देहरादून- सरकार की पिरुल से बिजली बनाने की नीति का ऐसे उठायें लाभ, मिलेगी 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी

Uttarakhand Pirul Niti 2018, उत्तराखंड की पहाड़ियों में अधिक मात्रा में पाये जाना वाला पिरुल (चीड़ की पत्तियां) अब आपके घरों को रौशन करने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। उत्तराखंड सरकार ने पिरुल से बिजली बनाने की इस योजना की सभी तैयारी पूरी कर ली है। जिसका लाभ अब शहर में रहने वाले
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देहरादून- सरकार की पिरुल से बिजली बनाने की नीति का ऐसे उठायें लाभ, मिलेगी 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी

Uttarakhand Pirul Niti 2018, उत्तराखंड की पहाड़ियों में अधिक मात्रा में पाये जाना वाला पिरुल (चीड़ की पत्तियां) अब आपके घरों को रौशन करने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। उत्तराखंड सरकार ने पिरुल से बिजली बनाने की इस योजना की सभी तैयारी पूरी कर ली है। जिसका लाभ अब शहर में रहने वाले लोगों के साथ ही दूर दैराज पहाड़ी इलाकों में बसे लोगो को भी पहुंचने लगा है। दरअसल सरकार पिरुल से बिजली बनाने का मौका उत्तराखंड वासियों को देने जा रही है।

जिसके लिए आप सरकार की मदद से पिरुल से बिजली बनाने का प्लांट लगा सकते है।(How To Produce Electricity with Pine Needles) इस प्लांट के माध्यम से पैदा होने वाली बिजली आप उत्तराखंड विद्ययुत विभाग को बेच भी सकेंगे। जिसके लिए यूपीसीएल से आपकी कंपनी का टाईअप कर दिया जाएगा। सरकार का ये कदम का केवल प्रदेश में युवाओं के लिए रोजगार के रास्ते खोलेगा बल्की पलायन को रोकने में भी मददगार साबित होगा।

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देहरादून- सरकार की पिरुल से बिजली बनाने की नीति का ऐसे उठायें लाभ, मिलेगी 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी

कैसे उठायें सरकार की पिरुल नीति का फायदा

उत्तराखंड सरकार द्वारा पिरुल नीति वर्ष 2018 में शुरू की गई। जिसका लाभ आज प्रदेश के कई लोग उठा रहे है। इस नीति का लाभ उठाने के लिए आप भी अपने शहर या गांव के नजदिगी उरेडा कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते है। इसके लिए आप ऑनलाईन भी आवेदन कर सकते है। जिसमें आपको उरेडा की वेबसाईट ureda.uk.gov.in में जाकर आवेदन फार्म हासिल करना होगा। ये तो रही बात कि आप किस तरह पिरुल नीति का आवेदन फार्म प्राप्त कर सकते है।

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लेकिन अगर आप उरेडा से वाकिफ नहीं है, तो हम आपको बता दें कि सरकार ने इस नीति का क्रियान्वयन वन विभाग एवं उरेडा को सौंपा है। इस नीति में आवेदन कब करना है इसकी जानकारी विभाग द्वारा न्यूज पेपर या उपर दी गई उरेडा की ऑफिशियल वेबसाईड में विज्ञप्ति जारी कर दी जाती है। जिसमें देहरादून में होने वाली टेंडर प्रक्रिया के बाद आप आवेदन कर सकते है। आवेदन करने के लिए आपको 11 हजार रुपये आवेदन शुल्क चुकाना होगा। इसके साथ ही फार्म भरने के बाद आगे की प्रक्रिया के लिए 25 हजार प्रति 100 किलो वाट के हिसाब से देना होगा।

कितनी है प्लांट की कीमत

पिरुल से 25 किलोवाट तक की बिजली बनाने के प्लांट के निर्माण में 25 लाख का खर्च है। जिससे हर वर्ष लगभग 140000 यूनिट बिजली पैदा हो सकती है। इसके अलावा 10 किलोवाट का पाइन नीडल गैसीफायर प्लांट की कीमत लगभग 11 लाख रुपये है। जिसमें एक या दो लोग काम करेंगे। आवेदन करने के बाद पिरुल प्लांट लगाने की अनुमति बोली द्वारा दी जाएगी। जिसमें जो भी आवेदक सबसे कम दाम में विद्ययुत विभाग को बिजली बेचने के लिए बोली लगाएगा उसको प्लांट लगाने की अनुमति सरकार द्वारा दी जाएगी।

