उत्तराखंड - नजूल भूमि के फ्री होल्ड पर लगी रोक, उत्तराखंड के लाखों लोगों को लगा बड़ा झटका, आदेश जारी

देहरादून - उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है। यह फैसला नैनीताल हाईकोर्ट की हालिया सिंगल बेंच के आदेश के बाद लिया गया है। इस निर्णय से प्रदेश के हजारों परिवार प्रभावित होंगे, जो वर्षों से नजूल भूमि पर काबिज हैं और फ्री होल्ड की उम्मीद लगाए बैठे थे।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई -
16 अप्रैल 2025 को नैनीताल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इसके बाद शासन ने मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से रोक दी।
क्या है नजूल भूमि और क्यों है विवाद -
नजूल भूमि वह जमीन होती है जिसे अंग्रेजों ने रियासतों से अधिग्रहित किया था और जिसे बाद में राज्य सरकारों ने लीज पर लोगों को आवंटित किया। हालांकि, बड़ी संख्या में लोग इस भूमि पर बिना वैध दस्तावेजों के वर्षों से काबिज हैं। राज्य सरकार ने 2009 और बाद में 2021 की नीतियों के तहत इन लोगों को शुल्क लेकर भूमि का मालिकाना हक देने की प्रक्रिया शुरू की थी।

2018 में असंवैधानिक करार, सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन -
जून 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने नजूल नीति 2009 को असंवैधानिक घोषित किया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 31 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगन (स्टे) लगा दिया था। इस बीच सरकार ने नजूल नीति 2021 लागू की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना ऐसा किया जाना भी विवाद में आ गया।
1.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित -
देहरादून, उधमसिंह नगर और नैनीताल जिलों में नजूल भूमि पर बनीं बस्तियों और कॉलोनियों में करीब डेढ़ लाख लोग रह रहे हैं। इनमें से कई पहले ही फ्री होल्ड प्रक्रिया के तहत जमीन का स्वामित्व प्राप्त कर चुके हैं, जबकि हजारों अब भी अधर में हैं।
राज्य के सचिव आवास आर. मीनाक्षी सुंदरम ने नजूल भूमि के फ्री होल्ड पर रोक के आदेश की पुष्टि करते हुए कहा कि फिलहाल इस प्रक्रिया को पूरी तरह रोक दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है, इसलिए भविष्य में कोई भी निर्णय न्यायालय के आदेशों पर निर्भर करेगा।