अल्मोड़ा - द्वाराहाट इंजीनिरिंग कॉलेज के निदेशक की अवैध तरह से हुई है नियुक्ति, विधायक मदन बिष्ट ने खोले यह राज !

 | 

अल्मोड़ा - उत्तराखंड की द्वारहाट सीट (Dwarahat Assembly constituency Uttarakhand) से कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट (Congress MLA  Madan Bisht Dwarahat) और द्वाराहाट इंजीनिरिंग कॉलेज (Bipin Tripathi Kumaon Institute of Technology Dwarahat) के निदेशक के. के. एस मेर (Dr. Krishan Kant Singh Mer, Director - B.T.K.I.T. Dwarahat) के बीच विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है, दरसअल विधायक बिष्ट ने संस्थान में नियमित निदेशक नहीं होने के कारण कार्यवाहक निदेशक डॉ० के के एस मेर की नियुक्ति को अब नियम एवं क़ानूनों के विपरीत होने का आरोप लगाया है। 


दरअसल द्वाराहाट से विधायक मदन बिष्ट ने प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने डॉ के. के.एस मेर, कार्यवाहक निदेशक, बीटीकेआईटी, द्वाराहट को अवैध रूप से कार्यवाहक निदेशक बनाए जाने पर कई आरोप गंभीर आरोप लगाए हैं। विधायक मदन बिष्ट ने बताया डॉ॰ मेर को संस्थान बीटीकेआईटी, द्वाराहाट की प्रशासकीय परिषद की दिनांक 22 दिसंबर 2021 को सम्पन्न प्रशासकीय परिषद की 23वीं बैठक के बिन्दु संख्या 23.05 के विरुद्ध की गई है। डॉ॰ मेर की नियुक्ति 06 जुलाई 2005 को जिस विज्ञापन के सापेक्ष की गई थी उसमें सामान्य श्रेणी में इस तरह का कोई पद विज्ञापित ही नहीं किया गया था। जो पद विज्ञापित किया गया था वो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। विधायक ने कहा डॉ० मेर सामान्य श्रेणी से आते हैं। और उनकी नियुक्ति अनुसूचित जाति के पद के सापेक्ष की गई है जो की नियम विरुद्ध है।


विधायक ने कहा डॉ० मेर ने शैक्षणिक अवकाश के दौरान बिना IIT रुड़की के अनुमति के संस्थान में दिनांक 6 जुलाई 2005 को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर अपना योगदान दे दिया एवं Assistant Professor पद का वेतन आहरण करने लग गए जो कि नियम विरुद्ध है। जब डॉ० मेर अपनी Ph. D. को बीच में छोडकर संस्थान में Assistant Professor के पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया तो किस नियम के तहत वह फिर से बिना BOG / शासन कि अनुमति से रूड़की में Ph.D. करने चले गए और वर्ष 2006 में विधिवत शैक्षणिक अवकाश समाप्त होने पर संस्थान में पुनः योगदान दे दिया।


विधायक बिष्ट ने कहा शासन के सुसंगत शासनादेशों के अनुसार या तो डॉ० मेर का दिनांक 6 जुलाई 2005 को Assistant Professor के पद पर कार्यभार ग्रहण करना गलत है, अगर कार्यभार ग्रहण करना सही है तो फिर इनकी Ph. D. मान्य नहीं है। अब यह शासन को तय करना है कि डॉ० मेर के दिनांक 5 जुलाई 2005 को Assistant Professor के पद पर कार्यभार को वैध मानते हुये उनकी Ph. D. को अवैध करार देता है या इनके असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यभार को अवैध एवं Ph. D. को वैध करार देता है। इस पर निर्णय शासन को लेना है।


डॉ० मेर के पास वर्ष 2011-12 में प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन के लिए न्यूनतम 400 API स्कोर भी नहीं था तो उनका प्रमोशन प्रोफेसर के पद पर कैसे हो गया। न्यूनतम आहर्ता न रखते हुये भी डॉ॰ मेर को प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन दिये जाने के कारण लगभग 70-80 लाख रुपए का वेतन के रूप में अधिक भुगतान हो चुका है। वर्ष 2011 से प्रोफेसर के पद के समतुल्य वेतन आहरण एवं प्रोफेसर के पद पर होने के कारण निदेशक जैसे अति महत्वपूर्ण पदों का लाभ लेना एक गंभीर वित्तीय अनियमितता है जिसमें लगभग 80 लाख रुपए के सरकारी धन कि क्षति/ गबन और दुरुपयोग हो गया है।


विधायक ने मुख्यमंत्री और तकनीकी शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर निदेशक का कार्यभार डॉ॰ मेर से तत्काल हटाते हुये संस्थान के ही किसी वरिष्ठ प्रोफेसर जो AICTE के मानकों को पूर्ण करता हो उसको दिया जाय। तथा बिन्दु संख्या 02 से 06 के संबंध में तत्काल डॉ॰ मेर की शासन स्तर से अतिशीघ्र उच्च स्तरीय जांच करवाने हेतु समिति / एसआईटी / सतर्कता विभाग या किसी अन्य जांच एजेंसी के माध्यम से समयबद्ध जांच होनी चाहिए। 

 

क्यों बढ़ी है विधायक और निदेशक की तकरार - 
दरसअल विधायक बिष्ट का पिछले साल 16 सितम्बर 2023 को एक वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ था, विधायक अपने समर्थकों के साथ आगबबूला होते हुए निदेशक के आवास पर धमक उठे। लिहाजा अब इस मामले में द्वाराहाट कॉलेज (Engineering College Dwarahat) के निदेशक केके एस मेर (Dr. Krishan Kant Singh Mer, Director - B.T.K.I.T. Dwarahat) ने विधायक के खिलाफ द्वाराहाट कोतवाली मुकदमा दर्ज करा दिया था।  तब मामले की गंभीरता को देखते हुए द्वाराहाट पुलिस ने विधायक के खिलाफ धारा 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था, तब से ही विधायक और निदेशक के बीच आपस में टकराव जारी है।

WhatsApp Group Join Now