हरिद्वार - भूमि घोटाले की जांच की कमान चर्चाओं में आयी IPS रचिता जुयाल को सौंपी, विजिलेंस ने बनाई पांच सदस्यीय टीम 

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देहरादून- इस्तीफे के बाद चर्चा में आईं आईपीएस अधिकारी रचिता जुयाल को उत्तराखंड सरकार ने एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। हरिद्वार के बहुचर्चित भूमि घोटाले की जांच के लिए सरकार ने विजिलेंस जांच के आदेश जारी किए हैं और इसके लिए पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। इस टीम की अगुवाई आईपीएस रचिता जुयाल करेंगी। गृह सचिव शैलेश बगौली ने गुरुवार को विजिलेंस जांच का आदेश जारी किया।

जांच आदेश जारी होते ही पुलिस मुख्यालय ने कार्रवाई करते हुए विजिलेंस टीम गठित की। इस टीम में एसपी रचिता जुयाल के अलावा चार अन्य अधिकारी शामिल किए गए हैं। रचिता जुयाल 2015 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने कुछ समय पहले पारिवारिक कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दिया था, जिसे अभी सरकार ने स्वीकार नहीं किया है। इसी बीच उन्हें यह महत्वपूर्ण जांच सौंप दी गई है।

क्या है हरिद्वार भूमि घोटाला?
साल 2024 में हरिद्वार नगर निगम ने सराय गांव में लगभग 33 बीघा जमीन खरीदी थी। इस जमीन की मार्केट वैल्यू करीब 13 करोड़ रुपये थी, लेकिन इसे कृषि से अकृषि (143) में बदलवाकर 54 करोड़ रुपये में खरीदा गया। इस खरीद में भारी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की बात सामने आई थी।

सरकार ने इस मामले की जांच का जिम्मा सचिव रणवीर सिंह चौहान को सौंपा था। उनकी रिपोर्ट में अधिकारियों की गंभीर लापरवाही उजागर हुई। रिपोर्ट के आधार पर 3 जून को सरकार ने सात अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इससे पहले भी पांच अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है।

3 जून को निलंबित किए गए अफसर - 
कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी व पूर्व प्रशासक, नगर निगम हरिद्वार
वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त
अजयवीर सिंह – तत्कालीन उपजिलाधिकारी
निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी
विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक
राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो
कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी

रविंद्र कुमार दयाल – सेवा समाप्त
आनंद सिंह मिश्रवाण – निलंबित
लक्ष्मी कांत भट्ट – निलंबित
दिनेश चंद्र कांडपाल – निलंबित
वेदपाल – सेवा विस्तार समाप्त

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विजिलेंस जांच के निर्देश दिए थे। अब इस घोटाले की विस्तृत जांच एसपी रचिता जुयाल की अगुवाई में की जाएगी। इस कार्रवाई को लेकर सरकार की मंशा स्पष्ट है कि किसी भी प्रकार की अनियमितता पर अब कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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