हल्द्वानी-आयकर और जीएसटी हटाये केन्द्र सरकार, बोले राजेश अग्रवाल बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स लागू

हल्द्वानी-प्रान्तीय संयुक्त महामंत्री एवं जीएसटी प्रदेश प्रभारी, प्रान्तीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड राजेश अग्रवाल ने कहा कि देश में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में निरंतर सुधार की प्रक्रिया के परिवेश में जब वर्तमान स्थितियों में पिछले 73 वर्षों से जो भी सुधार के लिए सकारात्मक कदम उठाए गए है, उससे हमेशा करदाताओं को ही कर
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हल्द्वानी-आयकर और जीएसटी हटाये केन्द्र सरकार, बोले राजेश अग्रवाल बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स लागू

हल्द्वानी-प्रान्तीय संयुक्त महामंत्री एवं जीएसटी प्रदेश प्रभारी, प्रान्तीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड राजेश अग्रवाल ने कहा कि देश में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में निरंतर सुधार की प्रक्रिया के परिवेश में जब वर्तमान स्थितियों में पिछले 73 वर्षों से जो भी सुधार के लिए सकारात्मक कदम उठाए गए है, उससे हमेशा करदाताओं को ही कर अनुपालन के लिए व्यवाहारिक अथवा अव्यवहारिक कठिनाई का सामना करना पड़ा।

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जीएसटी में छोटे व्यवसायों को समायोजित करने के लिए कुछ बदलाव किए गए हैं, लेकिन वे अभी भी पर्याप्त नहीं हैं। जीएसटी अपने वर्तमान स्वरूप में बहुत जटिल प्रक्रिया है और यह एक विफलता है। टैक्सेशन वसूल करने वाले सारे सिस्टम जटिलत होते जा रहे हैं, क्योंकि सरकार व्यवस्था इतनी पारदर्शी बना देना चाहती है कि कोई टैक्स चोरी ना कर सकें। यह एक बहुत अच्छी सोच है। लेकिन वास्तव में यह बीमारी का जड़ से इलाज नहीं है। कर सुधारो की प्रक्रिया का इलाज करते करते यह कर व्यवस्था विकराल तथा भयंकर रूप से जटिल होती जा रही है और छोटे कारोबारियों को खत्म कर रही है।

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उन्होंने कहा कि वास्तव में कर प्रणाली के सिस्टम मे निरंतर सुधारों से ना केवल यह व्यवस्था आम आदमी बल्कि सीए, वकीलों की समझ से भी परे होता जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि अब एक पूर्ण ओवरहाल करढाचा सृढ़ण व सशक्त रूप से आसान व सरल रूप से तथा पहले से ज्यादा प्रभावशाली व बहुपयोगी व फलात्मक बनाने की आवश्यकता है। देश के अर्थशास्त्रियों, बुद्धिमान व प्रबुद्धजनों से राय मश्वरा करते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्रालय को टैक्स व्यवस्थाओं में सकारात्मक बदलाव पर विचार-विमर्श कर, बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स लागू करने पर विचार- विमर्श करना चाहिए। यह कर व्यवस्था देश की बहुत-सी मुसीबतों का अंत कर सकेगा और वर्तमान में आज अगर अनुमानित छह से सात प्रतिशत लोग टैक्स देते हैं तो बैंकिंग ट्रांजैक्शन में सम्भवत: शत-प्रतिशत लोग बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स भरते हुए राष्ट्रनिर्माण व देश की अर्थव्यवस्था को सीधे 10 ट्रिलियन से आगे ले जाने में महत्तवपूर्ण योगदान प्रदान कर सकेंगे तथा कारोबार भी पारदर्शी हो जाएंगे और सभी लोग इसे सहर्ष स्वीकार करने को तैयार हो सकते है।

उन्होंने कहा कि संभवत: यह कर सुधार के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान कर सकता है और कराधान में प्रमुख प्रगतिशील सुधार लाने के लिए प्रेरित करने की अपार संभावनाए रखता है तथा देश को विश्व में विकसित देशों की श्रेणी में प्रथम स्थान पर पहुंचने में महत्वपूर्ण व कारगर साबित होगा। काले धन को खत्म करने के लिए छोटे बड़े कारोबारियों व्यापारियों को खत्म करने की जरूरत नहीं है। परन्तु भारत की कर प्रणाली को कैसे तर्कसंगत बनाया जाए इसका ईमानदारी से सही हल निकालने की आवश्यकता है। कराधान कानूनों को सरल बनाने की आवश्यकता है। जहां और जब भी संभव हो, दंडात्मक कार्रवाही के खतरे के बजाय सकारात्मक सुदृढ़ीकरण का उपयोग करदाताओं के व्यवहार को प्रभावित करने और लंबे समय तक चलने वाले व्यवहार परिवर्तनों को लाने के लिए किया जाना चाहिए। यह व्यापार दंड पद्धति का अंत करने का समय है।

उन्होंने कहा कि कारोबारियों को दिनोदिन बढ़ते दंड व्यवस्था से व्यापारियों के व्यवसाय खत्म हो रहे हैं। हमें ऐसी कर प्रणाली की क्या आवश्यकता है जो व्यवसायियों को जेलों में डाल दे अथवा जो आपके व्यवसायों को मामूली गलतियों के कारण खत्म ही कर डाले। अगर अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन से भी आगे लेकर जाना है तो आवश्यक है, सभी टैक्स हटाओ और बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स लाओ एवं 10 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाओ’, बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स सभी बैंकों के लेनदेन पर वाणिज्यिक बैंकों द्वारा लगाया जाने वाला एक फ्लैट, एकल बिंदु कर होगा तथा इसे लागू करना सरल होगा और व्यावहारिक रूप से शून्य अनुपालन लागत होगी। बैंकिंग प्रणाली की तह के भीतर उन लोगों की संख्या में और भी अधिक वृद्धि होने की उम्मीद है। बीटीटी से आवश्यक कर राजस्व उत्पन्न होने की अधिक प्रबल संभावनाएं है।