हल्द्वानी - जेल में होगी नैनीताल दुग्ध संघ की बोर्ड बैठक, दुष्कर्म और पॉक्सो के आरोप में बंद है मुकेश बोरा, कांग्रेस ने कसा तंज

हल्द्वानी - पूर्व बीजेपी नेता और नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा पर एक महिला के साथ दुष्कर्म और उसकी बेटी के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में वह पॉक्सो एक्ट समेत विभिन्न धाराओं के तहत हल्द्वानी जेल में बंद हैं। हालांकि, नैनीताल दुग्ध संघ की बोर्ड बैठक की आवश्यकता को देखते हुए पॉक्सो कोर्ट ने 5 फरवरी को जेल में ही बैठक आयोजित करने की अनुमति दी है। बैठक का आयोजन इसलिए किया जा रहा है ताकि नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की दुग्ध आपूर्ति प्रभावित न हो। कोर्ट ने बैठक के लिए सख्त शर्तें रखी हैं, जिसमें केवल वही लोग शामिल हो सकेंगे जिनका नाम कोर्ट के आदेश में उल्लेखित है। बैठक में समिति के 11 सदस्य, सदस्य सचिव और एक लिपिक को शामिल होने की अनुमति है। बैठक का खर्च नैनीताल दुग्ध संघ द्वारा उठाया जाएगा।

मुकेश बोरा के वकील ने कोर्ट में यह दलील दी थी कि दुग्ध संघ के सफल संचालन के लिए हर छह महीने में बैठक आयोजित करना जरूरी है। उन्होंने बैठक जेल से बाहर आयोजित करने का अनुरोध किया था, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों से इसका विरोध किया। पुलिस ने कहा कि मुकेश बोरा की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इसके बाद कोर्ट ने जेल में ही बैठक आयोजित करने का आदेश दिया। यह मामला काफी चर्चा में रहा है क्योंकि मुकेश बोरा एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति और सहकारी संघ के अध्यक्ष हैं। उन पर लगे आरोप गंभीर हैं और इस मामले की सुनवाई जारी है। बैठक का आयोजन जेल में करने का निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि संघ के कामकाज में कोई बाधा न आए।

कांग्रेस पार्टी ने बैठक जेल के अंदर होने को लेकर हैरानी जताई -
कांग्रेस पार्टी ने नैनीताल दुग्ध संघ की बैठक जेल के अंदर होने को लेकर हैरानी जताई है। पार्टी प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हल्द्वानी दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा पर धारा 376 और पोक्सो एक्ट के तहत गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर एक महिला कर्मी और उसकी बच्ची के साथ दुराचार का मामला चल रहा है, जिसके चलते वह पिछले चार महीनों से जेल में हैं। ऐसे में, उन्हें जेल के अंदर ही बैठक बुलाने की अनुमति देना चौंकाने वाला है। दसौनी ने आगे कहा कि ऐसा केवल भाजपा के शासन में ही संभव है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को "भाजपा है तो मुमकिन है" की तर्ज पर प्रस्तुत किया, जो भाजपा की विवादास्पद नीतियों और कार्यशैली पर एक तीखा टिप्पणी है।