Haldwani Violance - ऑपरेशन बनभूलपुरा में अंतिम समय तक डटे रहे SSP मीणा, जानिए एक-एक को कैसे निकाला सुरक्षित

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Haldwani Banbhulpura Violance -  हल्द्वानी में आठ फ़रवरी 2024 की घटना अब हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गई। बनभूलपुरा प्रकरण में एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा (Nainital SSP Prahlad Narayan Meena) ने जिस तरह पुलिस कर्मियों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मलिक के बगीचे में जब पीए‌सी और पुलिस के दर्जनों जवान पथराव में फंस गए। उपद्रवियों ने उन्हें चारों और से पुलिस कर्मियों और थाने को घेर लिया था, तब एसएसपी मीणा ढाल बनकर खड़े रहे। पथराव में चोटिल होने के बाद भी उन्होंने जवानों का साथ नहीं छोड़ा। उन्हें पथराव से बचाया और सुरक्षित जगह तक साथ लेकर आए। वहीं बनभूलपुरा थाना जलने की सूचना मिलने पर उन्होंने ख़ुद मोर्चा संभाला।


थाने से पहुंचे मलिक के बगीचे - 
रात को बनभूलपुरा में उपद्रवियों के गोलियों की तड़तड़ाहट की गूंज से शहर में दहशत मची थी। स्थिति को नियंत्रण में करने और जगह-जगह फंसे अपने जवानों, मीडिया कर्मियो और निगम कर्मियों को बचाने के लिए पैदल थाने से मलिक के बगीचे तक पहुंचे। कुछ घरों व मस्जिद में जवान फंसे थे। उन्होंने फोन पर बात कर उन्हें बाहर निकाला। इसके बाद रात में ही अधिकारियों के साथ बैठक की और यह पता लगाया कि कोई मिसिंग तो नहीं है।


पुलिस और PAC के जवानों की दी हिम्मत 
8 फरवरी को प्रशासन और नगर निगम के साथ एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा मलिक के बगीचे में कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए गए थे। मगर तभी चारों ओर से पथराव शुरू हो गया था। आगजनी भी हो गई मगर कई प्रशासनिक अधिकारी मौके की नजाकत को भांपते हुए खिसक गए। मगर एसएसपी मीणा ने अपनी टीम का साथ नहीं छोड़ा मजबूती के साथ अतिक्रमण ध्वस्त होने तक मलिक के बगीचे में खड़े रहे। पथराव में SSP मीणा को भी काफी चोटें आई। जब पीएसी और पुलिस जवान में फंसे तो उनके पास जाकर उन्हें हिम्मत दी। जवानों को सिर बचाकर रखने के लिए अपील करते रहे। चोटिल व कराहते पुलिस कर्मियों को बाहर पहुंचाया। उस दिन का भयावह मंजर यह था कि कोई फोन रिसीव नहीं कर पा रहा था और खुद जान बचाने के लाले पड़े थे।


थाना फूंकने के बाद चढ़ा SSP मीणा का पारा - 
एसएसपी मीणा अतिक्रमण ध्वस्त होने की कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाकर बाहर निकले। तभी बनभूलपुरा थाना फूंकने की जानकारी हुई। उपद्रवी तांडव मचा रहे थे। थाने में पेट्रोल बम फेंके जा रहे थे। बाहर खड़े वाहनों में लगी आग की लपटें थाने के के अंदर घुस रही हैं। कुछ पुलिस कर्मी जान बचाने के लिए गलियों में भाग रहे थे। थाने के अंदर प्रशासनिक व पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी फंसे थे। ताज चौराहे से अंदर घुसने की कोई हिम्मत नहीं कर पा रहा था। ऐसे में एसएसपी का पारा चढ़ गया, टीम को साथ लिया और बनभूलपुरा थाने में कब्ज़ा लेने के लिए कूच कर गए। उन्हें देख जवानों का हौसला बढ़ा। सबने उनके पीछे चलना शुरू कर दिया। पुलिस को देख उपद्रवियों घरों में छिपने लगे थे।


एक-एक जवान मेरी संपत्ति, गोली मारने के आदेश जारी करो मैडम - 
बनभूलपुरा थाने में आग लगने के बाद एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा को जब पता चला कि बनभूलपुरा थाने में मजिस्ट्रेट और पुलिसकर्मी फंसे हैं। साथ ही उन्हें पता चला कि मलिक के बगीचे आसपास कई पुलिसकर्मी पीछे छूट गए हैं और इन्होंने घरों में पनाह ली है तो एसएसपी ने मजिस्ट्रेट जिलाधिकारी वंदना सिंह से पैरों में गोली चलाने के आदेश जारी करने को कहा। एसएसपी बोले- मैडम मेरा एक-एक जवान मेरी संपत्ति है। उपद्रवी पूरी तरह बेकाबू हो गए हैं। अपने जवानों को बचाने के लिए पैरों में गोली चलाने के आदेश तुरंत जारी कीजिए। इसके करीब 15 मिनट बाद वायरलेस पर मजिस्ट्रेट ने उपद्रवियों के पैरों में गोली चलाने के आदेश जारी किए गए। एसएससी के प्रयास की पूरे महकमें में चर्चाएं हो रही हैं।


 

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