जम्मू- कश्मीर है धरती का स्वर्ग, एक बार जरूर करें यहां की यात्रा

जम्मू-कश्मीर हमेशा से ही पर्यटकों के लिए प्रिय स्थल रहा है। लाखों की तादात में पर्यटक यहां हर साल घुमने आते हैं अलग- अलग जगहों पर आनंद लेते हैं । जम्मू-कश्मीर उत्तर भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां पर्यटन की संभावनाएं बहुत ही प्रबल हैं। हालांकि 26 सालों से चल रहे आतंकवाद के कारण
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जम्मू- कश्मीर है धरती का स्वर्ग, एक बार जरूर करें यहां की यात्रा

जम्मू-कश्मीर हमेशा से ही पर्यटकों के लिए प्रिय स्थल रहा है। लाखों की तादात में पर्यटक यहां हर साल घुमने आते हैं अलग- अलग जगहों पर आनंद लेते हैं । जम्मू-कश्मीर उत्तर भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां पर्यटन की संभावनाएं बहुत ही प्रबल हैं। हालांकि 26 सालों से चल रहे आतंकवाद के कारण सब कुछ छिन्न-भिन्न हो चुका है। लेकिन बावजूद इसके आज भी इसके पर्यटन स्थल दुनियाभर के लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। इसके तीन क्षेत्रों- जम्मू, लद्दाख और कश्मीर के हजारों पर्यटन स्थल आज भी अपनी शोभा को बरकरार रखे हुए हैं। भारत के नक्शे पर कश्मीर एक गहना मुकुट की तरह सेट है।

जम्मू- कश्मीर है धरती का स्वर्ग, एक बार जरूर करें यहां की यात्रा

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जम्मू

जम्मू-कश्मीर की शीतकालीन राजधानी जम्मू अपनी विशिष्टताओं के कारण देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। अनेक जातियों, संस्कृतियों व भाषाओं का संगम बना यह प्रदेश एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है। तवी नदी के खूबसूरत किनारों पर स्थित जम्मू-कश्मीर राज्य का यह मुख्य प्रवेश द्वार है। साथ ही प्रतिवर्ष वैष्णोदेवी जाने के लिए यहां लाखों तीर्थयात्री आते हैं। यहां स्थित अनगिनत मंदिरों के कारण इसे मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है।

इस शहर के निर्माणकर्ता ‘जम्बूलोचन’ के नाम पर इसका नाम पड़ा, जो जम्बू का बिगड़ा हुआ नाम है, लेकिन फिलहाल यह अभी विवाद का विषय है कि इसके निर्माणकर्ता जम्बूलोचन थे या नहीं। कला, संस्कृति तथा ऐतिहासिकता की दृष्टि से भी जम्मू का महत्वपूर्ण स्थान है। यह शहर व्यापार का एक प्रमुख केंद्र भी है। जम्मू के पर्वत पर्वतारोहण करने वालों के मध्य काफी लोकप्रिय हैं। जम्मू से आगे कश्मीर घाटी की सुरम्य घाटियों में आतंकवादी गतिविधियों के कारण वह फिलहाल पर्यटक सम्बद्ध तो नहीं है लेकिन देशी-विदेशी पर्यटकों का तांता अब वहां पुन: बढ़ता जा रहा है। यह भी याद रखने योग्य बात है कि जम्मू एक जिले, शहर तथा प्रांत का नाम भी है।

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मानसर तथा सुरिनसर झीलें : जम्मू से 65 किमी की दूरी पर स्थित मानसर झील पिकनिक के लिए एक आदर्श स्थल है। यहां प्रतिवर्ष अप्रैल के प्रथम सप्ताह में मानसर मेले का आयोजन भी होता है। झील में नौकायन की सुविधा है तथा उसके एक किनारे पुराने महल भी देखे जा सकते हैं, जो अब खंडहर में बदल चुके हैं। जम्मू से सीधी बस सेवा उपलब्ध है और रात को ठहरने के लिए पर्यटन विभाग का बंगला तथा हट्स उपलब्ध हैं।

