Uttarakhand Health System - सड़क हादसों के बाद उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों का हाल, टॉर्च से होता है इलाज!

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Uttarakhand Health System - उत्तराखंड में सड़क हादसों में आये दिन कई लोग जान गवां रहे हैं, पर हैरानी की बात है की घायलों को उचित समय में इलाज नहीं मिल पाता है, डॉक्टरों के मुताबिक किसी भी दुर्घटना में घायल हुए लोगों को पहला आधा घंटा गोल्डन ऑवर कहलाता है, इस समय में इलाज मिलने पर 95% तक मरीज के बचने की संभावना होती है पर उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों का यह हाल है की किसी अस्पताल में स्टेचर नहीं मिलते हैं किसी अस्पताल में मोबाइल के टॉर्चों से इलाज होता है। 


आज कुमाऊं के रामनगर, भीमताल से लेकर पौड़ी तक के अस्पतालों का यही हाल है। सड़क हादसों में बसें गिरती हैं पर लोगों को इलाज के लिए तड़फना पड़ता है, इन तस्वीरों से पता चलता है डबल इंजन, ट्रिपल इंजन का खोखला प्रोपेगंडा हर बार बेनकाब होता नजर आता है। जनता की जरूरत के वक्त सारे दावे धरे के धरे रह जाते हैं। चुनावों में डेमोग्राफी चेंज का भय दिखाकर असल मुद्दों पर पर्दा डाल दिया जाता है।  


अल्मोड़ा के मरचूला में हुए सड़क हादसे के बाद यही हाल रामनगर का भी था, जहां लोगों को समय से इलाज नहीं मिला,  वहीं भीमताल में बस गिरने के बाद वहां अस्पताल में घायलों के लिए स्टेचर तक नहीं मिल पाए, बीते दिन पौड़ी में हुए हादसे के बाद जिले के जिला अस्पताल की यह घटना सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोलती है। अस्पताल में बिजली और जनरेटर जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी ने प्रदेश की स्वास्थ्य की पोल खोलकर रह दी है। यहां घायलों का डाक्टरों ने मोबाइल से इलाज किया, अब सवाल है हजारों करोड़ के स्वास्थ्य विभाग का बजट कहां जा रहा है।  
 

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