Mayavati Ashrama Champawat - पीएम मोदी को मायावती आश्रम आने का सीएम धामी ने दिया आमंत्रण, जानिए महत्व 
 

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Mayavati Ashrama Champawat - उत्तराखंड में पर्यटन सीजन शुरू होते ही देवभूमि उत्तराखंड की और पर्यटक रुख करते हैं, मन की शांति और आध्यात्म के लिए एकांतवास जगह चुनते हैं, हम आज आपको ऐसे आश्रम के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे स्वामी विवेकानद के विचार जुड़े हैं, अगर आप भी अपनी दिनचर्या से थक चुके हैं तो आपको एक बार मायावती आश्रम जरूर आना चाहिए , मायावती अद्वैत आश्रम उत्तराखंड (Mayavati Ashrama Champawat) के महत्त्वपूर्ण पर्यटक स्थलों में शुमार है. 

 

चम्पावत जिले के लोहाघाट (Mayawati Ashram Lohaghat Champawat) कस्बे से लगभग 9 किलोमीटर उत्तर पक्षिम की ओर मायावती नामक स्थान पर स्थित यह आश्रम स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand in Mayawati aashram) की यादों और विचारों का केंद्र बिंदु है. स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन को समझने और उनके बताये हुवे मार्ग के बारे में जानने की तम्मना रखने वालों के लिए मायावती आश्रम एक अदभुत स्थान है. मायावती आश्रम अपनी नैसर्गिक सौन्दर्य और एकांतवास के लिए प्रसिद्द है. बुरांस, देवदार, बांज और चीड के जंगलों के बीच बसा यह आश्रम ना सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश विदेश के अनेकों शांति और सौन्दर्य प्रेमी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. अप्रैल 2023 में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (chief minister Uttarakhand Pushkar Singh Dhami) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi in Mayawati ashram) से यहाँ आने का आग्रह किया है.

अद्दवैत आश्रम की स्थापना के बारे में जानने के लिए हमें कुछ वर्ष पीछे जाकर स्वामी विवेकानंद के जीवन वृतांत को समझना होगा. साल 1895 की बात थी स्वामी विवेकानंद इंग्लेंड में थे तो वही के एक निवासी जेम्स हेनरी सेवियर (James Henry saviour) अपनी पत्नी सी एलिजाबेथ सेविएर के साथ स्वामी जी से मिलने आये. जेम्स हेनरी तथा उनकी पत्नी सी एलिजाबेथ हेनरी की अध्यात्म में काफी रूचि थी और वो स्वामी विवेकानंद के दर्शन और व्याख्यान से काफी प्रभावित हुवे. 1896 में जब स्वामी जी स्विट्जर्लैंड, जर्मनी और इटली की यात्रा पर गये तो हेनरी दम्पत्ति भी स्वामी विवेकानंद के साथ चल दिए. इसी बीच जब स्वामी विवेकानंद और हेनरी दम्पत्ति ऐल्प्स पर्वत की यात्रा पर थे तब उन्होंने भारत के हिमालयन राज्य में संतो के एकांतवास और वेदांत के अध्यन के लिए एक आश्रम बनाने की इच्छा व्यक्त की. इसी कार्य को पूरा करने के लिए सेवियर दम्पति ने स्वामी विवेकानद से भारत आने की इच्छा वक्त की. 

 

स्वामी जी की आज्ञा पाकर दिसम्बर 1896 को सेवियर दम्पति स्वामी विवेकानंद के साथ भारत के लिए रवाना हो गये फ़रवरी 1897 को वो मद्रास पहुचे. स्वामी विवेकानंद जी कलकत्ता चले गये और सेवियर दम्पति अल्मोड़ा आ गये. अल्मोड़ा आ कर उन्होंने एक बंगला किराये पर लिया जहाँ वो दो वर्षों तक ठहरे. इस दौरान उन्होंने आश्रम के लिए उपयुक्त स्थान की खोज जारी रखी और अंततः जुलाई 1898 में लोहाघाट के नजदीक मायावती नामक स्थान जो की एक चाय बगान था और इसे आश्रम के लिये खरीद लिया गया. स्वामी स्वरूपानंद की सहायता से अद्वैत आश्रम मायावती 19 मार्च 1899 को बनकर तैयार हो गया. 
 

आश्रम के उद्घाटन के अवसर पर मार्च 1899 में स्वामी विवेकानंद ने एक पत्र भेज कर कहा था कि “सत्य को आजादी के साथ फैलने, मानव के जीवन को ऊँचा उठाने और मानव मात्र के कल्याण के लिए हम अद्वैत आश्रम की शुरुवात कर रहे हैं. स्वामी विवेकानंद चाहते थे कि मायावती आश्रम में किसी मूर्ति या तस्वीर की पूजा न की जाये. इसलिए उनकी आज्ञा अनुसार यहाँ कोई पूजा पाठ नहीं किया जाता. हालाँकि सायं के समय राम-धुन संक्रीतन जरूर होता है. साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ की गुफा में ध्यान लगाया तो आज भी वहाँ एडवांस बुकिंग रहती है , दोस्तों क्या देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीएम धामी के आग्रह पर मायावती आश्रम  आते हैं तो कुमाऊं में पर्यटन को जरूर पंख लगेंगे। 

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