जम्मू से 42 किमी दूरी पर सुरिनसर झील है, जो मानसर जितनी बड़ी तो नहीं लेकिन खूबसूरत पर्यटन स्थल अवश्य है। हालांकि सुरिनसर जाने के लिए जम्मू से सीधी बस सेवा तो है ही मानसर झील की ओर से रास्ता भी जाता है, जहां से यह पास ही में पड़ती है। वैसे यह कथा भी प्रचलित है कि दोनों झीलों का भूमि के भीतर से संबंध है। रहने को पर्यटक बंगला उपलब्ध है।

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पटनीटाप : हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों के अंतहीन मैदानी और मनोरम दृश्यों के साथ, पटनीटॉप प्रकृति का अनुभव करने के लिए एक आदर्श स्थान है। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 108 किमी की दूरी पर स्थित यह विश्वप्रसिद्ध स्थल वर्षभर ठंडा रहता है, क्योंकि 2024 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यह प्राकृतिक सौंदर्य से लदा हुआ है। अब तो सर्दियों में यहां पर स्कीइंग का आनंद भी उठाया जा सकता है  छुट्टियां मनाने वालों के लिए यह अति उत्तम स्थान है, जहां सरकारी के अतिरिक्त प्राइवेट आवास की भी सुविधा है। वर्ष के किसी भी मौसम में आप वहां जा सकते हैं।

सनासर : पटनीटाप से 18 किमी की दूरी पर पहाडिय़ों तथा चीड़ के पेड़ों से घिरा हुआ यह स्थान अपनी झील के कारण भी प्रसिद्ध है। अब तो वहां पर गोल्फ खेलने की सुविधा भी उपलब्ध है जबकि सनासर में पैराग्लाइडिंग भी की जा सकती है। पटनीटाप से नत्था टाप की ओर जाने पर, जो सनासर के रास्ते में आता है सबसे ऊंचाई पर जाकर आदमी हैरान रह जाता है जहां से कुद, पटनीटाप, सनासर, ऊधमपुर जिले को भी देखा जा सकता है। रहने के लिए पर्यटक बंगला तथा हट्स उपलब्ध हैं।

रामनगर : जम्मू से 102 किमी की दूरी पर स्थित रामनगर भारत की सबसे पुरानी तहसील है। यहां कई किले आदि तथा तीर्थ स्थल देखने लायक हैं। पहा?ी क्षेत्र होने के कारण स्वास्थ्यवर्द्धक है। सीधी बस सेवा तथा रहने का स्थान उपलब्ध है।

रघुनाथ मंदिर : मंदिरों के शहर जम्मू में ही रघुनाथ मंदिर भी स्थित है। ये मंदिर काफी भव्य और आकर्षक है। आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 इसवी में शुरू किया था, और बाद में उनके बेटे महाराजा रणवीर सिंह ने 1860 में पूरा किया। मंदिर की खूबसूरती देखने योग्य है, आपको बता दें कि मंदिर के आंतरिक भाग को सोने की पट्टियों से सजाया गया है जो कि लोगों का ध्यान अपनी तरफ खिंचती है। मंदिर में सभी देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां देखने योग्य है।

रणवीरेश्वर मंदिर : जम्मू में एक और प्रसिद्ध मंदिर है जिसका नाम रणवीरेश्वर मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा रणवीर सिंह ने 1883 में करवाया था। ऊंचाई पर होने की वजह से भगवान शिव का ये मंदिर दूर से नजऱ आ जाता है।

क्या खरीदें : जम्मू से पर्यटक खाने की चीजें जैसे बादाम, अखरोट, चेरी, बासमती चावल, राजमा आदि खरीद सकते हैं। इसके अलावा सिल्क के कपड़े, बेंत का सामान तथा कालीन भी खरीदी जा सकती है। खरीददारी के लिए सरकारी एम्पोरियम, खादी ग्रामोद्योग भवन को ही प्राथमिकता दें।

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अमरनाथ पर्यटन जम्मू कश्मीर

अमरनाथ भगवान शिव के उपासकों के लिए भारत में सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ है। अमरनाथ गुफा प्राकृतिक रूप से बर्फ से निर्मित शिवलिंग को प्रदर्शित करता है। इस डेस्टीनेशन पर हर साल लाखों पर्यटक जाते हैं, जिसे अमरनाथ यात्रा के नाम से जाना जाता है। इस शहर में स्थित अमरनाथ गुफा को तीर्थयात्रियों के लिए एक श्रद्धालु स्थान माना जाता है। ये वही गुफा है, जहां भगवान शिव ने देवी पार्वती को जीवन और अनंत काल का रहस्य बताया था।

