कोटद्वार - अंकिता भंडारी हत्याकांड के तीनों आरोपी दोषी, छावनी में तब्दील हुआ ADJ कोर्ट

कोटद्वार - बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया। न्यायालय ने मुख्य आरोपी पुलकित आर्य और उसके दो सहयोगियों – सौरभ भास्कर एवं अंकित गुप्ता – को हत्या के आरोप में दोषी करार दिया है। तीनों आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाना), और 354 (महिला की गरिमा भंग करना) के तहत दोष सिद्ध हुआ है। अदालत का अंतिम निर्णय कुछ ही देर में आने की संभावना है, जिसमें सजा की घोषणा की जाएगी।

पूरे राज्य की नजरें फैसले पर टिकी थीं -
उत्तराखंड ही नहीं, देशभर की नजरें इस बहुप्रतीक्षित फैसले पर टिकी थीं। कोटद्वार में सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे। अदालत परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, उत्तरकाशी सहित कई जिलों से भारी पुलिस बल और डेढ़ कंपनी पीएसी के जवान तैनात किए गए।

कोतवाल रमेश तनवार ने बताया कि अदालत परिसर के भीतर किसी भी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी। पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर कई दौर की बैठकें और मॉक ड्रिल आयोजित की थीं। वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी खुद मौके पर मौजूद रहे और सुरक्षा व्यवस्था पर नजर बनाए रखी।
अभियोजन की ओर से ठोस पैरवी
19 मई को विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने बचाव पक्ष की बहस का जवाब देते हुए सुनवाई की प्रक्रिया पूरी की थी। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस और दलीलें सुनने के बाद 30 मई को निर्णय सुनाने की तिथि निर्धारित की थी। इस बहुचर्चित मामले की सुनवाई 30 जनवरी 2023 को शुरू हुई थी। एसआईटी जांच के आधार पर अभियोजन पक्ष ने 500 पन्नों का विस्तृत आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया था।
क्या था मामला?
अंकिता भंडारी की हत्या सितंबर 2022 में हुई थी, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। आरोप था कि आरोपी पुलकित आर्य, जो एक रिज़ॉर्ट संचालक था, ने अपने कर्मचारियों के साथ मिलकर अंकिता की हत्या की और शव को नहर में फेंक दिया। इस मामले ने प्रदेश की कानून व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर तीखी बहस छेड़ दी थी।
कोर्ट द्वारा दोष सिद्ध किए जाने के बाद अब अगला चरण सजा की घोषणा का है, जो कुछ ही देर में घोषित की जाएगी।
उत्तराखंड की जनता को लंबे इंतज़ार के बाद इस केस में न्याय की एक बड़ी उम्मीद मिली है। अदालत के इस फैसले को न्याय व्यवस्था में जनता के भरोसे के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।