नैनीताल - 2027 में जिताओ गैरसैंण राजधानी बना देंगे, जनता अब थक चुकी, हाई कोर्ट ने जज न्यायमूर्ति थपलियाल का तीखा सवाल 
 

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नैनीताल - 2027 में जिताओ गैरसैंण राजधानी बना देंगे, जनता अब थक चुकी, हाई कोर्ट ने जज न्यायमूर्ति थपलियाल का तीखा सवाल 

नैनीताल - गैरसैंण को लेकर राजधानी की मांग एक बार फिर से सुर्खियों में है, और इस बार आवाज़ किसी आम आंदोलनकारी की नहीं, बल्कि खुद उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की है। न्यायमूर्ति थपलियाल ने राजनीतिक नेतृत्व की नीयत और कार्यशैली पर सीधे-सीधे सवाल उठाते हुए कहा कि उत्तराखंड की जनता को बार-बार झूठे वादों में उलझाया गया है।

2027 में जिताओ, राजधानी बना देंगे, अब जनता थक चुकी है: जस्टिस थपलियाल - 
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, "2027 में जिताओ और राजधानी बना देंगे — इस जुमले को जनता अब रट चुकी है। उत्तराखंड की जनता को गुमराह करना नेताओं की आदत बन गई है। अखबारों में झूठे वादों और भ्रामक खबरों से जनता को भ्रमित किया जाता है।"

गैरसैंण में 8000 करोड़ की संपत्ति, फिर भी नेताओं की हिम्मत नहीं - 
न्यायमूर्ति थपलियाल ने स्पष्ट किया कि गैरसैंण में बुनियादी ढांचा पूरी तरह मौजूद है, उन्होंने लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से बताया "गैरसैंण में 8000 करोड़ रुपये की संपत्ति और मजबूत आधारभूत संरचना है। कोई जाकर देख सकता है — बस नेताओं को अपना अटैची उठाकर वहां जाना है।"

"केवल देहरादून में विकास क्यों?" — न्यायपालिका का तंज - 
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर राजधानी गैरसैंण में होती, तो क्या आज उत्तराखंड की तस्वीर वैसी ही होती? "गांव-गांव में अस्पताल, स्कूल और बिजली होती। लेकिन सारा विकास केवल देहरादून में ही क्यों दिखता है? विधानसभा सत्र को लेकर चेतावनी भी दी न्यायमूर्ति थपलियाल ने गैरसैंण में होने वाले आगामी विधानसभा सत्र को लेकर भी तीखी बात कही, अगर यह सिर्फ दिखावे के लिए हो रहा है और कोई ठोस नीति नहीं है, तो हम इसे रोक देंगे।"

जनता को चेताया – अब जागने का समय है - 
न्यायमूर्ति थपलियाल ने यह भी कहा कि अब जनता को केवल सोशल मीडिया पर नहीं, सड़कों पर उतरकर अपने अधिकार की मांग करनी चाहिए। "24 साल बाद भी गैरसैंण राजधानी नहीं बन पाई — क्यों? अब अगली पीढ़ी के लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए।"

बड़ा सवाल – गैरसैंण कब तक वादों में रहेगा - 
जस्टिस थपलियाल की टिप्पणी ने न केवल सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं, बल्कि राजधानी गैरसैंण को लेकर जनता की भावना को भी फिर से केंद्र में ला दिया है।


 

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