भीमताल - नरभक्षी बाघ को लेकर विधायक और डीएफओ आमने - सामने, जानिए अब क्यों गरमाया मामला
भीमताल - नैनीताल जिले के भीमताल ब्लॉक स्थित मलुवाताल के तोक कसाइल और पिनरों के डोब गांव में नरभक्षी (Bhimtal leopard Attack) के दो महिलाओं को मौत के घाट उतारने वाले मामले में नया मोड़ आ गया है। अब इस मामले को लेकर विधायक और डीएफओ आमने - सामने आ गए हैं . नैनीताल डीएफओ चंद्रशेखर जोशी (Nainital DFO Chandra Shekhar Joshi) ने कहा कि मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की ओर से आदेश जारी किए गए हैं। बाघ को अंतिम विकल्प के रूप में नष्ट करने के आदेश जारी हुए हैं। उन्होंने एक राष्ट्रीय न्यूज़ पेपर से कहा आप इतना छाप दीजिए मेरा काम हो जाएगा। खबर छापकर सुबह-सुबह मुझे व्हाट्सएप पर भेज दीजिएगा। मेरी जान बच जाएगी।
दरअसल दो महिलाओं को मौत के घाट उतारने वाला तेंदुए था या बाघ इस तथ्य की डीएफओ की ओर से पुष्टि नहीं की जा रही थी। सात दिसंबर को मलुवाताल के तोक कसाइल की इंद्रा देवी की बाघ के हमले से मौत होने के बाद सुरक्षा के दृष्टिगत बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने और ट्रैंक्यूलाइज करने के लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड को पत्र भेजकर अनुमति मांगी गई थी। 9 दिसंबर को भीमताल के पिनरों डोब निवासी पुष्पा देवी को भी बाघ ने मौत के घाट उतार दिया था।
बाघ द्वारा मानव मृत्यु की दो घटनाएं किए जाने के बाद नैनीताल डीएफओ ने 9 दिसंबर को बाघ को अंतिम विकल्प के रूप में नष्ट करने की अनुमति मांगी थी। 10 दिसंबर को मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के स्तर पर अनुमति भी दे दी गई। लेकिन, महिलाओं को मौत के घाट उतारने वाला तेंदुआ था या बाघ? डीएफओ की ओर से मीडिया को स्पष्ट नहीं किया जा रहा था। वन्यजीव को लेकर मीडिया को भ्रम में रखा गया। उनका कहना था कि बाघ और गुलदार में ज्यादा अंतर नहीं होता है। केवल हिंसक वन्यजीव लिखिए।
इस मामले में भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा (MLA Bhimtal Ram Singh Kaira) ने कहा नैनीताल डीएफओ चंद्रशेखर जोशी झूठ बोल रहे हैं। पल-पल अपनी बात बदल रहे हैं। पता नहीं, उन पर किस अधिकारी का दबाव है। 10 दिसंबर को डीएफओ ने दस गांव के ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों के समक्ष कहा था कि नरभक्षी को मारने की अनुमति मिल चुकी है। डीएफओ महिलाओं को मारने वाले जीव को बाघ कहने से बच रहे थे लेकिन हमला करने वाला बाघ ही था। डीएफओ को इस तरह गुमराह नहीं करना चाहिए।