कर्नाटक के दर्शनीय व पर्यटन स्थल हैं प्राकृतिक सुंदरता और विरासत का सटीक मिश्रण, एक बार जरूर करें यहां की यात्रा

पर्यटन की दृष्टि से भारत का पांचवां सबसे लोकप्रिय राज्य है कर्नाटक। इस राज्य में प्राकृतिक सुंदरता और विरासत का सटीक मिश्रण है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग का हब होने की वजह से देश के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। कौन अंदाजा लगा सकता है कि भारत के 3,600 केंद्रीय
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कर्नाटक के दर्शनीय व पर्यटन स्थल हैं प्राकृतिक सुंदरता और विरासत का सटीक मिश्रण, एक बार जरूर करें यहां की यात्रा

पर्यटन की दृष्टि से भारत का पांचवां सबसे लोकप्रिय राज्य है कर्नाटक। इस राज्य में प्राकृतिक सुंदरता और विरासत का सटीक मिश्रण है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग का हब होने की वजह से देश के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। कौन अंदाजा लगा सकता है कि भारत के 3,600 केंद्रीय संरक्षित ऐतिहासिक स्मारकों में से 507 कर्नाटक में हैं। राज्य के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में दुनिया के कई हिस्सों से भक्त अपने देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं और खुद कर्नाटक पर्यटन का अभिन्न हिस्सा बनाते हैं। कर्नाटक राज्य में पर्यटन बढऩे के कारण, वर्तमान में यहां भारी संख्या में रिसॉर्ट, टूरिस्ट प्लेस आदि बन गए है जिनसे पर्यटकों को यहां आकर आनंद आता है।

कर्नाटक के दर्शनीय व पर्यटन स्थल हैं प्राकृतिक सुंदरता और विरासत का सटीक मिश्रण, एक बार जरूर करें यहां की यात्रा

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South India tourist destination Karnataka

सरल शब्दों में, कर्नाटक में पर्यटन मुख्य रूप से राज्य के चार भौगोलिक क्षेत्रों में बंटा है। इनके नाम हैं- उत्तरी कर्नाटक, हिल स्टेशन, तटीय कर्नाटक और दक्षिण कर्नाटक।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय

दुनियाभर में ऐसे कई स्थान हैं जिसका कुछ न कुछ इतिहास रहा है और पर्यटक यहां घूमने जाना पसंद भी करते हैं। लेकिन कर्नाटक में एक ऐसी जगह है जिसे दुनियाभर के बेहतरीन पर्यटन स्थल में दूसरा स्थान दिया गया है। कर्नाटक में न तो बहुत ज्यादा गर्मी है और न बहुत ज्यादा ठंड। जून से सितंबर तक मानसून जरूर सक्रिय रहता है। अक्टूबर से जनवरी तक का वक्त राज्य में यात्रा करने के लिए अच्छा है। राज्य में इस दौरान मौसम कष्टकारी नहीं होता। राज्य में औसतन अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेड और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेड दर्ज होता है।

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कर्नाटक के पर्यटन स्थल

संगनकल्लू : कर्नाटक के बेलारी ज़िले में स्थित संगनकल्लू से नव- पाषाणयुगीन तथा ताम्र- पाषाणयुगीन संस्कृतियों के प्रमाण मिले हैं। 1872 ई. में इस स्थल से घर्षित पाषाण कुल्हाडय़िाँ प्राप्त हुई हैं। 1884 ई. में इस स्थल के नजदीक एक पहाड़ी पर शैल चित्र तथा उकेरी गई मानव, हस्ति, वृषभ, पक्षी तथा तारों की आकृतियों की खोज की गई। इस क्षेत्र में दो राखी-ढेरियाँ पाई गई हैं। प्रथम राखी ढेरी के उत्खनन में तीन चरण अनावृत्त किए हैं।

नंजनगूड : नंजनगूड प्राचीन तीर्थनगर कर्नाटक में कावेरी की सहायक काबिनी नदी के तट पर मैसूर से 26 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यह नगर 10वीं और 11वीं शताब्दी में गंग चोल वंश के समय से ही विख्यात रहा है। इस नगर में श्रीकांतेश्वर नंजुनदेश्वर (शिव) को समर्पित एक प्रसिद्ध मन्दिर है। सम्भवत: यह कर्नाटक का सबसे बड़ा मन्दिर है।

