Kumaon News - रूस में पढ़ाई करने गए युवक को धोखे से सेना ने युद्ध में झोंका, राकेश की कहानी ने सबको रुलाया
सितारगंज (ऊधमसिंह नगर)। उच्च शिक्षा का सपना लेकर रूस गया एक होनहार युवक यूक्रेन युद्ध की भेंट चढ़ गया। सितारगंज के शक्तिफार्म निवासी राकेश मौर्य (30) को पढ़ाई के नाम पर रूस बुलाया गया, लेकिन वहां कथित रूप से धोखे से सेना में भर्ती कर उसे युद्ध के मैदान में झोंक दिया गया। कुछ ही दिनों बाद यूक्रेन में हुए बम विस्फोट में उसकी मौत हो गई। बुधवार को जब उसका पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई और हर आंख नम हो गई।
कुशमौठ, शक्तिफार्म निवासी राजबहादुर सिंह के बेटे राकेश मौर्य का सपना साधारण था—अच्छी पढ़ाई, बेहतर भविष्य और परिवार का सहारा बनना। 5 अगस्त को वह स्टडी वीजा पर रूस गया था। परिजनों के अनुसार, वहां पहुंचते ही हालात बदल गए। राकेश को कथित तौर पर धोखे से रूसी सेना में शामिल कर लिया गया और किताबों की जगह उसके हाथों में बंदूक थमा दी गई।
परिजनों ने बताया कि 30 अगस्त को राकेश की उनसे आखिरी बातचीत हुई थी। उसने बताया कि रूसी सेना ने उसका पासपोर्ट और जरूरी दस्तावेज जब्त कर लिए, मोबाइल और लैपटॉप से आधिकारिक मेल डिलीट कर दिए गए। रूसी भाषा में लिखे दस्तावेजों पर जबरन हस्ताक्षर कराए गए और सैन्य वर्दी पहनाकर डोनबास क्षेत्र में प्रशिक्षण व युद्ध के लिए भेज दिया गया।
भाई की हर कोशिश रही बेकार -
राकेश के छोटे भाई दीपू ने बताया कि भाई की सुरक्षित वापसी के लिए उसने रूस स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया। विदेश मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन को भी पूरी जानकारी दी गई, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद राकेश को बचाया नहीं जा सका। कुछ ही दिनों बाद यूक्रेन में बम विस्फोट में उसकी मौत की सूचना परिवार को मिली, जिसने सबको तोड़ कर रख दिया।
दुआओं से मातम तक का सफर -
घर में रोज दीया जलता था, मां की नजरें दरवाजे पर टिकी रहती थीं। पिता और भाई हर फोन कॉल पर किसी अच्छी खबर की उम्मीद करते थे। बेटे की सलामती के लिए दिन-रात दुआएं मांगी जा रही थीं, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जब पार्थिव शरीर शक्तिफार्म पहुंचा, तो दुआ मांगने वाले हाथ छाती पीटते नजर आए।
मूल रूप से गुर्जर पलिया, बदायूं (उत्तर प्रदेश) निवासी राकेश का परिवार वर्षों पहले शक्तिफार्म आकर बस गया था। उसने जीआईसी शक्तिफार्म से प्रारंभिक शिक्षा ली, खटीमा से बीएससी की और आईटी में डिप्लोमा हासिल किया। तीन भाइयों में वह सबसे बड़ा था। एक भाई बेंगलुरु में नौकरी करता है, जबकि छोटा भाई बीटेक की पढ़ाई कर रहा है। राकेश की दर्दनाक कहानी ने एक बार फिर विदेश में पढ़ाई और रोजगार के नाम पर युवाओं के साथ हो रहे कथित धोखाधड़ी के मामलों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
