उत्तराखंड रजत जयंती : 25 साल बाद भी पुल नहीं, डोली पर ढोए जा रहे मरीज, राज्य स्थापना की 25 वीं वर्षगांठ में विकास की सच्चाई
उत्तराखंड रजत जयंती : उत्तराखंड अपने राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती मनाने की तैयारियों में जुटा है, लेकिन दूसरी ओर पहाड़ के कई गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। विकास के दावे जब कागजों से बाहर आते हैं, तो हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है।
ऐसी ही कहानी है बागेश्वर जिले में कपकोट के पिंडर घाटी के सोराग गांव की, जहां सड़क तो बन गई लेकिन पिंडर नदी पर पुल अब तक नहीं बन सका। नतीजा यह कि गांव के लोगों को बीमारों और प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिलाओं को आज भी डोली या स्ट्रेचर पर छह किलोमीटर पैदल सड़क तक लाना पड़ता है।
हादसे ने फिर खोली हकीकत -
शनिवार को गांव की बसंती देवी (29) जंगल में घास काटते समय पैर फिसलने से खाई में गिर गईं। ग्रामीणों ने किसी तरह उन्हें घर लाया और अगले दिन स्ट्रेचर पर छह किलोमीटर पैदल उंगिया सड़क तक पहुंचाया। वहां से वाहन से जिला अस्पताल बागेश्वर ले जाया गया, जहां उन्हें भर्ती किया गया है।
पुल का वादा अधूरा -
ग्रामीणों के मुताबिक, उंगिया से सोराग गांव के बीच 11 किलोमीटर सड़क का निर्माण वर्ष 2023 में पूरा हो गया था। नदी पर मोटर पुल के निर्माण के लिए 2021 में टेंडर वॉप्कोश संस्था को दिया गया था और फरवरी 2024 तक पुल बनने की समय सीमा तय की गई थी। लेकिन नवंबर 2025 आ गया, पुल अभी तक अधूरा है। ग्रामीणों ने नदी पर लकड़ी की अस्थायी पुलिया बना रखी थी, जिससे कभी-कभी टैक्सी गांव तक पहुंच जाती थी, लेकिन मानसून में वह भी बह गई। इस बार तो दो टैक्सियां नदी के उस पार फंसी हुई हैं।
प्रसव पीड़ा में बच्चे की मौत -
मई 2024 में इसी पुल न बनने की वजह से गांव की एक गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने में देर हो गई और गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई। तब भी ग्रामीणों ने उसे स्ट्रेचर पर छह किलोमीटर पैदल ढोया था। 25 साल के उत्तराखंड में जब सरकार रजत जयंती मना रही है, तब पहाड़ के लोग अब भी पुल की राह क्यों देख रहे हैं?
डीएम बागेश्वर आकांक्षा कोंडे ने कहा है कि “उंगिया-सोराग मोटर पुल के निर्माण में हो रही देरी का मामला संज्ञान में है। पुल का निर्माण जल्द कराया जाएगा।”
