Uniform Civil Code - जानिए क्या है समान नागरिक सहिंता, क्यों पूरे देश की टिकी हैं उत्तराखंड पर नजरें 
 

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Uniform Civil Code - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंगलवार को भोपाल में दिए गए संबोधन से पूरे देश में एक बार फिर UCC को लेकर बहस छिड़ गई है समान नागरिक संहिता पूरे देश में उत्तराखंड की पहल पर लागू होने जा रही है। पीएम मोदी के भोपाल में दिए गए संबोधन से इसके पुख्ता संकेत मिले हैं। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का ड्राफ्ट बनाने के लिए गठित समिति इन दिनों इसे अंतिम रूप देने में जुटी है। 


क्‍या है Uniform civil code - 
यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। इसका अर्थ है एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।

क्‍यों जरूरी Uniform civil code - 
दरअसल, दुनिया के किसी भी देश में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून नहीं है। लेकिन भारत में अलग-अलग पंथों के मैरिज एक्ट हैं। इस वजह से विवाह, जनसंख्‍या समेत कई तरह का सामाजिक ताना-बाना भी बि‍गडा हुआ है। इसीलिए देश के कानून में एक ऐसे यूनिफॉर्म तरीके की जरूरत है जो सभी धर्म, जाति‍, वर्ग और संप्रदाय को एक ही सिस्‍टम में लेकर आए। इसके साथ ही जब तक देश के संविधान में यह सुविधा या सुधार नहीं होगा, भारत के पंथ निरपेक्ष होने का अर्थ भी स्‍पष्‍ट तौर पर नजर नहीं आएगा।

इसके साथ ही अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में लंबित पड़े फैसले जल्द होंगे। शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो। वर्तमान में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत करते हैं।

महिलाओं की स्थिति सुधरेगी - 
Uniform civil code लागू होने से महिलाओं की स्थिति सुधरेगी। कुछ धर्मों के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित हैं। इतना ही नहीं, महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे।

क्यों हो रहा विरोध - 
Uniform civil code का विरोध करने वालों का मत है कि ये सभी धर्मों पर हिन्दू कानून थोपने जैसा है। जबकि इसका उदेश्‍य साफतौर पर सभी को समान नजर से देखना और न्‍याय करना है। कई मुस्‍लिम धर्म गुरुओं और विशेषज्ञ Uniform civil code को लागू करने के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है कि हर धर्म की अपनी मान्‍यताएं और आस्‍थाएं होती हैं। ऐसे में उन्‍हें नजरअंदाज नहीं किया जा सक‍ता।

दुनिया के इन देशों में है Uniform civil code - 
भारत में समान इसे लेकर बड़ी बहस जारी रही है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देशों में Uniform civil code लागू किया जा चुका है।

Supreme Court ने क्‍या कहा - 

Uniform civil code को लेकर Supreme Court भी  कई बार अपनी टि‍प्‍पणी कर चुका है। Supreme Court ने इसके लिए अलग-अलग प्रकरणों का हवाला दिया और इस बारे में अपने तर्क रखे थे।

यूनिफॉर्म सिविल कोड की उत्पत्ति?
सिविल कोड की उत्पत्ति औपनिवेशिक भारत में हुई जब ब्रिटिश सरकार ने 1835 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें अपराधों, सबूतों और अनुबंधों से संबंधित भारतीय कानून के संहिताकरण में एकरूपता की आवश्यकता पर बल दिया गया, विशेष रूप से सिफारिश की गई कि हिंदुओं और मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को संहिताकरण के बाहर रखा जाए।

ब्रिटिश शासन के अंत में व्यक्तिगत मुद्दों से निपटने वाले कानूनों में वृद्धि ने सरकार को 1941 में हिंदू कानून को संहिताबद्ध करने के लिए बी एन राव समिति बनाने के लिए बाध्य किया। हिंदू कानून समिति का कार्य सामान्य हिंदू कानूनों की आवश्यकता के प्रश्न की जांच करना था। समिति ने शास्त्रों के अनुसार, एक संहिताबद्ध हिंदू कानून की सिफारिश की, जो महिलाओं को समान अधिकार देगा। 1937 के अधिनियम की समीक्षा की गई और समिति ने हिंदुओं के लिए विवाह और उत्तराधिकार की नागरिक संहिता की सिफारिश की।

देश की नजरें उत्तराखंड पर टिकी - 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने संबोधन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट इसके निर्देश दे चुकी है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सराहना कर चुके हैं। जाहिर है कि ऐसे में पूरे देश की नजरें उत्तराखंड पर टिक गई हैं। समझा जा रहा है कि उत्तराखंड में लागू होने वाली समान नागरिक संहिता में इससे जुड़े विभिन्न पहलू शामिल किए जाएंगे और इसे मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इससे केंद्र के साथ ही दूसरे राज्यों के लिए भी राह आसान होगी।

जल्द लागू होगा समान नागरिक संहिता - 
ऐसे में प्रदेश सरकार जल्द से जल्द इसे लागू करने के प्रयास में जुट गई है। माना जा रहा है कि समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद प्रदेश सरकार इसमें आवश्यकतानुसार कुछ संशोधन के साथ विधानसभा से विधेयक पारित कराने के बाद सरकार समान नागरिक संहिता लागू कर देगी। स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि समिति का फाइनल ड्राफ्ट आते ही सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने जा रही है।


73 साल पहले हुआ था संसद भवन में मंथन - 
आज से करीब 73 साल पहले 23 नवंबर 1948 को नवंबर माह में दिल्‍ली के संसद भवन में यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) को लेकर विमर्श किया जा रहा था। इस मुद्दे के केंद्र में था कि यूसीसी को संविधान में शामिल किया जाए या नहीं। लेकिन अंतत: इस पर कोई नतीजा सामने नहीं आ सका।


इस बात को आज 73 साल गुजर गए। इसे लेकर कुछ नहीं हो सका। आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है तो देश के तकरीबन हर शहर में चाय के ठेलों से लेकर कॉफी हाउस तक यह चर्चा रहती है कि सरकार UCC लागू करेगी, क्‍योंकि ‘एक देश, एक कानून’ का विचार आज आमतौर पर हर आदमी के जेहन में है। लोगों को उम्‍मीद इसलिए भी है कि मोदी सरकार अपने अतीत में किए गए सख्‍त फैसलों के लिए जानी जाती है।
 

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