हल्द्वानी-अब इंजेक्शन से ऐसे होगा पाइल्स, फिसर, फिस्टुला का इलाज, मिलेंगी ये सुवधिायें

हल्द्वानी-श्री कृष्णा पाईल्स केयर सेंटर के विशेषज्ञ एमबीबीएस डा. अमन ने बताया कि उनके यहां गुदा रोग (पाइल्स, फिसर, फिस्टुला) का सफल इलाज किया जाता है। उनके यहां डिजिटल प्रोस्टोस्कोपी द्वारा जांच एवं स्कैलेरोथेरेपी द्वारा इलाज की सुविधा उपलब्ध है। आइये जानते है सबसे पहले पाइल्स, फिशर और फिस्टुला की बीमारी के बारे में-

डा. अमन का कहना है कि बवासीर (पाइल्स) एक गुदा मार्ग में उत्तकों का समूह है जिसे हम गांठ कहते जो रक्त वाहिन के बहाव से फूल जाता है, मल के दबाव में बाहर आ आता है। वर्तमान में 50 प्रतिशत लोगों को ये समस्या है। देश में लगभग 70 प्रतिशत लोगों को यह समस्या 50 वर्ष से पहले पता लग जाता है। लेकिन लोग अल्प ज्ञान व भ्रामक स्थिति में अपना इलाज सही प्रकार से नहीं करा पाते। जिससे जिन्हें बड़े गंभीर परिणाम का सामना करना पड़ता है।

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बवसीर की मूल बातें व पहचान पाइल्स उत्तकों व रक्त वाहीनी का समूह जो फूल जाता है। ये गुदा में अंदर व बाहर दोनों प्रकार के होते है। बवासीर होने का प्रमुख कारण लंबे समय से पेट साफ न होना, मल रूक-रूककर आना या दस्त होना, ज्यादा वजन बढऩा या बहुत वजन उठाना, गर्भावस्था व मल त्यागने में जोर लगाना तथा लंबे समय से दवा का उपयोग करना है।
आइये जानते है बवासीर कितने प्रकार के होती है-
अंद्रुनी बवासीर-गुदा में अंदर 2 से 4 सेमी मल द्वारा के शुरूआत में स्थित होते है।
बाहरी बवासीर-सामान्यत: गुदा के बाहरी सतह पर होती है। गुदा रोग विशेषज्ञ बवासीर को चार ग्रेडस में विभाजित करते है। ग्रेड प्रथम व दूसरा सामान्यत: पता नहीं लग पाते क्योंकि वो अंदर से सतह पर होते है। तथा ज्यादातर लोग इसपर ध्यान भी नहीं देते है। ग्रेड तीसरे व चौथे अति गंभीर स्थिति होती है जिसमें खून आना व जलन प्रमुख लक्षण होते है। तब रोगी को पता लगता है कि उसे बवासीर हो चुका है। मल त्यागते समय बहुत तेज दर्द व जलन होता है तथा रोगी को लगातार मल त्यागने की इच्छा होती है।
बवासीर का इलाज-
ऐलोपैथी-सर्जरी, लेजर सर्जरी
आयुर्वेद- क्षार सूत्र (इसके धागों द्वारा मस्सों को बंाध दिया जाते है।)
स्कैलेरोथेरेपी (इंजक्शन मैथड द्वारा)-इसमें मस्सों में एक पॉलीडीकोनॉल इन्जेक्शन के द्वारा डाल दिया जाता है जा मस्सों को खत्म कर देता है। बवासीर (पाइल्स) के बारे में विशेष जानकारी होना आवश्यक है।
गुदा के लक्षण-
गुदा में जलन व दर्द फिशर होता है। गुदचीर (फिशर) गुदा में लगा हुआ घाव होता है। इसमें मल के साथ लगा हुआ खून आता है।
गुदचीर (फिशर) दो प्रकार का होता है।
क-एक्यूट फिशर-जलन व खुजली होती है। कुछ समय में ठीक हो जाता है।
ख-च्रोनिक फिशर-इसमें जलन व दर्द के साथ मल से लगा हुआ खून आने लगता है। इसे नासूर कहते है। फिशर के अधिक समय हो जाने पर गुदा के आन्तरिक हिस्से में सूजन आने लगती है। इसके साथ गंाठें बनने लगते है जिन्हें हम लोग बवासीर या पाइल्स कहते है। इसके चार प्रकार होते है तथा इसमें आन्तरिक और बाहरी हिस्से पर सूजन आ जाता है।
भगंदर(फिस्टूला)-इसमें गुदा के अंदर दो से चार सेमी अंदर की तरफ मस्से होते हैं जो फूलकर गुदा में सडऩ पैदा कर देते है। बाहर फोड़े के रूप में एक या कई हो सकते है। ये एक प्रकार का कैंसर की स्थिति है।
गुदा का पलटना ( प्रोलेप्स ऑफ एनल)-जब ये मस्से फूलकर बाहर हो जाते है इन्हें प्रोलेप्स ऑफ एनल कहते हैं।
विशेषज्ञों द्वारा बवासीर को चार भागों में विभाजित किया गया है।
ग्रेड 1, 2- यह शुरूआती स्टेज होती है। इसमें कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते है, कई बार मरीजों कापता भी नहीं लग पाता है।
ग्रेड 3,4- यह गंभीर स्थिति होती है क्यों इसमें मस्से बाहर आ जाते है। तथा तेज जलन व खून आने लगता है। आप तल्ली बमौरी स्थित श्यामा गार्डन के पास हल्द्वानी या रुदपुर में नवरंग होटल के पास जेके टॉवर शॉप नंबर-2 जनता स्कूल के पास सुबह 11 बजे से दो बजे और सायं 4 बजे से 6 बजे तक चिकित्सक से मिल सकते है।
नोट- जब भी कभी आप किसी भी गुदा के इलाज के लिए जायें तो पूर्ण जानकारी लें। किसी भी उपचार से पहले क्या उपयोग रहा है, क्या कारण है तथा विशेष इंजेक्शन के इलाज स्कैलेरोथेरेपी इलाज मेंं उपयोग होने वाले इन्जेक्शन की जानकारी लिखित अवश्य लें।