जिसके बाद बैंक से आप प्लांट लगाने के लिए 100 प्रतिशत लोन लें सकेंगे। इसमें यू.पी.सी.एल को बिजली बेचने की अधिकतम राशी 5 रुपये प्रति यूनिट है। उत्पादित बिजली को अपने परिसर में उपयोग करने के बाद यूपीसीएल के ग्रिड में सप्लाई की जाएगी। विद्युत को ग्रिड बेचने पर आपको प्रति वर्ष लगभग 7.2 लाख की धनराशि यू.पी.सी.एल से प्राप्त हो सकेगी। इतना ही नहीं प्लांट के संचालन एवं रख-रखाव के लिए हर वर्ष 1.60 लाख की आय भी प्राप्त होगी।

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कितनी जमीन होने पर करें आवेदन

इस परियोजना में पिरूल बिजली प्लांट निर्माण के लिए कम से कम 100 किलोवाट के लिए 1000 वर्ग मीटर भूमी होनी आवश्यक है। जिसके कागज आपको टेंडर प्रक्रिया के बाद दिखाने होंगे। इसके अलावा यदि आपके पास पर्याप्त जमीन नहीं है, लेकिन आप इस निति का फायदा उठाना चाहते है, तो ऐसे में आप आवेदन के 9 महिने के भीतर जमीन के लीस पेपर उरेडा दफ्तर पर दिखा सकते है। 9 महिने के भीतर यदि आप जमीन के पेपर नहीं दिखा सके। तो इन हालातों में आपकी आवेदन की राशी व्यर्थ चली जाएगी। जो आपको वापस नहीं मिलेगी।

पिरुल कैसे होगा एकत्रित

बात अगर 10 किलोवाट पाइन नीडल गैसीफायर प्लांट की करें तो एक घंटे में 15 से 16 किलोग्राम पिरूल की खपत होती है। इससे जंगल के एकत्रित करने के लिए आप ग्रामीणों को रोजगार भी दे सकत है। ग्रामीण पीरुल को नजदीक के जंगलों से फांचा (ढेरी) बना कर लाएंगे। उन्हें 2 रुपये प्रति किलो की दर से भुगतान किया जा सकता हैं। एक बार में एक ग्रामीण औसतन 35 से 40 किलो तक पिरूल एकत्रित कर ला सकता है। बिजली उत्पादन के लिए जरूरी पिरूल को जंगलो से एकत्रित करने की अनुमति आपको वन विभाग द्वारा प्रदान की जाएगी।

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पिरूल से विद्युत उत्पादन के फायदे

पिरूल से विद्ययुत उत्पादन के लिए बायोमास के रूप में प्रयोग से बहुआयामी फायदे हैं। विद्युत उत्पादन के अलावा जंगल की सतह से पिरूल एकत्री करने से जंगलों में लगने वाली आग का खतरा नहीं रहेगा। इससे वन औषधि और जल स्रोतों को भी सुरक्षा मिलेगी। पिरूल एकत्रीकरण से ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा। विद्ययुत उत्पादन के बाद पिरूल के अपशिष्ट का प्रयोग कोयला बनाने में होगा। खाना बनाने में इसके प्रयोग से पेड़ों के कटान में कमी आएगी।

उद्योग विभाग देगा सब्सिडी

पिरुल नीति के अंतर्गत उर्जा प्लांट लगने के बाद उद्योग विभाग द्वारा आपको सब्सिडी की एक रकम भी हर माह दी जाएगी। जो आपके प्लांट द्वारा यू.पी.सी.एल को बिजली सप्लाई करने की प्रक्रिया शुरु होने के बाद जारी की जाएगी। ये सब्सिडी उद्योग विभाग द्वारा प्लांट की क्षमता और क्षेत्र की स्थिती को देखते हुए रखी गई है। जिसकी जांच करने के बाद ही आपको विभाग द्वारा 25, 35 या 40 प्रतिशत की सब्सिडी राशी दी जाएगी।