दिव्य आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा, वे कृष्ण के अतीत के सभी महत्वपूर्ण स्थानों का वृंदावन में और आसपास का पता लगाने में सफल हुए। इसके बाद मीराबाई भी मेवाड़ राज्य छोडक़र वृंदावन आ गई थीं। इस प्रकार वृंदावन धाम अपने प्राचीन इतिहास के कारण ही प्रसिद्ध है।

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बरसाना में राधा रानी जी का मंदिर

बरसाना मथुरा के पास स्थित एक गांव है जो राधा जी की जन्म स्थली होने के कारण प्रसिद्ध रहा है। गौडीय वैष्णव धर्म को मानने वालो के लिए यह एक तीर्थ से कम नहीं है। यह रंग भरी लठमार होली के लिए भी प्रसिद्ध है, होली के दिन बरसाना में कुछ अलग ही धूम मची होती है। बरसाना में राधारानी मंदिर अपने आप में एक भव्य मंदिर है जो की एक छोटी पहाड़ी पे अठारवी शताब्दी में बनाया गया था।

नाश्ता करें

आप अपनी मथुरा ट्रिप की शुरुआत एकदम देशी नाश्ते से कर सकते हैं। नाश्ते में आप यहां जलेबी-दही,कचौरी ,खस्ता-कचौरी आदि खा सकते हैं। नाश्ता करने के बाद श्री कृष्ण जन्मभूमि घूमने जा सकते हैं।

कब आयें मथुरा वृंदावन

उत्तर प्रदेश का जिला है, गर्मियों के दौरान यहां बहुत गर्मी रहती है..सर्दियों के दौरान यहां का मौसम बेहतरीन तथा घूमने वाला होता है। सैलानी सितम्बर से अक्टूबर के बीच यहां घूम सकते हैं।

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कैसे आयें

निकटतम रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है। यहां से पर्यटक यहां से बस या कैब द्वारा मथुरा/वृन्दावन घूम सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली है जो इस शहर से लगभग 200 किलोमीटर दूर है। ट्रैफिक सहित इसमें हवाई अड्डे से यहां पहुंचने में करीब 4 घंटे लगेंगे।

मथुरा में कहां ठहरें

मथुरा में ठहरने के लिए आपको 800 रुपए से लेकर 1200 रुपए प्रति दिन के बीच आसानी से कमरा मिल सकता है। हालांकि आप पहले बुक कर लें तो उपलब्धता निश्चित की जा सकती है।