नैनीताल - हाईकोर्ट ने वन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों वाली याचिका पर की सुनवाई, राज्य सरकार को दिए यह आदेश
नैनीताल - उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कार्बेट नेशनल पार्क से सटे सुंदरखाल सहित राज्य के विभिन्न वन क्षेत्रों में रह रहे ग्रामीणों के विस्थापन और उनके अधिकारों से जुड़े मामले पर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। इंडिपेंडेंट मीडिया सोसाइटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई की।
कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वन क्षेत्रों में रह रहे ग्रामीणों के दावों की जांच और अधिकारों की सुनवाई के लिए गठित कमेटी में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के सदस्यों को भी शामिल किया जाए। अदालत ने कहा कि इससे प्रभावित ग्रामीणों को वनाधिकार कानून के तहत पट्टे प्राप्त करने और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की प्रक्रिया तेज होगी।
गौरतलब है कि कोर्ट इससे पूर्व यह जानना भी चाहती थी कि वर्ष 2014 में सुंदरखाल के ग्रामीणों के विस्थापन के लिए गठित कमेटी की सिफारिशों पर अब तक राज्य सरकार ने क्या कार्रवाई की है। ग्रामीण पिछले कई वर्षों से विस्थापन या फिर मूलभूत सुविधाओं की मांग करते चले आ रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि नैनीताल जिले के कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) से सटे सुंदरखाल क्षेत्र में 1975 से बसे ग्रामीणों को आज भी बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी जरूरी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। क्षेत्र दुर्गम होने के कारण हालात और भी गंभीर हैं। ग्रामीण लंबे समय से सुरक्षित स्थान पर विस्थापन की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा 2014 में कमेटी बनाने के बावजूद आज तक न तो विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हुई और न ही आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को जल्द कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया है कि वन खत्तों में रहने वाले लोगों के अधिकारों की रक्षा और उनके भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।
