Panchayat Election - ग्राम प्रधान से लेकर ज़िला पंचायत अध्यक्ष तक, कितनी मिलती है सैलरी? जानिए पंचायत प्रतिनिधियों की मानदेय सूची

Uttarakhand Panchayat Election 2025 - उत्तराखंड में इन दिनों त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर गांव-गांव में सियासी हलचल तेज हो गई है। प्रत्याशी प्रचार में जुटे हैं, ग्रामीण मतदाता अपने प्रतिनिधियों के चयन को लेकर चर्चा कर रहे हैं। लेकिन एक सवाल ऐसा भी है जो अक्सर मतदाताओं और नए उम्मीदवारों के ज़ेहन में आता है — ग्राम पंचायत से लेकर ज़िला पंचायत अध्यक्ष तक, आखिर इन जनप्रतिनिधियों को मानदेय कितना मिलता है?प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था के अंतर्गत ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC), ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, उपाध्यक्ष और अध्यक्ष के पद होते हैं। लेकिन सभी को एक समान सुविधा और वेतन नहीं मिलता। आइये जानें किसे मिलता है कितना मानदेय -

ग्राम पंचायत सदस्य (वार्ड मेंबर) -
गांव की सबसे बुनियादी इकाई वार्ड सदस्य को किसी प्रकार का मानदेय या सुविधा नहीं दी जाती। हालांकि, ये सदस्य ग्राम प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार रखते हैं, लेकिन उसके लिए अन्य सदस्यों की सहमति भी जरूरी होती है।

ग्राम प्रधान -
ग्राम प्रधान को सरकार की ओर से ₹3,500 प्रति माह का मानदेय दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलती। गांव में मनरेगा, राज्य वित्त आयोग व 15वें वित्त आयोग से प्राप्त राशि से विकास कार्य कराना इनकी प्रमुख जिम्मेदारी होती है।
उप प्रधान -
उप प्रधान को शासन द्वारा ₹500 प्रति माह मानदेय दिया जाता है। उप प्रधान के चुनाव के लिए अलग से अधिसूचना जारी होती है। उनका चुनाव वार्ड सदस्य करते हैं। उन्हें भी कोई अन्य सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती।
क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC सदस्य) -
क्षेत्र पंचायत सदस्य को प्रत्येक बैठक में महज ₹200 दिए जाते हैं। इनके ज़रिये मनरेगा सहित अन्य विभागीय योजनाओं के अंतर्गत क्षेत्रीय विकास कार्य होते हैं। बीडीसी सदस्य को मिलने वाले बजट का नियंत्रण ब्लॉक प्रमुख के पास होता है। BDC मेंबर ही ब्लॉक प्रमुख को चुनते हैं।
ब्लॉक प्रमुख -
ब्लॉक प्रमुख को सरकार की ओर से ₹6,000 मासिक मानदेय और ₹10,000 वाहन भत्ता दिया जाता है। कार्यों के संचालन के लिए ब्लॉक स्तर पर एक दफ्तर की सुविधा भी दी जाती है। ये राज्य व केंद्र से मिलने वाली क्षेत्रीय योजनाओं को लागू कराने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
जिला पंचायत सदस्य -
जिला पंचायत सदस्यों को बोर्ड की हर बैठक में ₹1,000 प्रति मीटिंग मानदेय दिया जाता है। अपने-अपने क्षेत्र में विकास कार्य के लिए ये राज्य व केंद्र वित्तीय योजनाओं की मदद से कार्य करते हैं। सभी विकास प्रस्तावों को अंतिम रूप जिला पंचायत अध्यक्ष की सहमति से मिलता है। जिला पंचायत के सदस्य जिला पंचायत अध्यक्ष को चुनते हैं।
जिला पंचायत उपाध्यक्ष -
उपाध्यक्ष को ₹5,000 प्रतिमाह मानदेय मिलता है। उन्हें किसी प्रकार की अतिरिक्त सुविधा नहीं दी जाती। लेकिन, विकास के लिए उन्हें प्रत्येक ग्रामसभा में ₹1 लाख प्रति वर्ष की निधि दी जाती है।
जिला पंचायत अध्यक्ष -
अब आते हैं पंचायत प्रणाली के शीर्ष पद यानी जिला पंचायत अध्यक्ष जिसे ₹15,000 प्रतिमाह मानदेय के अलावा सरकारी वाहन, गनर और वाहन भत्ता भी दिया जाता है। इन्हीं के माध्यम से जिले की विकास योजनाएं क्रियान्वित होती हैं। राज्य व केंद्र सरकार की योजनाओं का समन्वय भी इन्हीं के माध्यम से होता है। जिला पंचायत सदस्य जिले का पहला नागरिक होता है और उसे राज्य मंत्री के बराबर की पॉवर मिलती है।
उत्तराखंड की पंचायत प्रणाली में जनप्रतिनिधियों को मिलने वाला मानदेय भले ही सीमित हो, लेकिन उनकी भूमिका स्थानीय विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। गांव के विकास से लेकर ज़िले की नीतियों के क्रियान्वयन तक — पंचायत प्रतिनिधि ज़मीनी स्तर पर शासन की रीढ़ माने जाते हैं।
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