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वैष्णो देवी

हसीन वादियों में त्रिकूट पर्वत पर गुफा में विराजित माता वैष्णो देवी का स्थान हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए आते हैं। माता वैष्णो देवी का मंदिर राज्य के जम्मू जिले में कटरा नगर के समीप स्थित है। माता का ये मंदिर उत्तरी भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। जम्मू से वैष्णोदेवी की दूरी 42 किमी है तथा बाकी 14 किमी की दूरी पैदल चढ़ाई या खच्चर द्वारा तय करनी पड़ती है।

आपको बता दें कि यहां हर साल लाखों तीर्थयात्री माता के दर्शन के लिए आते हैं। माता के इस मंदिर के बारे में ये भी बताया जाता है कि यहां भारत के तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद सबसे ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। माता के भवन में पहुँचने वाले यात्रियों के लिए जम्मू, कटरा, भवन के आसपास आदि स्थानों पर माँ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की कई धर्मशालाएँ और होटल हैं, जिनमें विश्राम करके आप अपनी यात्रा की थकान को मिटा सकते हैं, जिनकी पहले से बुकिंग कराके आप परेशानियों से बच सकते हैं। आप चाहें तो प्राइवेट होटलों में भी रुक सकते हैं।

कश्मीर

कश्मीर जिसे मुगल बादशाहों ने धरती का स्वर्ग भी कहा था। सालों के आतंकवाद के दौर के दौरान पर्यटकों की सुख-सुविधाओं के साधन अपनी आभा खो चुके हैं लेकिन उन स्थलों की आभा अभी भी बरकरार है, जो देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं। ललितादित्य मुख्तापिद हिन्दू साम्राज्य का आखिरी सम्राट था जिसने 1339 तक कश्मीर पर शासन किया था जबकि वर्ष 1420 से 70 एडी तक इस पर सम्राट जैन-उल-द्दीन का राज्य रहा था, जो सिर्फ बदशाह के नाम से ही नहीं जाना जाता था बल्कि वह संस्कृत भाषा का एक स्नातक भी था। जबकि बादशाह अकबर ने मुगलों के लिए कश्मीर पर कब्जा इसलिए कर लिया, क्योंकि उन्हें श्रीनगर बहुत ही खूबसूरत लगा था तभी तो उन्होंने श्रीनगर शहर में मुगल उद्यानों तथा अनेक मस्जिदों का निर्माण करवाया था। लेकिन मुगलों का शासन भी अधिक देर तक नहीं चला, क्योंकि सिखों के बादशाह महाराजा रणजीत सिंह ने मुगलों को कश्मीर से 1839 में उखाड़ फेंका तो 1846 में डोगरा शासकों ने अमृतसर संधि के तहत 75 लाख रुपयों में खरीद लिया और देश के विभाजन के समय 1947 में जम्मू-कश्मीर एक राज्य के रूप में भारत का एक हिस्सा बन गया। जो कश्यप ऋषि की धरती के नाम से भी जाना जाता है।

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श्रीनगर

झेलम नदी के तट पर स्थित श्रीनगर, जो जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी है और अपनी विशिष्टताओं के कारण देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। अनेक जातियों, संस्कृतियों व भाषाओं का संगम बना यह शहर एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है। इस शहर की खासियत झरने तथा मुगल शासकों द्वारा बनवाए गए उद्यान हैं, जो चाथी व पांचवीं सदी की खूबसूरती को भी प्रस्तुत करते हैं।

कश्मीर के हृदय में बसा श्रीनगर कस्बा दरिया झेलम के दोनों किनारों पर फैला हुआ है। नगीन और ‘डल झील’ जैसी विश्वप्रसिद्ध झीलें श्रीनगर कस्बे की जान कही जा सकती हैं जबकि अपने लुभावने मौसम के कारण श्रीनगर पर्यटकों को सारा वर्ष आकर्षित करता रहता है। यहां घर-नावों के लिए प्रसिद्ध है।

