दीपावली 2019, जानिए दिवाली का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा का विधि विधान

दिवाली 2019 का शुभ मुहूर्त – दीपावली जिसे हम रोशनी का पर्व भी कहते है, वर्ष 2019 में दीपावली 27 अक्टूबर रविवार के दिन मनाई जायेगी। सभी हिन्दू लोग कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का त्यौहार मनाते है। इस दिन शाम को घर में पूरा परिवार मिलकर पूजा करता है। यह त्यौहार जब आता
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दीपावली 2019, जानिए दिवाली का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा का विधि विधान

दिवाली 2019 का शुभ मुहूर्त – दीपावली जिसे हम रोशनी का पर्व भी कहते है, वर्ष 2019 में दीपावली 27 अक्टूबर रविवार के दिन मनाई जायेगी। सभी हिन्दू लोग कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का त्यौहार मनाते है। इस दिन शाम को घर में पूरा परिवार मिलकर पूजा करता है। यह त्यौहार जब आता है तब अपने संग अनेक त्यौहार लेकर आता है। दिवाली का त्यौहार जीवन में ज्ञान रुपी प्रकाश लानेवाला त्यौहार है, तो वही सुख-समृद्धि की कामना के लिए भी इस त्यौहार से बढक़र दूसरा और कोई त्यौहार नहीं है, इसलिए इस दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक रूप से दीपावली बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है।

दीपावली 2019, जानिए दिवाली का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा का विधि विधान

कई सप्ताह पूर्व ही दीवाली की तैयारियां शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों-दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरम्भ कर देते है। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का काम होने लगता है। लोग अपनी दुकानों को भी सा? सुथरा कर सजाते हैं। बाजारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दिवाली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब साफ-सुथरे तथा सजे-धजे नजर आने लगते है, रोशनी की जगमगाहट से पूरा भारत देश खिल उठता है। इस दिन पूरे देश में आतिशबाजी की जाती है, लोगों में दीपावली को लेकर बहुत उमंग होती है।

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दिवाली तिथि व शुभ मुहूर्त

  • दिवाली का त्यौहार 27 अक्टूबर रविवार के दिन मनाया जायेगा।
  • लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 27 अक्टूबर रविवार शाम 6 बजकर 42 मिनट से 8 बजकर 12 मिनट तक।
  • पूजा की कुल अवधि 1 घंटा 30 मिनट की होगी।
  • प्रदोष काल पूजा का समय होगा शाम 5 बजकर 36 मिनट से 8 बजकर 12 मिनट तक।
  • अमावस्या तिथि शुरू होगी 27 अक्टूबर रविवार दोपहर 12:23 मिनट पर।
  • वही अमावस्या तिथि समाप्त होगी 28 अक्टूबर सोमवार सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर।

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दिवाली पूजा व लक्ष्मी पूजन विधि

दिवाली के दिन भगवान गणेश और मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते है सांध्यकाल के समय चौकी पर लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर माँ लक्ष्मी के समीप चावलों पर जल से भरे कलश की स्थापना भी कर ले और घी के दीपक जलाये इसके बाद हाथ में जल व पुष्प लेकर सभी देवी देवताओं का आहवाहन करे और विधिवत पूजा करे पूजा के बाद घर के कोनों में भी दिए जलाकर रख दे. भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा के बाद धन के देवता कुबेर जी की पूजा भी अवश्य करें।

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दीपावली के पाँचों दिनों का हिन्दुओं के लिए महत्व

दीपावली के दिव्य चरित्र के अनुसार दीपावली का पांच दिनों का समारोह अलग-अलग महत्व को दर्शाता है। दीपावली का पहला दिन धनतेरस हिन्दुओं के नए वित्तीय वर्ष के प्रारंभ को दर्शाता है। दीपावली का दूसरा दिन छोटी दीवाली या नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है, जो भगवान कृष्ण की राक्षस नरकासुर पर जीत के रूप में जाना जाता है। दीवाली का तीसरा दिन मुख्य दीपावली के नाम से जाना जाता है, जो हिन्दुओं द्वारा देवी लक्ष्मी की पूजा करके देवी लक्ष्मी के जन्म दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो बहुत समय पहले देवताओं और राक्षसों द्वारा समुद्र मंथन से उत्पन्न की गयी थी। वे मानते है की इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से उनके ऊपर धन, बुद्धि और समृद्धि की बरसात होगी। दीपावली का चौथा दिन बलि प्रतिपदा या गोवर्धन पूजा के नाम से जाना जाता है, जो भगवान विष्णु की राक्षस राजा बलि पर विजय के साथ साथ भगवान कृष्ण की घमंडी इंद्र के ऊपर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। दीपावली का पांचवा और अंतिम दिन यम द्वितीया या भाई दूज के नाम से जाना जाता है, जो हिन्दुओं में भाई-बहनों के रिश्ते और कर्तव्यों को मजबूती प्रदान करता है।

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दीपावली का आध्यात्मिक महत्व

हिंदू धर्म में प्रत्येक त्यौहार धार्मिक महत्व के साथ ही ज्योतिष महत्व भी रखता है माना जाता है कि त्यौहारों पर ग्रहों की दिशा और विशेष योग मनुष्य जीवन के लिए शुभ होते हैं। दीवाली के त्यौहार में धनतेरस के दिन किसी वस्तु की खरीददारी करना बेहद शुभ माना जाता है। इसके पीछे का ज्योतिष महत्व कहता है की इस समय सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में होते हैं जो की ग्रहो की बहुत ही उत्तम फल देने वाली स्थति होती है वही दीपावली आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से भी बहुत अधिक महत्व रखती है ये अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार कहा जाता है।