नैनीताल - नदियों में मशीनों से ड्रेजिंग पर लगी रोक को हाईकोर्ट ने हटाया, सरकार के लिए राहत भरी खबर 

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नैनीताल - प्रदेश की नदियों में मशीनों से ड्रेजिंग पर लगी रोक को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हटा दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मंनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने प्रदेश में एसओपी के आधार पर मशीनों के उपयोग से ड्रेजिंग करने की अनुमति दे दी है। दरसअल आपदा विभाग के द्वारा बरसात के बाद नदियों में रिवर ड्रेजिंग कराई जाती थी। इसमें एक साल पूर्व जनहित याचिका लगाई गई थी। तब हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी लिहाजा अब नदियों से मलबा हट सकेगा और उनको चैनलाइज़ किया जा सकेगा। जानकारी मिली हैं की निदेशक एस.एल पैट्रिक नैनीताल हाईकोर्ट में मौजूद हैं। 


प्रार्थनापत्र में सरकार की ओर से कहा गया कि न्यायालय ने बीते वर्ष नदियों से मलबा हटाने के लिये मशीनों के प्रयोग पर रोक लगा दी थी। इससे कई दिक्कतें आ रही हैं। मैनुअल यानि (हाथों से) मलबा उठाना संभव नहीं है। सरकार मानिटरिंग के लिये ठोस कदम उठा रही है। कमेटियों का गठन किया गया है। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि आज खंडपीठ ने खनन संबंधीत जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मशीनों से ड्रेजिंग पर लगी रोक को हटा दिया है। इसके बाद सरकार प्रदेश में एक एसओपी के आधार पर मशीनों से ड्रेजिंग करने को कहा है।


आपको बता दें की गुलजारपुर निवासी प्रिन्सपाल सिंह और गगन पाराशर ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उधम सिंह नगर जिले में रामनगर रेंज के गुलजारपुर स्थित जंगलों से लगातार अवैध खनन हो रहा है। इसे तत्काल रोका जाए, क्योंकि इससे वन संपदा को भी नुकसान हो रहा है। न्यायालय ने स्टोन क्रशर के मामले में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से ग्रामीणों की शिकायत वाले क्षेत्र का फिजिकल निरीक्षण कर न्यायालय में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
 

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