देहरादून - नाम बदलने पर बोले यशपाल आर्य, मनरेगा की आत्मा पर हमला, नया कानून मजदूरों के अधिकार करता है कमजोर
देहरादून - नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर “विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)” किए जाने पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि नया कानून मनरेगा के मूल सिद्धांत “काम के अधिकार” को ही कमजोर करता है।
आर्य ने कहा कि यह बदलाव केवल महात्मा गांधी के नाम को हटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके प्रावधान ग्रामीण मजदूरों के लिए बेहद चिंताजनक हैं। पहले मनरेगा में केंद्र सरकार का अंशदान 90 प्रतिशत और राज्य सरकार का 10 प्रतिशत था, जबकि नई व्यवस्था में केंद्र का अंशदान घटाकर 60 प्रतिशत और राज्यों का हिस्सा 40 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि मनरेगा एक मांग-आधारित योजना थी, जिसमें मजदूर के काम मांगने पर केंद्र सरकार को रोजगार और भुगतान देना कानूनी रूप से अनिवार्य था। नई स्कीम में यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। अब काम पूर्व-निर्धारित मानकों और बजट के आधार पर मिलेगा। फंड खत्म होते ही रोजगार का अधिकार भी खत्म हो जाएगा और अतिरिक्त काम का भुगतान राज्य सरकार को करना होगा।
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि रोजगार की लीगल गारंटी को समाप्त कर इसे केंद्र द्वारा संचालित प्रचार योजना में बदल दिया गया है, जबकि खर्च राज्यों से कराया जाएगा। पहले ग्राम सभाओं और पंचायतों के माध्यम से स्थानीय जरूरतों के अनुसार काम तय होते थे, जिससे पंचायत व्यवस्था मजबूत होती थी, लेकिन नई स्कीम में यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर होगी।
आर्य ने कहा कि नई योजना में जीआईएस टूल्स, पीएम गति शक्ति, डिजिटल नेटवर्क, बायोमेट्रिक्स, जियो-टैगिंग और डैशबोर्ड अनिवार्य कर दिए गए हैं। इससे वे लाखों ग्रामीण मजदूर बाहर हो जाएंगे, जो इतनी तकनीक से परिचित नहीं हैं। साथ ही, राज्यों को मिलने वाला बजट भी केंद्र सरकार तय करेगी, जिससे राजनीतिक भेदभाव की आशंका बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि खेती-किसानी के सीजन में दो महीने तक मजदूरों को कोई काम नहीं मिलेगा, यानी इस अवधि में रोजगार की कोई गारंटी नहीं रहेगी। इससे मजदूर शोषण के लिए मजबूर होंगे और सरकार की जिम्मेदारी खत्म हो जाएगी।
आर्य ने सवाल उठाया कि क्या केवल नाम बदलने से गांव के मजदूरों की जिंदगी बदलेगी? क्या इससे बेरोजगारी और महंगाई कम होगी? उन्होंने कहा कि फंड में कटौती, मांग आधारित रोजगार की समाप्ति और राज्यों पर बढ़ता बोझ, मजदूरों को और अधिक असुरक्षित बना देगा।
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि देश में गरीबी खत्म करने के बजाय गरीबों को खत्म करने की नीति अपनाई जा रही है। धन के केंद्रीकरण के जरिए 90 प्रतिशत आबादी को “विकसित भारत” का सपना दिखाया जा रहा है।
यशपाल आर्य ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी ऐसे प्रावधानों का पुरजोर विरोध करेगी और करोड़ों गरीबों, मजदूरों व कामगारों के अधिकारों को छीने जाने नहीं देगी।
