नैनीताल - फायर सीजन से पहले सख्त हुआ हाईकोर्ट, चीफ कंजर्वेटर को पेश होने और वनाग्नि पर नियंत्रण के मांगा पूरा प्लान

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नैनीताल - हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग की समस्या पर गंभीरता से ध्यान देते हुए इस मामले की सुनवाई की है। कोर्ट ने इस संबंध में पहले भी कई दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन उनका पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है। इसलिए, कोर्ट ने इस मामले को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। कोर्ट ने पीसीसीएफ धनंजय मोहन को वनाग्नि पर काबू पाने के लिए एक विस्तृत प्लान प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। साथ ही पीसीसीएफ और याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं से इस समस्या के समाधान के लिए सुझाव देने को कहा है।


नैनीताल हाईकोर्ट ने 2016 में जंगलों को आग से बचाने के लिए गाइडलाइन जारी की थी। इसमें गांव स्तर पर आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित करने और नागरिकों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए थे। 2021 में, कोर्ट ने मुख्य समाचार पत्रों में प्रकाशित जंगल की आग की खबरों पर स्वतः संज्ञान लिया था। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने भी इस मुद्दे पर मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर वन, वन्यजीव और पर्यावरण को बचाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था।


सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पीसीसीएफ (प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट) धनंजय मोहन को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने और वनाग्नि पर काबू पाने के लिए एक पूरा प्लान प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, पीसीसीएफ और याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं से इस समस्या के समाधान के लिए सुझाव देने को कहा गया है।


कोर्ट ने कहा कि गांव स्तर पर आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित की जानी चाहिए और नागरिकों को जागरूक किया जाना चाहिए। यह कदम आग पर नियंत्रण पाने के लिए अधिक प्रभावी हो सकता है। न्यायमित्र ने कहा कि सरकार द्वारा आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग किया जा रहा है, जो काफी महंगा है और पूरी तरह से आग पर नियंत्रण नहीं कर पाता। इसके बजाय, गांव स्तर पर कमेटियां गठित करना और लोगों को जागरूक करना अधिक प्रभावी हो सकता है।

नैनीताल हाईकोर्ट ने जंगलों में लगने वाली आग की समस्या को गंभीरता से लिया है और इसके समाधान के लिए राज्य सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने गांव स्तर पर कमेटियां गठित करने और नागरिकों को जागरूक करने पर जोर दिया है, ताकि आग पर नियंत्रण पाया जा सके। इसके अलावा, हेलीकॉप्टर के उपयोग की जगह स्थानीय स्तर पर कार्रवाई करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है।

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