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हम्पी : यूनेस्को की विश्व विरासत की सूची में शामिल हम्पी भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। 2002 में भारत सरकार ने इसे प्रमुख पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। हम्पी में स्थित दर्शनीय स्थलों में सम्मिलित हैं- विरुपाक्ष मन्दिर, रघुनाथ मन्दिर, नरसिंह मंन्दिर, सुग्रीव गुफ़ा, वि_लस्वामी मन्दिर, कृष्ण मन्दिर, प्रसन्ना विरूपक्ष, हज़ार राम मन्दिर, कमल महल तथा महानवमी डिब्बा आदि।

 

बादामी चालुक्य वास्तुशिल्प और गुफाएं 

बादामी उत्तरी कर्नाटक राज्य के दक्षिण-पश्चिमी भारत में स्थित है। जहां पर जैन, हिंदु, और बुद्धिस्ट ऐसी चार गुफाओं से बनी है। इस नगर को प्राचीन समय में वातापी के नाम से जाना जाता था। और यह चालुक्य राजाओं की पहली राजधानी था। यह अपने पाषाण शिल्प कला के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।

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पहली गुफा : पहला गुफा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ की विशेषता 18 फुट ऊंची नटराज की मूर्ति है जिसकी 18 भुजाएं हैं जो अनेक नृत्य मुद्राओं को दर्शाती है। इस गुफा में महिषासुरमर्दिनी की भी उत्तम नक्काशी की गई है।

दूसरी गुफा : दूसरी गुफा भगवान विष्णु को समर्पित है। इस गुफा की पूर्वी तथा पश्चिमी दीवारों पर भूवराह तथा त्रिविक्रम के बड़े चित्र लगे हुए हैं। गुफा की छत पर ब्रह्मा, विष्णु शिव, अनंतहसहयाना और अष्टादिक्पलाकास के चित्रों से सुशोभित है।

तीसरी गुफा : तीसरी गुफा बादामी की उस काल की गुफा मंदिरों की वास्तुकला और मूर्तिकला के भव्य रूप को प्रदर्शित करती है। यहाँ कई देवताओं के चित्र हैं तथा यहाँ ईसा पश्चात 578 शताब्दी के शिलालेख मिलते हैं।

चौथी गुफा : चौथी गुफा एक जैन मंदिर है। यहाँ प्रमुख रूप से जैन मुनियों महावीर और पार्श्वनाथ के चित्र हैं। एक कन्नड़ शिलालेख के अनुसार यह मंदिर 12 वीं शताब्दी का है।

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गुफा मंदिरों के अलावा उत्तरी पहाड़ी में तीन शिव मंदिर हैं जिनमें से शायद मालेगट्टी शिवालय सबसे अधिक प्रसिद्ध है। अन्य प्रसिद्ध मंदिर भूतनाथ मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर और दत्तात्रय मंदिर हैं। बादामी में एक किला भी है जिसमें कई मंदिर भी हैं तथा साहसिक गतिविधियों को पसंद करने वाले पर्यटक यहाँ रॉक क्लायम्बिंग का आनंद उठा सकते हैं।

मैंगलोर:

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मैंगलोर में, समुद्र तटों पर घूमना और धूप सेंकना, शानदार समुद्री खाने की कोशिश करना, सूरज को डूबता हुआ देखना और शिपयार्ड का दौरा करना मिस नहीं करना चाइए। सूर्य के चुंबन वाले समुद्र तट, आकर्षक मंदिरों, और किलों का आनंद जरूर प्राप्त करे।

