हल्द्वानी - सुशीला तिवारी अस्पताल में जेनेरिक दवाओं के आदेश की अनदेखी, मरीजों की जेब पर भारी पड़ रहा ‘कमीशन खेल’

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हल्द्वानी – सस्ती दवा और इलाज की उम्मीद में सुशीला तिवारी अस्पताल पहुँचने वाले मरीजों को डॉक्टरों की मनमानी और कमीशनखोरी की वजह से महंगी दवाएं खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन के आदेश के बावजूद, कई डॉक्टर न तो अस्पताल में उपलब्ध दवाएं लिख रहे हैं, न ही प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की सस्ती जेनेरिक दवाओं को तवज्जो दे रहे हैं।

अस्पताल की ओपीडी और आईपीडी में करीब 574 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, जिन्हें मरीजों को मुफ्त में दिया जाता है। बावजूद इसके, मरीजों से बाहर की दवाएं लिखवाकर खरीदी जा रही हैं, जिनकी कीमतें 1000 रुपये से ऊपर जा रही हैं। ये दवाएं बीपी, शुगर, थायरॉइड, मल्टी विटामिन और एंटीबायोटिक जैसी हैं, जिन्हें अस्पताल की फार्मेसी और जन औषधि केंद्र दोनों में ही सस्ते दाम पर उपलब्ध कराया जा सकता है।

‘जन औषधि की दवाएं बेअसर बताकर मंगवा रहे बाहर की दवाएं’ - 
एसटीएच परिसर में मौजूद जन औषधि केंद्र से दवा दिलवाने के बजाय डॉक्टर बाहर की ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं। आरोप है कि ऐसा कमीशन के लालच में किया जा रहा है, जिससे गरीब और दूर-दराज़ से आने वाले मरीजों की जेब पर भारी असर पड़ रहा है।

प्रशासन की चेतावनी – अब होगी सख्त कार्रवाई - 
राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि मरीजों को केवल अस्पताल की उपलब्ध दवाएं या जन औषधि केंद्र की दवाएं ही लिखी जाएं। यदि बाहर की दवाएं लिखनी हों, तो विभागाध्यक्ष की स्वीकृति अनिवार्य होगी।

मेडिकल शिक्षा सचिव डॉ. आर राजेश ने कहा कि डॉक्टर सिर्फ जेनेरिक दवाएं ही लिखेंगे और यदि जानमाल के बचाव की स्थिति न हो, तो बाहर की दवा लिखना मना होगा। शिकायत मिलने पर संबंधित डॉक्टर को नोटिस जारी कर जांच की जाएगी।

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