हल्द्वानी - वन तस्करों का आतंक, गोलियों से थर्राया जंगल वनकर्मियों पर 22 राउंड की फायरिंग, दरोगा ने ऐसे काटी काली रात 
 

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हल्द्वानी - इन दिनों कुमाऊं के जंगलों में, वन तस्करों का आतंक इस कदर हावी है की यह बेखौफ होकर विभाग के अधिकारियों तक को नहीं बकस रहे हैं. जगलों में हो रही लगातार फायरिंग से वनकर्मी दहशत में हैं. पिछले कुछ महीनों के भीतर यह तीसरी बड़ी घटना है. जानकारी के मुताबिक तराई केंद्रीय वन प्रभाग गदगदिया रेंज हल्द्वानी की टीम मंगलवार रात 11:30 बजे पूर्वी गदगदिया बीट पर गश्त कर रही थी. तभी वन तस्कर मोटरसाइकिल में लकड़ी ले जाते दिखे. 15-20 वन तस्करों ने वन विभाग के गश्ती दल पर 22 राउंड फायर किए. उधर वन विभाग के कर्मचारियों ने अपने बचाव में दो राउंड फायर किए. 

 

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गदगदिया रेंज के गश्ती दल ने जब वन कर्मियों को जाते हुए देखा तो उन्होंने वाहन को उधर घुमा लिया. वन विभाग के वाहन को देखते ही तस्करों ने फायर करने शुरू कर दिए. वन विभाग के गश्ती दल में चालक सहित छह वन कर्मी थे. चालक को छोड़कर सभी गाड़ी से उतरकर पेड़ों के पीछे छिप गए. फायरिंग के दौरान वन कर्मी जंगल में अपनी जान बचाने के लिए पैदल भाग खड़े हुए. उधर दो घंटे बाद पांच वनकर्मी वन रेंज कार्यालय पहुंच गए. उधर एक वन दरोगा जंगल में गायब हो गए. जब ये सूचना वनाधिकारियों को लगी तो छह रेंज की टीम वन दरोगा को ढूंढ़ने में लगी रही. बुधवार छह बजे जब वन दरोगा भटकते हुए मोबाइल सिग्नल की रेंंज में पहुंचे. तब वन कर्मी उनके पास पहुंचे। इसके बाद सभी ने राहत की सांस ली.


पहाड़ से वन दरोगा आनंद पंत का हुआ था ट्रांसफर - 
पहाड़ से स्थानांतरण होकर आए वन दरोगा आनंद पंत को जंगल की जानकारी नहीं थी. वह जंगल में फंस गए। जब वह काफी देर तक नहीं पहुंचे. तो वन कर्मियों ने अनहोनी की आशंका को देखते हुए उच्च अधिकारियों को सूचना दी. देर रात करीब एक बजे अलग-अलग रेंज की छह टीमें हथियारों के साथ जंगल मे घुसी. वन दरोगा को बहुत तलाश किया लेकिन नहीं मिले. सुबह करीब सात बजे जब आनंद पंत मोबाइल सिंगनल में आए तो उनका संपर्क अधिकारियों से हुआ. उन्होंने अपनी लोकेशन भेजी। तब वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। टीम उन्हें जंगल से निकालकर रेंंज कार्यालय लाई.


घने जंगल और बारिश में भटकते रहे पंत - 
वन दरोगा जंगल से अनजान थे। रात बारिश बहुत हो रही थी. नालों में पानी चल रहा था। छाता से लेकर उनके पास कुछ भी नहीं था. देखने के लिए मात्र एक मोबाइल था, वह अंधेरे में जान बचाने के लिए जंगल में रात भर भटकते रहे.  जब थक हार गए तो एक पेड़ में चढ़कर बैठ गए। जब सुबह उजाला हुआ तो उन्होंने दोबारा जंगल की सड़क ढूंढ़ी और मोबाइल लेकर सिंगनल ढूंढते रहे। जब करीब सात बजे मोबाइल में सिगनल आया तब उन्होंने अपने अधिकारियों को अवगत कराया.


संवेदनशील रेंज, दो-दो रेंज का कार्यभार एक-एक रेंजर पर - 
तराई केंद्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर की बरहैनी, पीपलपड़ाव, टांडा और गदगदिया रेंज बहुत संवेनशील रेंज है। नियमानुसार हर रेंज में एक-एक रेंजर होना चाहिए। लेकिन यहां बरहैनी-गदगदिया रेंज का चार्ज प्रदीप कुमार असगोला और पीपलपड़ाव-टांडा का प्रभार रेंजर रुप नारायण गौतम के पास है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कैसे दो रेंजर चार बीट संभालेंगे। जबकि ये बीटें सबसे अधिक संवेदनशील हैं.

 


"रेंजर गदगदिया प्रदीप कुमार असगोला ने बताया की गदगदिया रेंज की टीम गश्त में थी। तस्करों ने उनकी टीम पर करीब 22 फायर किए। सभी वन कर्मी किसी तरह अपनी जान बचाकर भागकर आए। एक वन दरोगा रात में जंगल में फंस गए। उन्हें ढूंढने के लिए छह रेंज की टीम लगाई गई थी। बुधवार सुबह वह मिल गए."

"डीएफओ तराई केंद्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर यूसी तिवारी ने बताया की वन कर्मियों पर वन तस्करों ने मंगलवार रात हमला किया। बारिश के कारण तस्कर को टीम पहचान नहीं पाई। कितने पेड़ जंगल से कटे हैं, सर्च अभियान चलाया जा रहा है। तस्करों की पहचान की जा रही है."

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