कर्नाटक में अन्य घूमने के लिए जगहें

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  • कूर्ग हिल स्टेशन
  • महाबलेश्वर मंदिर, गोकर्ण
  • मैसूर पैलेस, मैसूर
  • गोल गुंबज, बीजापुर
  • दरिया दौलत बाग
  • ख्वाजा बंदे नवाज दरगाह, गुलबर्गा
  • जोग फॉल्स
  • मागोद फॉल्स
  • शिवनसमुद्र फॉल्स
  • इरुप्पु फॉल्स
  • लालगुड़ी फॉल्स
  • नृत्यग्राम डांस विलेज
  • गुरुद्वारा नानक झीरा साहिब बिदार
  • गोकर्ण के समुद्री तट
  • मुरुदेश्वर तट
  • करवाड़ तट
  • मल्लिकार्जुन मंदिर, पट्टडाकल
  • बांदीपुर नेशनल पार्क
  • बादामी में गुफा मंदिर
  • आइहोले के चट्टानों में बने मंदिर

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यात्रा के लिए सलाह

  • अपने सामान को लेकर सतर्क रहें, खासकर भीड़ भरी जगहों पर।
  • यदि आप स्थानीय नहीं हैं या स्थानीय भाषा नहीं जानते तो समूह में यात्रा करें।
  • संवाद में आसानी के लिए स्थानीय भाषा के कुछ शब्द सीखने की कोशिश करें।
  • यदि गर्मियों में सफर कर रहे हैं तो जरूरी दवाएं और पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर अपने साथ रखें।
  • अपनी यात्रा को पहले ही नियोजित कर लें। राज्य पर्यटन विभाग या भरोसेमंद ट्रेवल एजेंट्स का इस्तेमाल करें।

लोकप्रिय वस्तुएं

  • चंदन की मूर्तियां
  • नक्काशीदार धातु, पत्थर और लकड़ी की वस्तुएं
  • मैसूर की सिल्क साडिय़ां
  • चंदन की लकड़ी का तेल
  • अगरबत्ती
  • मैसूर की मैसूर पेंटिंग्स
  • लंबानी ज्वेलरी
  • बीजापुर हैंडलूम्स
  • बिद्रीवेयर की कलाकृतियां (जस्ते और तांबे से बनी)
  • कर्नाटकी संगीत (भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध शाखा)
  • तटीय कर्नाटक के उडुपी व्यंजन

होटल और आवास विकल्प

राज्य में आवास के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं। लॉज या गेस्ट हाउस से लेकर होटल्स (सस्ते से महंगे तक), किराये पर अपार्टमेंट्स से होस्टल्स तक। आप बांदीपुर और नागरहोल वन्यजीव अभयारण्यों में रेस्ट हाउस या लग्जरी होटल्स चुन सकते हैं।

राज्य के कुछ सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले व्यंजन

  • मैसूर मसाला दोसा
  • मैंगलोर में कैन फ्राय (लेडी फिश)
  • मामसा सारू (मटन करी- कन्नड स्टाइल)
  • केसरी भात

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  • मैंगलोर में पैटरोडे
  • मलनाड में मिडिगायी पिकल (कच्चा आम) और सैंडीज
  • उडुपी में मसाला दोसा
    कोडावा में पांडी करी (पोर्क करी)
  • उत्तरी कर्नाटक में धारवाड़ पेड़ा
  • बीजापुर में दोसा पांडी करी
  • नाश्ते के लिए थत्ते इडली (फ्लैट इडली)
  • मैसूर पाक (मिठाई)
  • शैवीज पयासा (मिठाई)
  • बालका ( डीप फ्राइ सब्जियों और फलों के चिप्स से बना नाश्ता)
    कापी (फिल्टर कॉफी)

मैसूर: मैसूर कर्नाटक का राजसी महल का शहर है। यह शहर रेशमी साडिय़ङ्क्षं और चंदन की लकड़ी से बने सामानों कं लिए मशहूर है। कर्नाटक का दूसरा सबसे बड़ा शहर और पर्यटकों के आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है।

बेंगलुरू से 139 किमी. दूर स्थित यह शहर पहले कर्नाटक की राजधानी था। इसे भारत की सबसे समृद्ध रेशमी साडिय़ों की बुनाई कं लिए जाना जाता है। मैसूर जिले और संभाग का प्रशासनिक केंद्र भी है।

