नैनीताल - पुलिस भर्ती पर लगी रोक हटी, करीब दो हजार चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने दी हरी झंडी
नैनीताल - उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पुलिस, पीएसी और आईआरबी भर्ती प्रक्रिया में आयु सीमा में छूट देने से संबंधित याचिकाओं का निस्तारण करते हुए चयन प्रक्रिया पर लगाई गई अंतरिम रोक को हटा दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में करीब दो हजार पदों पर चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने चमोली निवासी रोशन सिंह व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि जब चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, तब आयु सीमा में छूट देने के निर्देश देने का कोई औचित्य नहीं रह जाता। कोर्ट ने कहा कि यदि आयु सीमा में छूट दी भी जाती है, तब भी ऐसे अभ्यर्थी विज्ञापन में निर्धारित पात्रता को पूरा नहीं करते। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जिन अभ्यर्थियों ने विज्ञापन में निर्धारित ऊपरी आयु सीमा पार कर ली है, उनके मामले में न्यायिक हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं बनता। ऐसे में चयन प्रक्रिया में बाधा डालने का कोई कारण नहीं है।
याचिका में कहा गया था कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 20 अक्टूबर 2024 को पुलिस, पीएसी और आईआरबी के करीब दो हजार पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें 1550 नए पदों के साथ वर्ष 2021-22 और 2022-23 के 450 रिक्त पद शामिल थे। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि लंबे समय से भर्ती न होने के कारण वे निर्धारित आयु सीमा पार कर चुके हैं, इसलिए उन्हें आयु सीमा में छूट दी जानी चाहिए। कोर्ट ने साफ कहा कि चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस प्रकार की राहतें नहीं दी जा सकतीं। विज्ञापन के अनुसार भर्ती के लिए 18 से 22 वर्ष की आयु निर्धारित की गई थी और याचिकाकर्ता इस आयु सीमा में नहीं आते।
राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत और प्रदीप हेड़िया ने पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने न तो भर्ती विज्ञापन और न ही कट-ऑफ तिथि को चुनौती दी है। अब जबकि चयन प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और केवल नियुक्ति पत्र जारी किए जाने शेष हैं, तो आयु सीमा में छूट देना संभव नहीं है।
सरकार ने यह भी बताया कि पुलिस, पीएसी और आईआरबी में भारी संख्या में पद रिक्त हैं। वर्ष 2027 में हरिद्वार में प्रस्तावित कुंभ मेले के लिए अतिरिक्त बल की आवश्यकता होगी। कोर्ट की अंतरिम रोक के चलते चयनित अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण के लिए नहीं भेजा जा सका था, जबकि नियुक्ति के बाद उन्हें एक वर्ष का प्रशिक्षण दिया जाना अनिवार्य है।
एकलपीठ ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि राज्य सरकार एक नियोक्ता के रूप में सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति के लिए आयु सीमा तय करने के लिए स्वतंत्र है। सरकार की इस नीति को याचिकाकर्ताओं ने चुनौती नहीं दी है। केवल इस आधार पर कि हर वर्ष भर्ती नहीं हुई, चयन प्रक्रिया में दखल नहीं दिया जा सकता। हाई कोर्ट के इस फैसले से अब चयनित अभ्यर्थियों को जल्द नियुक्ति मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
