नैनीताल - निकाय व पंचायत चुनाव की आरक्षण नियमावली को हाईकोर्ट में चुनौती, अब इस दिन होगी सुनवाई

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नैनीताल - उत्तराखंड में निकाय और पंचायत चुनावों को लेकर जारी आरक्षण नियमावली 2024 पर अब कानूनी संकट मंडरा रहा है। इस नियमावली को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। बुधवार को न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अगली तारीख 7 जून निर्धारित की है।

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने बिना आपत्ति का अवसर दिए जल्दबाजी में आरक्षण अधिसूचना जारी कर दी। अधिसूचना के दिन ही चुनाव कार्यक्रम भी घोषित कर दिया गया, जो कि नियमों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि नियमानुसार अधिसूचना जारी होने के बाद आपत्तियां मांगी जानी चाहिए थीं, लेकिन इस प्रक्रिया को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।

याचिकाओं में यह भी कहा गया कि कई निकायों और नगर निगमों में जनसंख्या के आंकड़ों को नजरअंदाज कर आरक्षण तय किया गया है। उदाहरण के तौर पर अल्मोड़ा में ओबीसी, एससी और एसटी की जनसंख्या कम होने के बावजूद वहां आरक्षण लागू किया गया, जबकि देहरादून और हल्द्वानी जैसे बड़े नगरों में जहां इन वर्गों की जनसंख्या ज्यादा है, वहां आरक्षण में अनियमितता बरती गई।

राज्य सरकार की ओर से अदालत में तर्क दिया गया कि आरक्षण प्रक्रिया पूरी तरह नियमों के तहत की गई है। साथ ही कहा गया कि इस प्रकार की याचिकाएं चुनाव याचिका के रूप में दायर की जानी चाहिए थीं। सरकार ने यह भी दलील दी कि अभी चुनाव नहीं हुए हैं, इसलिए यह मुद्दा समय से पहले उठाया गया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि उनका उद्देश्य किसी उम्मीदवार की जीत-हार को चुनौती देना नहीं है, बल्कि आरक्षण की प्रक्रिया की वैधता को लेकर सवाल उठाना है।

अब इस पूरे मामले की अगली सुनवाई सात जून को होगी, जिसमें हाईकोर्ट आरक्षण नियमावली की संवैधानिकता और कानूनी वैधता पर गहनता से विचार करेगा।

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