साइकिल का काम करने वाला बना अरबों का मालिक, जानिए सचदेव की संघर्ष की कहानी
कुमार सचदेव का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ थाए 15 वर्ष की उम्र में ही उन्होने एक सफल उद्योगपति का नाम हासिल कर लिया था। उन्होने युवा अवस्था में बड़े भाई के साथ दिल्ली में मिलकर साइकिल का काम करना शुरू किया इसके बाद कुछ सालों में कड़ी मशक्कत और महेनत करते हुए उन्होंने आज शुभकार्य को भारत की मुख्य कंपनियों में से एक बनाया। यह कंपनी तेज़ी से विकसित होने वाली टॉप 500 कंपनियों की सूचि में भी शामिल है।
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सचदेव ने तक़रीबन 90 देशो तक अपनी कंपनी को पहुचाया है उन्होंने भारत को होम यूपीएस भी दिया जिसमे यूपीएस और इन्वर्टर दोनों के गुण थे। कुंवर अपनी उपलब्धियों से कभी संतुष्ट नही थे और उनमे हमेशा कुछ नयी टेक्नोलॉजी का अविष्कार करने की भूक लगी रहती। कुवर अपनी उपलब्धियों से कभी संतुष्ट नही थे और उनमे हमेशा कुछ नयी टेक्नोलॉजी का अविष्कार करने की भूक लगी रहती। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यूपीएस की टेक्नोलॉजी में बदलाव किये। और आज कुंवर अपना पहला टच स्क्रीन यूपीएस लांच करने के लिए तैयार है।
जिसमे वाय-फाई की सुविधा भी दी गयी है। एक दिन ऐसा भी होगा शायद ही किसी ने सोचा होगा। और आज कुंवर अपना पहला टच स्क्रीन यूपीएस लांच करने के लिए तैयार है जिसमे वाय-फाई की सुविधा भी दी गयी है। कुंवर सचदेव का हमेशा से ही यह मानना था की यदि आप सपने देख सकते हो तो तो आप उन्हें पूरा भी कर सकते हो। और उनकी इसी सोच ने शुभकार्य को भारत की सबसे बड़ी पॉवर बैकअप सोल्यूशन कंपनी बनाया। वे अपने इस भारतीय ब्रांड को वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध करने चाहते थे और ऐसा करने में वे सफल भी हुए। अपने ब्रांड को वैश्विक स्तर पर फ़ैलाने के लिए उन्होंने कई विदेश यात्राये भी की थी। कुंवर के मार्गदर्शन में ही शुभकार्य तक़रीबन 90 देशो में स्थापित हो सकी। शुभकार्य अब इंटरनेशनल ब्रांड बन चूका था और इसके साथ ही अफ्रीका और नेपाल जैसे देशो में शुभकार्य को कई अवार्ड भी मिले।