कर्नाटक का इतिहास बताता है कि मैसूर वाडियार शासक की राजधानी होता था। बाद में यह शहर हैदर अली और उसके बेटे टीपू सुल्तान के हाथों में आ गया था। इससे इस शहर में राजाओं और सुल्तानों की संस्कृति का खूबसूरत संगम देखने को मिलता है।

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चंदन की लकडिय़ों, खूबसूरत साडिय़ों के अलावा यह शहर अपने हस्तशिल्प कं लिए भी जाना जाता है। दस दिन तक चलने वाला दशहरे का त्योहार यहां का सबसे लङ्क्षकप्रिय त्योहार है। इसकी धूम देश-विदेश तक में रहती है। इस त्योहार कं समय यहां का महल एक महीने तक रोशनी में नहाया रहता है। त्योहार कं आखिरी दिन शोभायात्रा निकलती है। इसमें सोने-चांदी से जडि़त रथों को सजे-धजे हाथी खींचते हैं।

किवदंती है कि कभी यह शहर राक्षसराज महिषासुर का इलाका था। एक समय वह अजेय हो गया था। तब देवी चामुंडेश्वरी ने 10 दिन तक चले महासंग्राम कं बाद उसका वध किया था। दशहरे का त्योहार इसी जीत की याद में मनाया जाता है।

तुंगभद्रा बांध

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1953 में निर्मित तुंगभद्रा बांध तुंगभद्रा नदी पर बना है एवं इसके किनारे पर होस्पेट शहर बसा हुआ है। कर्नाटक राज्य के सबसे महत्वपूर्ण बांधों में से एक इस बांध का उपयोग स्थानीय लोगों द्वारा सिंचाई के लिए किया जाता है। विद्युत आपूर्ति उत्पन्न करने के अलावा इस बांध से आसपास के क्षेत्र में बाढ़ को भी प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया है। यह जलाशय एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और इसमें अनेक जलीय जीव रहते हैं। इस बांध पर कई विदेशी प्रजातियों के पक्षियों को विचरण करता हुआ आप देख सकते हैं जिनमें राजहंस, पेलिकन आदि शामिल हैं।

कैसे पहुंच सकते हैं

कर्नाटक भारत के कुछ सबसे आधुनिक राज्यों में से एक है। इसमें सडक़, रेलवे और हवाई यातायात का संगठित नेटवर्क है। परिवहन सुविधाओं ने राज्य के पर्यटन कं विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हवाई यातायात – कर्नाटक में चार घरेलू और दो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं। राज्य का सबसे महत्वपूर्ण हवाई अड्डा बेंगलुरू का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इन हवाई अड्डों पर आने -जाने वाली उड़ानों से यह राज्य देश के अन्य हिस्सों और पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है।

कर्नाटक के दर्शनीय व पर्यटन स्थल हैं प्राकृतिक सुंदरता और विरासत का सटीक मिश्रण, एक बार जरूर करें यहां की यात्रा

रेल मार्ग : कर्नाटक में व्यापक रेलवे नेटवर्क है, जिसकी लंबाई 3,089 किलोमीटर है। राज्य के कुछ हिस्से भारतीय रेलवे के दक्षिण-पश्चिम जोन में आते हैं, जबकि बाकी क्षेत्र दक्षिण रेलवे और कोंकण रेलवे नेटवर्क में आते हैं। राज्य में चलने वाली ट्रेनों के जरिए सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों तक पहुंचा जा सकता है। कर्नाटक सरकार ने हाल ही में गोल्डन चैरिएट शुरू की है। यह ट्रेन राज्य और गोवा के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों को आपस में जोड़ती है। यात्रियों के लिए तो यह वरदान है।

सडक़ मार्ग : कर्नाटक में सडक़ों का नेटवर्क भी बहुत अच्छा है। राज्य के सभी प्रमुख शहरों और पर्यटन स्थलों तक इन सडक़ों के जाल से पहुंचा जा सकता है। कर्नाटक 15 राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा है। राज्य के राजमार्गों का भी एक बड़ा नेटवर्क है। राज्य में 3,973 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग और 9,829 किमी राज्य के राजमार्ग है। कर्नाटक सडक़ राज्य परिवहन निगम (केएसआरटीसी) पूरे राज्य में नियमित बस सेवा चलाती है।