प्रधानमंत्री मोदी को भी पता है पहाड़ में क्यों बजाया जाता है हुड़का, पीएम हुड़के की थाप से साध गए पहाड़ की सियासत 

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Traditional Music Instruments of Uttarakhand Hudka - पीएम मोदी उत्तराखंड दौरे के दौरान हर बार कुछ ऐसा करते हैं जो कि चर्चाओं का विषय बन जाता है। पीएम मोदी ने आज ऋषिकेश में चुनावी जनसभा को संबोधित किया।प्रधानमंत्री ने ऋषिकेश में पहाड़ का प्रसिद्ध वाद्ययंत्र हुड़का बजाया। पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि देवभूमि में देवताओं के आह्वान करने की परपंरा है। हुड़के का नाद देवताओं का आह्वान  करने में ऊर्जा देता है। उन्होंने लोगों से कहा आज मुझे भी जनता का आह्वान करने के लिए हुड़के का नाद करने का सौभाग्य मिला है। यानि मोदी योगनगरी से हुड़के में थाप देकर सीधे - सीधे पहाड़ के मतदाताओं को साध गए. 



हर बार कुछ नया कर जाते हैं पीएम मोदी - 
उत्तराखंड पहुंचकर प्रधानमंत्री का कुछ न कुछ नया करना एक ट्रेड मार्क बन जाता है, कभी पहाड़ी टोपी पहनकर उसी स्टाइल में भाजपा की टोपी बना देना या इन्वेस्टर समिट के दौरान पीएम मोदी ने जहां वेड इन इंडिया और उत्तराखंड में डेस्टिनेशन वेडिंग की बात कही थी तो उसके बाद से उत्तराखंड में डेस्टिनेशन वेडिंग का क्रेज लोगों में देखने को मिला। तो वहीं जब पीएम ने मानसखंड स्थित आदि कैलाश के दर्श किए तो उसके बाद से आदि कैलाश आने वाले यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। आज ऋषिकेश में अपनी जनसभा के दौरान पीएम मोदी ने पहाड़ी वाद्य यंत्र हुड़का बजाया। अपने संबोधन में भी उन्होंने कहा कि हुड़के का नाद देवताओं का आह्वान  करने में ऊर्जा देता है। पीएम मोदी के हुड़का बजाने के बाद से हुड़का भी चर्चाओं में आ गया है।


भोलेनाथ का प्रिय वाद्य यंत्र माना जाता है हुड़का - 
आपको बता दें कि देवभूमि में देवताओं को बुलाने के लिए कई वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। हुड़के को बजाकर भी उत्तराखंड में देवताओं का आह्वान किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव को हुड़का बेहद ही पसंद है। ये उनका प्रिय वाद्य यंत्र है। देवभूमि में प्राचीन काल से ही हुड़का बनाया और बजाया जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में ढोल न होने पर हुड़का बजाकर पहाड़ में आज भी देवताओं का आव्हान किया जाता है। 

 

क्या होता है हुड़का ?
हुड़का उत्तराखंड का पारंपरिक वाद्य यंत्र है। इसे प्राचीन समय से ही मांगलिक कार्यों से लेकर विशेष अनुष्ठानों और खेतों की रोपाई के दौरान बजाया जाता है। पारंपरिक वाद्ययंत्र हुड़के को देवताओं के आह्वान के लिए बजाया जाता है। इसकी ध्वनि से अलग ही सकारात्मक ऊर्जा निकलती है। हुड़के को बनाने का तरीका भी अलग है। देवभूमि उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के साथ ही पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के कई क्षेत्रों में हुड़का आज भी प्रचलित है।


ऐसे बनाया जाता है हुड़का - 
आपको बता दें कि हुड़के की नाल खिन के पेड़ की हल्की लकड़ी से बनाई जाती है। ये पेड़ उत्तराखंड के कई इलाकों में पाया जाता है। इसके साथ ही मैदानी इलाकों में बेर के पेड़ के तने से भी हुड़के की नाल बनाई जाती है। जबकि इसके कुंडल बेंत की लकड़ी से बनाए जाते हैं। इसमें ही बकरी या भोड़ की खाल को सेट किया जाया है। हुड़के को देवताओं को बुलाने के साथ ही उत्तराखंड के कुमाऊं में सामूहिक रूप से धान रोपाई या फिर मुंडवे की गुड़ाई के वक्त भी बजाया जाता है और इस दौरान एक गीत भी गाया जाता है। जिसे हुड़किया बोल कहा जाता है।

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