हल्द्वानी-अब पत्रकारों को ऐेसे मिलेंगी पेंशन, जानिये कैसे मिलेगा योजना का लाभ

Haldwani News- पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है। प्रतिपल परिवर्तित होने वाले जीवन और जगत का दर्शन पत्रकारिता द्वारा ही संभंव है। परिस्थितियों के अध्ययन, चिंतन-मनन और आत्माभिव्यक्ति की प्रवृत्ति और दूसरों का कल्याण अर्थात् लोकमंगल की भावना ने ही पत्रकारिता को जन्म दिया। समाज की हर गतिविधियों पर नजर, राजनीति से सरकार तक विकास
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हल्द्वानी-अब पत्रकारों को ऐेसे मिलेंगी पेंशन, जानिये कैसे मिलेगा योजना का लाभ

Haldwani News- पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है। प्रतिपल परिवर्तित होने वाले जीवन और जगत का दर्शन पत्रकारिता द्वारा ही संभंव है। परिस्थितियों के अध्ययन, चिंतन-मनन और आत्माभिव्यक्ति की प्रवृत्ति और दूसरों का कल्याण अर्थात् लोकमंगल की भावना ने ही पत्रकारिता को जन्म दिया। समाज की हर गतिविधियों पर नजर, राजनीति से सरकार तक विकास कार्यों का सही उल्लेख एक पत्रकार ही कर सकता है। आज कई जगह पत्रकार संगठन या समिति बन चुकी है। वही एक उम्र के बाद उन्हें जीवनव्यापन करने लिए आर्थिक मदद की दरकरार रहती है। ऐसे में पत्रकारों के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने उन्हें पेंशन देने की योजना बनाये है। आइय जानते है कैसे पत्रकारिता में आप पेंशन प्राप्त कर सकते हैं।

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हल्द्वानी-अब पत्रकारों को ऐेसे मिलेंगी पेंशन, जानिये कैसे मिलेगा योजना का लाभ

उत्तराखंड में पत्रकार पेंशन योजना का लाभ-

सूचना एवं लोक संपर्क विभाग द्वारा पत्रकारों एवं उनके आश्रितों के लिए पत्रकार कल्याण कोष में जमा मूलधनराशि के अर्जित ब्याज से सापेक्ष ही लाभार्थियों का निर्धारण करते हुए पेंशन का भुगतान किया जायेगा।
इसके लिए अतिरिक्त धनराशि की मांग नहीं की जायेगी। पत्रकारों को 5000 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जायेंगी।

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देखें वीडियों….

योजना के पात्र-

वह उत्तराखंड का स्थाई निवासी हो।
वह 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो या फिर उससे ऊपर हो।
ऐसे पत्रकार जो किसी अन्य पेंशन योजना से लाभान्वित न हो, तथा जिनकी समस्त स्रोतो से वार्षिक आय 1.50 लाख से अधिक न हो।
कम से कम 25 साल का पत्रकारिता में अनुभव हो।
ऐसे वयोवृद्ध पत्रकार/स्वतंत्र पत्रकार/फोटाग्राफर/कैमरामैन जो उत्तराखंड/यूपी या फिर जिला स्तर पर कम से कम 5 साल मान्यता प्राप्त पत्रकार रह चुका हो। अथवा 10 वर्ष तक श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम-1955 के प्राविधानों के अन्तर्गत श्रमजीवी पत्रकार रह चुके हो।