हल्द्वानी - इधर हल्द्वानी उधर गौलापार स्टेडियम के लिए चुनौती बनी गौला, अब होगा यह काम जिससे भू कटाव पर लग सकेगी रोक
हल्द्वानी - गौला नदी, हल्द्वानी शहर के लिए जीवनदायनी भी है, और साथ ही प्रदेश के आर्थिकी का एक अहम हिस्सा भी, गौला नदी से खनन मिलने से प्रदेश की झोली भी भरती है, पर यह गौला बारिश के सीजन में हल्द्वानी और गौलापार के लोगों के लिए भय, और कई बार चुनौती लेकर आती है. स्टेडियम हो या फिर गौला का पुल दोनों के लिए बारिश खलल बनती है.
बीते दिनों हुई बारिश से जहाँ एक ओर गौला में बने पुल का पुस्ता टूट गया तो वहीँ, गौलापार स्टेडियम की पार्किंग वाली जमीन को भी अपने साथ बहा ले गयी. साथ ही रेलवे की बनाई सेफ्टी वॉल भी तोड़ डाली, इससे बनभूलपुरा की और 50 मीटर से अधिक कटान हो गया है, इन सभी विकास कार्यों पर 15 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.
गौलापार स्टेडियम के सुरक्षा कार्यों के लिए बुधवार को देहरादून में हुई बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। गौला नदी में बाढ़ की वजह बन रहे मलबे का पहाड़ हटाया जाएगा। उन्होंने कुमाऊं कमिश्नर, जिला प्रशासन, वन निगम, खान विभाग, वन विभाग, सिंचाई विभाग को संयुक्त रूप से सर्वे कर कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने गौला नदी में बाढ़ की वजह बन रहे मलबे को हटाने के लिए त्वरित योजना बनाने के लिए निर्देशित किया है। इसके तहत संबंधित विभाग मिलकर नदी में जमा मलबे का चिन्हीकरण करते हुए नदी को चैनलाइज करने की योजना बनाएंगे। मलबे को हटाने के साथ ही बाढ़ सुरक्षा और चैनलाइजेशन के कार्यों में तेजी से कराने के निर्देश दिए गए।
गौला पुल की एप्रोच रोड के स्थायी समाधान के लिए बुधवार को आईआईटी रुड़की की टीम ने निरीक्षण किया। टीम ने काठगोदाम से बनभूलपुरा तक गौला नदी के बहाव की जानकारी ली। टीम की रिपोर्ट के आधार पर पुल को बचाने के कार्य होंगे। एनएचएआई ने साल 2021 में साढ़े नौ करोड़ से फिर एप्रोच रोड बनाई थी। पर यह कार्य भी बीते शुक्रवार रात की आपदा में बह गया। एनएचएआई अब समस्या का स्थायी समाधान खोज रही है। बुधवार को आईआईटी रुड़की की टीम और एनएचएआई के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से गौला नदी का निरीक्षण किया। आईआईटी टीम ने एनएचएआई को रेलवे स्टेशन से लेकर डाउन स्ट्रीम में पुल के बाद करीब 200 मीटर तक सर्वे कराने के लिए कहा। इसके साथ ही टीम ने गौला नदी के बहाव, कटाव, क्षेत्रफल आदि बारीकियां जानीं।
अब आईआईटी टीम इस पर एक रिपोर्ट तैयार करेगी। रिपोर्ट आने के बाद एनएचएआई के अधिकारी अपनी कार्ययोजना बनाएंगे। फिलहाल पांच पोकलेन गौला नदी को चैनलाइज करने का कार्य कर रही हैं। नदी का बहाव स्टेडियम की तरफ करने के बाद एनएचएआई ने मैपिंग का कार्य भी शुरू कर दिया है।
विशेषज्ञों की टीम ने चर्चा करते हुए कहा कि पुल को बचाने के लिए रिटर्निंग वॉल बनानी पड़ेगी। नदी में बहाव तेज होने से किनारों पर भू-कटाव की संभावना कम हो जाएगी। इससे नदी का बहाव सीधी दिशा में रहेगा।