नैनीताल - हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर जताई नाराज़गी, SSP को जांच के निर्देश
 

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नैनीताल - उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सोशल मीडिया पर जजों और वकीलों की ट्रोलिंग पर तीखी नाराज़गी जताई और मामले की जांच के लिए एसएसपी नैनीताल को सोमवार तक रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए। सुनवाई उस याचिका से जुड़ी थी जिसमें पीड़िता के साथ दुष्कर्म के आरोपी मोहम्मद उस्मान (73) के पुत्र रिजवान खान के खटीमा से घनसाली तबादले को चुनौती दी गई थी। रिजवान आरेखक अभियंता हैं और उनका तबादला बताया जा रहा है कि दुष्कर्म मामले के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई के तौर पर हुआ।

अदालत ने हाईकोर्ट के नाम का दुरुपयोग कर किए जा रहे घृणास्पद भाषणों पर कड़ी आपत्ति जताई और पूछा कि प्रशासन अब तक कार्रवाई में क्यों चूक रहा है। पीठ ने कहा, “यह अत्यंत आपत्तिजनक है कि न्यायाधीशों और वकीलों को ट्रोल किया जा रहा है और कोई कार्रवाई नहीं हो रही”।ऑनलाइन अभद्र और भड़काऊ सामग्री अपराध है। भारतीय दंड संहिता एवं आईटी अधिनियम के तहत ट्रोलिंग को दंडनीय अपराध माना गया है। उदाहरण के लिए, धार्मिक या जातीय घृणा फैलाने वाली टिप्पणियां धारा 153A, डर-भय फैलाने वाली जानकारियाँ धारा 505 व अभद्रता धारा 509 के तहत अपराध हैं।


यह सुनवाई सहायक अभियंता रिजवान खान के तबादले की याचिका पर हो रही थी। रिजवान, उस्मान अली के पुत्र हैं, जिन पर 30 अप्रैल को नैनीताल में नाबालिग लड़की से बलात्कार का मामला दर्ज हुआ था। उनकी याचिका में कहा गया है कि तबादला सजा के तौर पर किया गया और इसमें वैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ. कानूनी दृष्टि से सोशल मीडिया पर अपमानजनक या भड़काऊ पोस्ट डालना अपराध है। भारतीय दंड संहिता की धारा 153A, 505 जैसी धाराएँ समाज में वैमनस्य फैलाने या सार्वजनिक अशांति फैलाने वाले बयानों को दंडनीय मानती हैं। साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराएँ ऑनलाइन अमान्य सामग्री प्रसारित करने पर कार्रवाई की अनुमति देती हैं। न्यायालय ने साफ़ कहा कि हाईकोर्ट के नाम का घृणास्पद भाषणों में दुरुपयोग गंभीर समस्या है और कानून सख्ती से लागू किया जाएगा।

अब तक सरकार की ओर से इस मामले में कोई विशेष प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हाईकोर्ट ने अपने निर्देशों में प्रशासन की निष्क्रियता पर कड़ी टिप्पणी की है और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर फैलने वाली अफवाहों-घृणास्पद पोस्टों की पहचान कर आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है। 

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