हल्द्वानी - लालकुआं में ट्रेन की चपेट में आकर टस्कर हाथी की मौत, जानिए कब- कब हाथी कॉरिडोर में हुई है हाथियों की मौत

लालकुआं - उत्तराखंड के लालकुआं–बरेली रेलमार्ग पर सोमवार देर रात एक ट्रेन की चपेट में आने से एक 18 वर्षीय टस्कर हाथी की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा तराई केंद्रीय वन प्रभाग के अंतर्गत हाथी कॉरिडोर में हुआ, जहां पूर्व में भी इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं। हादसे के बाद वन विभाग और रेलवे प्रशासन में हड़कंप मच गया। वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि हाथी उछलकर रेलवे ट्रैक से दूर एक घर के पास जा गिरा।

एसडीओ अनिल जोशी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि हाथी की मौत आगरा फोर्ट एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आने से हुई है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जिस क्षेत्र में यह घटना हुई है वह हाथी कॉरिडोर घोषित है और यहां ट्रेनों की गति को नियंत्रित रखने के निर्देश पहले से मौजूद हैं। हादसे के समय ट्रेन की स्पीड क्या थी, इसकी जांच की जा रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में ट्रेन के लोको पायलट पर मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

लालकुआं–बरेली रेलमार्ग, जो उत्तराखंड के तराई क्षेत्र से होकर गुजरता है, एक महत्वपूर्ण हाथी कॉरिडोर के रूप में जाना जाता है। इस मार्ग पर पिछले वर्षों में कई हाथियों की ट्रेन से टकराकर मृत्यु हो चुकी है, जो वन्यजीव संरक्षण के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
पिछले वर्षों में हाथियों की मौतें:
मार्च 2018: लालकुआं-बरेली रेलमार्ग पर नागला बाईपास के पास एक हाथी की ट्रेन से टकराकर मृत्यु हुई।
मई 2018: पांच वर्षीय मादा हाथी की इसी रेलमार्ग पर ट्रेन से टकराकर मौत हो गई।
फरवरी 2022: बिंदुखत्ता क्षेत्र में एक वयस्क नर हाथी की मालगाड़ी से टकराकर मृत्यु हुई।
अप्रैल 2025: हाल ही में, एक 18 वर्षीय टस्कर हाथी की ट्रेन से टकराकर मौत हो गई, जिससे वन विभाग और रेलवे प्रशासन में हड़कंप मच गया।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि लालकुआं-बरेली रेलमार्ग पर हाथियों की मौतें एक नियमित समस्या बन गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में ट्रेन की गति को नियंत्रित करने, निगरानी प्रणाली स्थापित करने और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित मार्ग प्रदान करने जैसे उपायों की आवश्यकता है।