लालकुआं - जिसकी बदौलत पहले भाई और फिर हरीश रावत को हराया, अब उसी जनता से क्यों हारने लगे विधायक डॉ. मोहन बिष्ट!
लालकुआं - 2022 के विधानसभा चुनावों में सबसे हॉट सीट बनी लालकुआं विधानसभा के डॉक्टर विधायक मोहन बिष्ट को अपनी ही विधानसभा के लोगों के आक्रोश का सामना कर उलटे पाँव भागने पर विवश होना पड़ा, आंखिर उनकी जनता इतनी आक्रोशित क्यों हुई, इस पर तो हम बात करेंगे ही इससे पहले जानते हैं कौन हैं यह विधायक डॉक्टर मोहन बिष्ट ---- साल 2022 के विधानसभा चुनावों में लालकुआं के विधायक मोहन बिष्ट देश की राजनीति में चर्चाओं आए थे, संभवतः वह भाजपा हाईकमान की नजरों में भी होंगे, उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के सबसे कदावर नेता हरीश रावत की सियासी जड़ें हिला डाली थी. मोहन बिष्ट इससे पहले प्रदेश की सियासत में लाइम लाइट पर तब आये थे जब भाजपा से बगावत कर अपने ही भाई के खिलाफ चुनावी जंग में छलांग लगा डाली थी.
2019 में पंचायत चुनावों में जीतकर आंख का तारा बने थे -
दरअसल, 2019 के पंचायत चुनावों में मोहन बिष्ट ने जिला पंचायत सदस्य पद के लिए हल्दूचौड़ से भाजपा के टिकट पर दावेदारी ठोकी, बीजेपी ने विधायक मोहन बिष्ट को दरकिनार कर उनके भाई भाजपा नेता इंदर बिष्ट को जिला पंचायत सदस्य का टिकट दे दिया। भाई को टिकट मिलने से मोहन बिष्ट आहत हो गए और भाजपा का साथ छोड़ निर्दलीय मैदान में उतर गए, टिकट की दौड़ में शामिल डॉ मोहन बिष्ट को बीजेपी का नजर अन्दाज करना भारी पड़ा , उन्होंने भारी अंतर से अपने भाई को हराकर जीत दर्ज कर ली, पंचायत चुनावों में जीतने के बाद लालकुआं क्षेत्र के लोगों के आँख का तारा बन गए.
राज्य में 2022 के विधान सभा चुनावों से ठीक पहले भाजपा ने मोहन बिष्ट की क्षेत्र में इसी लोकप्रियता को देख पार्टी में शामिल कर लिया था। भाजपा ने उन्हें तब लालकुआं विधानसभा से टिकट दिया। चुनावों में मोहन बिष्ट ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को 17 हजार मतों से पटखनी दे डाली थी, यक़ीनन ही हरीश रावत नए नवेले चेहरे से इतनी बड़ी हार को पचा पाए होंगे. प्रदेश भर में विधायक मोहन बिष्ट के चर्चे होने लगे, आखिर कैसे पहली बार चुनाव लड़ने वाले मोहन दा ने एक कद्दावर नेता को इतने भारी मतों के अंतर से हरा दिया।
चोरगलिया में क्यों हुआ विरोध -
अब बात करते हैं विधायक को आंखिर क्यों विरोध का सामना करना पड़ा, लिहाजा 27 अक्टूबर 2024 को मोहन बिष्ट चोरगलिया में एक कार्यक्रम में शिरकत करने गए थे, यह कार्यक्रम पशुपालकों को बोनस वितरण का था तभी वहां मौजूद सैकड़ों लोग विधायक के मंच पर आते ही विरोध और नारेबाजी करने लगे, गौरतलब है की विरोध के पीछे की वजह ग्रामीण एक पशु चिकित्सक का क्षेत्र से बाहर ट्रांसफर करने पर आक्रोशित थे, स्थानीय ग्रामीणों का मामना है डॉक्टर क्षेत्र में जानवरों के इलाज के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।
हाल ही में उनकी फेसबुक पर किया गया कॉमेंट्स की वजह से उनका तबादला किया गया, जिसे ग्रामीण रद्द करने की मांग कर रहे हैं। मगर विधायक ने साफ मना कर दिया। इसके बाद ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी शुरू कर दी. हंगामा बढ़ने पर पुलिस ने विधायक को कार्यक्रम स्थल से ले जाना चाहा तो ग्रामीण विधायक की गाड़ी के आगे लेट गए। करीब तीन घंटे चोरगलिया में हाई वोल्टेज हंगामा चलता रहा। इस दौरान विधायक ने ग्रामीणों से बात करने के बजाय वहां से 9 दो 11 होना बेहतर समझा, बाद में किसी तरह पुलिस ने लोगों को हटाकर विधायक को वहां से निकलवाया। विधायक के विरोध की चर्चाएं अब उत्तराखंड के सियासी गलियारों के लेकर आम लोगों के बीच हैं, विधायक पक्ष के लोगों ने चोरगलिया के तीन लोगों पर मुक़दमा भी दर्ज कर लिया है जिन्होंने महापंचायत का ऐलान कर दिया है।
डीएम और कांग्रेस नेता से भी उलझे थे -
पीछे कुछ महीनों से मोहन दा के आक्रामक तेवर दिखाई देने लगे हैं, इससे पहले विधायक साहब 19 जुलाई को नैनीताल की जिलाधिकारी से उलझे थे उसके एक दिन बाद अपने विपक्षी नेता के साथ भी उलझते हुए दिखाई दिए. अब जनता भी दबी आवाज में कहने लगी इतने पॉपुलर नेता की लोकप्रियता को आखिर किसकी नजर लग गई है।