‘राजतरंगिनी’ के लेखक कल्हण का कहना है कि ‘श्रीनगरी’ की स्थापना महाराजा अशोक ने तीसरी सदी बीसी में की थी जबकि वर्तमान के श्रीनगर शहर का निर्माण परावरशना द्वितीय तथा हून तसेंग ने 631 एडी में उस समय किया था, जब उन्होंने इस शहर का दौरा किया था।
आज कश्मीर का सबसे खूबसूरत शहर श्रीनगर विश्वभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, जो 103.93 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला हुआ और समुद्र तल से 1730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

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डल झील : शहर के बीच में ही स्थित विश्वप्रसिद्ध डल झील शहर के पूर्व में स्थित है और श्रीधरा पर्वत के चरणों में है। वर्तमान में डल झील का क्षेत्रफल 12 वर्ग किमी रह गया है जबकि कभी यह 28 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में होती थी। इसके बीच में अनेक द्वीप भी स्थित हैं, जो अपने आप में खूबसूरती के केंद्र हैं। इसके अतिरिक्त शहर में कई उद्यान भी हैं, जो मुगल उद्यानों के रूप में जाने जाते हैं और वे सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुले रहते हैं।

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गुलमर्ग

गुलमर्ग पर्यटन की दृष्टि से भारत के हिल्स स्टैशनो में सबसे खुबसूरत स्थल है। इसकी सुंदरता के कारण इसे ” धरती का स्वर्ग ” एंव ” भारत का स्विट्जरलैंड” भी कहा जाता है। गुलमर्ग की स्थापना अंग्रेजो ने सन् 1927 में अपने शासनकाल के दौरान की थी। गुलमर्ग का वास्तविक नाम ” गौरीमर्ग ” था जो यहा के चरवाहो ने इसे दिया था। 15 वी शताब्दी में कश्मीरी शासक युसुफ शाह ने इसका नाम बदलकर गुलमर्ग रखा था। आज यह सिर्फ पहाडो का शहर ही नही बल्कि यहा विश्व का सबसे बडा गोल्फ कोर्स और देश का प्रमुख स्कीइंग रिजार्ट भी है। इसे फूलों की घाटी कहा जा सकता है। स्कीइंग में रूची रखने वालो के लिए गुलमर्ग देश का ही नही बल्कि इसकी गिनती विश्व के सर्वोत्तम स्कीइंग रिजार्ट में की जाती है। दिसम्बर में गुलमर्ग में बर्फबारी होने के बाद यहा बडी संख्या में पर्यटक स्कीइंग करने जाते है। गुलमर्ग का नजदीकी हवाई अड्डा श्रीनगर है। जो यहा से 56 किलोमीटर दूर है। यहा से आप गुलमर्ग जाने के लिए किराए के वाहनो की सेवाएं ले सकते है।

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पहलगाम : श्रीनगर से 96 किमी की दूरी पर स्थित पहलगाम एक बहुत ही रमणीय पर्यटन स्थल है, जो दरिया लिद्दर के किनारे पर स्थित है तथा अमरनाथ की वार्षिक यात्रा का बेस कैम्प भी है। पहलगाम में छोटे घर, हरे-भरे खेत और केसर के खेत, घाटियाँ बहुत खूबसूरत हैं। आप इस जगह को कवर करने वाले कई पहाड़ों में से एक पर ट्रेक कर सकते हैं। 18 होल गोल्फ कोर्स पहलगाम के बर्फीले वातावरण के बीच स्थापित है। पहलगाम जाने के लिए अप्रैल से नवंबर के प्रथम सप्ताह तक का मौसम सबसे बढिय़ा होता है।

सोनामार्ग : यहां भी अक्टूबर से मार्च तक आने का मौसम बहुत बढिय़ा है। यह श्रीनगर से लेह की ओर जाने वाले मार्ग में आता है तथा इस स्थान के बारे में प्रसिद्ध है कि इसका पानी अपने आप में सोने को समेटे हुए है और सभी को सोना बना देता है। ये घने जंगलों सोनमर्ग गूलर और अल्पाइन फूल, सिल्वर बर्च, देवदार और पाइन की खुशबू के साथ भरा हुआ है।

