देहरादून- उत्तराखंड में आयोजित हुआ पहला राज्य स्तरीय अंतरिक्ष सम्मेलन, विकसित भारत 2047 के विज़न को मिली नई उड़ान 

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देहरादून, 30 जून 2025 -  उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यू-सैक) द्वारा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से, ‘विकसित भारत 2047’ के निर्माण हेतु हिमालयीय राज्यों के परिप्रेक्ष्य में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं उसके अनुप्रयोगों पर आधारित राज्य स्तरीय अंतरिक्ष सम्मेलन का आयोजन आज मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में किया गया।

सम्मेलन का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। अपने उद्घाटन संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा, “उत्तराखण्ड केवल एक राज्य नहीं, यह प्रकृति, संस्कृति और संभावनाओं की भूमि है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी हमारे राज्य के विकास में एक सशक्त आधार बन सकती है।” उन्होंने कहा कि रिमोट सेंसिंग, सैटेलाइट मैपिंग, मौसम पूर्वानुमान जैसी तकनीकों से आपदा प्रबंधन, कृषि, जल संसाधन व चारधाम यात्रा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने इस सम्मेलन को 'विकसित भारत' की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया और कहा कि सम्मेलन के अमृत बिंदु आगामी राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन (22-23 अगस्त, नई दिल्ली) में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे। उन्होंने ब्लॉक स्तर तक भू-सूचना प्रणाली को लागू करने, शैक्षणिक संस्थानों में स्पेस टेक्नोलॉजी शिक्षा को बढ़ावा देने और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने का आह्वान भी किया।

इस अवसर पर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी हिमालयी क्षेत्रों में शासन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का माध्यम बनेगी। उन्होंने इसरो के सहयोग से हर जिले में विज्ञान केंद्र खोलने की घोषणा की।

विशिष्ट अतिथि के रूप में इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा कि भारत 2035 तक अपने अंतरिक्ष स्टेशन की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने उत्तराखंड के अंतरिक्ष उपयोग के प्रयासों की सराहना की और भरोसा जताया कि राज्य आने वाले वर्षों में स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरेगा।

सम्मेलन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव नितेश झा ने यू-सैक की उपलब्धियों की जानकारी दी और बताया कि कैसे उपग्रह आधारित तकनीकें राज्य की परिसंपत्तियों की निगरानी और योजनाओं के पारदर्शी क्रियान्वयन में सहायक बन रही हैं। उन्होंने जल्द ही डेटा सेंटर की स्थापना की घोषणा की।

कार्यक्रम में एनआरएससी-इसरो के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान, यू-सैक निदेशक प्रो. दुर्गेश पंत, तथा विभिन्न विभागों के सचिवों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला के दौरान राज्य के 50 से अधिक विभागों को 8 प्रमुख विषयों में विभाजित कर विभिन्न प्रस्तुतियाँ दी गईं। इन विषयों में शहरी विकास, जल संसाधन, आपदा प्रबंधन, वन एवं पर्यावरण, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि शामिल रहे।

कार्यशाला का सफल संचालन इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. समीर सरन और यू-सैक की वैज्ञानिक डॉ. सुषमा गैरोला द्वारा किया गया। यह सम्मेलन उत्तराखण्ड के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जो राज्य को विज्ञान-संचालित और डेटा-आधारित शासन की दिशा में अग्रसर करेगा।

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