रामनगर - मुख्यमंत्री को पुरानी और बिना फिटनेस वाली जिप्सी से कॉर्बेट में घुमाया गया, वन विभाग में मचा हड़कंप, जांच के आदेश 

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रामनगर - मुख्यमंत्री को पुरानी और बिना फिटनेस वाली जिप्सी से कॉर्बेट में घुमाया गया, वन विभाग में मचा हड़कंप, जांच के आदेश 

रामनगर - कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सफारी के दौरान एक बड़ा लापरवाही का मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री को जिस जिप्सी से जंगल भ्रमण कराया गया, उसकी फिटनेस पांच साल पहले ही समाप्त हो चुकी थी। मामले के उजागर होने के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है। बीते छह जुलाई को सीएम धामी कार्बेट टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी पर थे। वन विभाग ने उन्हें जो वाहन (जिप्सी संख्या: यूके 19 जीए 0067) उपलब्ध कराया, उसकी फिटनेस 22 अगस्त 2022 को समाप्त हो गई थी। हैरानी की बात यह है कि इतने महत्वपूर्ण व्यक्ति को जंगल में बिना वैध फिटनेस वाले वाहन से ले जाया गया।

 

इस वाहन में सीटीआर निदेशक साकेत बडोला भी सवार थे। वाहन की तकनीकी हालत को लेकर भले ही कोई खराबी सामने नहीं आई हो, लेकिन इस लापरवाही ने सीएम की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वन विभाग ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) समीर सिन्हा ने जांच की जिम्मेदारी पीसीसीएफ (वन्यजीव) और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक रंजन मिश्रा को सौंपी है। कार्बेट निदेशक साकेत बडोला ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि भले ही कागजों में फिटनेस खत्म थी, लेकिन वाहन चालू हालत में था। सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।

 

आनन-फानन में कराई गई फिटनेस, जुर्माना भी लगा - 
मंगलवार को उसी जिप्सी की फिटनेस जांच कराई गई। एआरटीओ रामनगर संदीप वर्मा ने बताया कि फिटनेस समाप्त होने पर वाहन स्वामी पर जुर्माना लगाया गया है।

राजाजी में हो चुकी है जनहानि - 
गौरतलब है कि पिछले साल राजाजी टाइगर रिजर्व में एक वाहन हादसे में छह वन कर्मियों की जान जा चुकी है। उस समय भी वाहन की फिटनेस और अनुमति को लेकर विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे थे। उस मामले की जांच भी हो चुकी है।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि यह देखा जा रहा है कि फिटनेस रिन्यू न कराने की जिम्मेदारी किसकी थी। जांच जारी है, और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

क्यों जरूरी है फिटनेस जांच - 
फिटनेस प्रमाणपत्र यह सुनिश्चित करता है कि कोई वाहन सड़क पर चलने योग्य है या नहीं। कानून के मुताबिक सभी व्यावसायिक वाहनों और आठ सीटर या उससे अधिक क्षमता वाले निजी वाहनों की फिटनेस शुरू में दो साल बाद और फिर हर वर्ष करानी जरूरी है। इस मामले में नियमों की खुली अनदेखी हुई है।

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