Martyr Deepak Singh - स्वतंत्रता दिवस से पहले देश ने बेटा, रक्षाबंधन से पहले बहनों ने खोया भाई, कैप्टन दीपक सिंह हुए शहीद
Martyr Caption Deepak Singh - उत्तराखंड सहित देश के एक बार फिर दुःखद पल है. स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले उत्तराखंड के एक और लाल ने देश के लिए आपने सर्वोच्च बलिदान दे दिया। रक्षाबंधन से पहले बहनें अभी राखियां चुन ही रहीं थीं कि लाडले भाई के बलिदान होने की खबर ने उन्हें तोड़कर रख दिया। पिता महेश सिंह पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं तो पूरा पुलिस परिवार शोक में डूबा है। बीते पांच साल में देहरादून ने तीन युवा सैन्य अधिकारी देश के लिए बलिदान हो गए हैं.
मूलरूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा, रानीखेत (वर्तमान में देहरादून) के रहने वाले कैप्टन दीपक ने बारहवीं तक की पढ़ाई सेंट थामस स्कूल से की। 13 जून 2020 को वह सेना में कमीशन हुए। उनके पिता महेश सिंह उत्तराखंड पुलिस के रिटायर कार्मिक हैं। वह पुलिस मुख्यालय में तैनात थे और इसी साल अप्रैल में वीआरएस लिया था। मां चंपा देवी गृहणी है।
रण ही नहीं खेल के मैदान में भी थे 'योद्धा' -
जम्मू - कश्मीर के डोंडा में बुधवार को आतंकियों से लोहा लेते बलिदान हुए देहरादून, उत्तराखंड के कैप्टन दीपक रणभूमि ही नहीं बल्कि खेल के मैदान के भी महारथी थे। बलिदान हुए कैप्टन दीपक सिंह वर्ष 2020 में सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे। उनकी 12वीं तक की पढ़ाई बुद्धा चौक के पास सेंट थॉमस स्कूल से हुई थी। शुरुआत से ही दीपक सिंह की गिनती मेधावी छात्रों में रही है। उनके पड़ोसियों ने बताया कि कैप्टन दीपक सिंह का एक कमरा मेडल से भरा हुआ है। ये मेडल उन्हें पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ खेल-कूद में भी मिले हैं। उन्होंने स्कूलिंग के दौरान फुटबाल, हॉकी समेत कई खेलों में प्रतिभाग किया था। बेहतरीन हाकी खिलाड़ी होने के नाते उन्होंने कई मौकों पर शानदार खेल दिखाया।
बड़ी बहन के घर गए थे पिता वहीं मिली खबर -
कैप्टन दीपक सिंह के घर बीते चार महीनों से खुशियों का माहौल था। चार महीने पहले उनकी एक बहन की शादी हुई थी। शादी में शामिल होने के लिए भाई दीपक सिंह भी देहरादून आए थे। इसके बाद अब चंद दिन पहले ही बड़ी बहन के घर बेटी ने जन्म लिया। बेटी की इन खुशियों में शामिल होने के लिए ही उनके पिता और मां कोच्चि (केरल) गए हुए थे। कैप्टन दीपक सिंह के बलिदान होने की खबर उन्हें वहीं पर मिली। खबर सुनते ही बलिदानी के पिता महेश सिंह रात की फ्लाइट से देहरादून के लिए रवाना हो गए हैं।
रक्षाबंधन से ठीक पहले बहनों को दे गए गम -
दोनों बहनों की शादी के बाद अब 25 वर्षीय दीपक सिंह का ही शादी का नंबर था। परिवार उनकी शादी के लिए सपने संजो रहा था, लेकिन नियति को तो कुछ और ही मंजूर था. बताया जा रहा है कि कैप्टन दीपक सिंह ने शादी के लिए परिवार से एक साल का समय मांगा था। राष्ट्रीय राइफल की सेवाएं पूरी करने के बाद ही उन्होंने शादी करने का निर्णय लिया था। महीनों से चल रहा खुशियों का सिलसिला रक्षाबंधन से ठीक पांच दिन पहले थम गया।
पांच साल में तीन युवा अधिकारी हुए बलिदान
पांच साल में यह तीसरी बार है जब दून ने एक युवा सैन्य अधिकारी खोया है। वर्ष 2019 में दून निवासी मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट ने देश रक्षा में अपने प्राणों की आहूति दी थी। मेजर विभूति को मरणोपरांत शौर्य चक्र, मेजर चित्रेश को सेना मेडल मिला। अब 25 वर्षीय कैप्टन दीपक सिंह ने देश रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।
15 अगस्त को परेड को देखकर सेना में जाने का निर्णय -
कैप्टन दीपक सिंह बहुत छोटे थे जब उनके पिता देहरादून पुलिस लाइन में आकर रहने लगे थे। बचपन से ही वह पुलिस की परेड को देखते हुए बड़े हुए। 26 जनवरी और अन्य रैतिक परेड को देखने के लिए हमेशा दीपक सिंह पुलिस लाइन में मौजूद रहते थे। यहीं से उन्होंने फोर्स में भर्ती होने का निर्णय लिया था। इसी प्रेरणा का नतीजा हुआ कि वे 2020 में आईएमए से पासआउट हुए।
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