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लेह लद्दाख

लेह लद्दाख वास्तव में पृथ्वी पर एक स्वर्ग है। दुनिया की सबसे शक्तिशाली पर्वत श्रृंखलाओं में से दो, ग्रेट हिमालय और काराकोरम से घिरा है। तीन रंगों की धरती लद्दाख अपने आप में अनेक रहस्यों को समेटे हुए है। आकाश से इस पर अगर एक नजर दौड़ाई जाए तो मिट्टी रंग की जमीन में सफेद चादर बर्फ की देख आनंदित हुए बिना नहीं रहा जा सकता। जबकि घाटी में सफेद बर्फ से ढंके इन पहाड़ों की परछाइयां भी भयानक और खूबसूरत काली जमीन को प्रस्तुत करती हैं। और यूं आदमी धरती की ओर लौटता है तो उसे यह धरती और भी खूबसूरत नजर आने लगती है, जहां फूलों की घाटियों के साथ-साथ लामाओं की कतारें देख लगता है जैसे आदमी किसी परीलोक में आ गया हो।

लद्दाख आरंभ से ही इतिहास के पृष्ठों में रहस्यों से भरी भूमि के रूप में जाना जाता रहा है। कहा जाता है कि एक चीनी यात्री फाह्यान द्वारा 399 एडी में इस प्रदेश की यात्रा करने से पहले तक यह धरती रहस्यों की धरती थी और इसे दर्रों की भूमि के रूप में भी जाना जाता है तभी इसका नाम ‘ला’ और ‘द्दागस’ के मिश्रण से लद्दाख पड़ा है, जो समुद्र तल से 3,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित और करीब 97,000 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला होने के कारण राज्य का सबसे बड़ा प्रदेश है।

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जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा प्रदेश होने के साथ-साथ लद्दाख विशिष्टताओं के कारण देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। अनेक जातियों, संस्कृतियों व भाषाओं का संगम बना यह प्रदेश एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है। यह एक ओर पाकिस्तान तो दूसरी ओर चीन से घिरा हुआ है। लद्दाख के पर्वत पर्वतारोहण करने वालों के मध्य काफी लोकप्रिय हैं। हमेशा बर्फ से ढंके रहने के कारण लद्दाख के अधिकतर भाग कई-कई महीने समस्त विश्व से कटे रहते हैं लेकिन फिर भी मई से लेकर नवंबर तक का मौसम इस क्षेत्र में जाने का सबसे अच्छा समय है। जम्मू रेलवे स्टेशन से लद्दाख की दूरी 690 किमी है। लेह तक पहुंचने के लिए जम्मू-श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग है।

लद्दाख उत्सव : यह प्रत्येक वर्ष अगस्त में मनाया जाता है और इसका आयोजन पर्यटन विभाग की ओर से किया जाता है। इसके दौरान विभिन्न बौद्ध मठों में होने वाले धार्मिक उत्सवों का आनंद पर्यटक उठाते हैं।

कारगिल : लद्दाख क्षेत्र का सबसे ब?ा और दूसरा कस्बा कारगिल है, जो श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच आता है, जहां पर द्रास, सुरू घाटी, रंगदुम, मुलबेक, जंस्कार, करशा, बुरदान, फुगताल, जोंगखुल आदि स्थान देखने योग्य हैं, जो अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध हैं।

कैसे जाएं जम्मू-कश्मीर ?

वायुमार्ग – अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर तथा लेह से जम्मू के लिए इंडियन एयरलाइंस तथा मोदी लुफ्त की सीधी उड़ानें हैं। हवाई अड्डा पुराने शहर से 7 किमी दूर स्थित है।

रेलमार्ग- देश के सभी प्रमुख शहरों से जम्मू के लिए रेल सेवा उपलब्ध है। कोलकाता, भोपाल, अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई, पठानकोट, चेन्नई तथा कन्याकुमारी के लिए जम्मू से सीधी रेल सेवाएं हैं।

सडक़ मार्ग – राष्ट्रीय राजमार्ग से जम्मू देश के मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है। जम्मू से अन्य प्रमुख शहरों के लिए प्रत्येक मौसम के लिए अच्छी सडक़ें उपलब्ध हैं। जम्मू के लिए सीधी बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं।