हल्द्वानी - इन मुद्दों को लेकर हल्द्वानी की जनता उतरी थी मतदान करने, जानिए वोट देते समय क्या घूम रहा था वोटर्स के दिमाग में

हल्द्वानी - नगर निगम के चुनाव ने इस बार भाजपा और कांग्रेस, दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया। दोनों ही पार्टियों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन मतदान संपन्न होने के बाद स्थिति अब भी अनिश्चित बनी हुई है। मतदाताओं के रुझान का सही अनुमान लगाने में न तो भाजपा सफल हो पाई है और न ही कांग्रेस। ऐसे में प्रत्याशियों, बड़े नेताओं, और कार्यकर्ताओं की बेचैनी स्वाभाविक है। हम कुछ फैक्ट आपके सामने रख रहे हैं।

समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार बैठने का प्रभाव -
हल्द्वानी नगर निगम के ग्रामीण इलाकों खासकर हिन्दू बहुल क्षेत्रों में मतदाताओं के भीतर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के बैठने पर आक्रोश था लोगों का मानना था की भाजपा को हराने के लिए और बनभूलपुरा के मुस्लिम बहुल इलाकों के वोटों का धुर्वीकरण न हो इस तरह से कांग्रेस की रणनीति रही होगी, इसलिए कई मतदाताओं का मानना था की वह अब भाजपा को ही वोट करने वाले हैं। जिस तरह बनभूलपुरा से कांग्रेस को समर्थन रहा वैसे ही कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र से कई वार्डों में भाजपा को अच्छा समर्थन मिलता हुआ दिखा है।

भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर -
चुनाव के दौरान हमने देखा की भाजपा के खिलाफ 10 सालों की निगम में सत्ता विरोधी लहर भी हावी थी, जगह - जगह सड़कों को खोद देना और उन्हें सही नहीं करना इस वजह से लोगों पर काफी गुस्सा था, गर्मियों में वार्डों पर पानी नहीं आना और बिजली का बार - बार कटना भी कुछ लोगों का मुद्दा इस चुनाव में रहा था। खासकर बनभूलपुरा, राजपुरा और बाजार क्षेत्रों में भाजपा के पक्ष में काफी कम मतदान होने की संभावनाएं हैं। ऐसे में इन जगहों से ललित जोशी को लाभ की संभावना है।
बंटेंगे तो कटेंगे का नारा भी हावी -
हल्द्वानी में बीजेपी ने चुनाव से एक दिन पहले शहर की सड़कों पर "बंटेंगे तो कटेंगे" के होडिंग लगा डाले थे होडिंग में नारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की फोटो के साथ लगाया था, जिसके बाद बड़ी संख्या में हिन्दू वोटर इससे प्रभावित हुए होंगे और बीजेपी को इससे ग्रामीण इलाकों में अच्छा वोट मिलने की उम्मीद है।
OBC फैक्टर का प्रभाव -
कई लोगों का मानना था की गजराज बिष्ट OBC समाज से आते हैं ऐसे में सामान्य सीट पर भी उनकी दावेदारी उनकी समझ में नहीं आयी, कई मतदाताओं का कहना था की ओबीसी सीट रहती तो भाजपा से गजराज बिष्ट मजबूत थे पर सीट ओबीसी से जनरल परिवर्तित करना उनके समझ से परे है.
महिलाओं का सुरक्षा को लेकर रहा मतदान -
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को बिजली, पानी और सड़क से ज्यादा महिला सुरक्षा की चिंता थी, महिलाओं का कहना था की शहर के कई इलाकों में नशेड़ियों का प्रकोप है, ऐसे में उन्हें सुरक्षा का भय है, और इसी को लेकर वह मतदान कर रही हैं।
युवाओं का रोजगार का मुद्दा -
कई सारे युवाओं से बात हुई तो उनका रोजगार अहम मुद्दा था, उन्होंने कहा जो सरकार रोजगार देगी हम उनके साथ खड़े हैं, कई युवा पहली बार अपना मत करते हुए दिखे तो किसी के लिए धर्म भी अहम मुद्दा रहा था। किसी ने विकास तो कोई परिवर्तन के लिए उतारू थे। यानि निकाय चुनाव में युवाओं का मिलाजुला असर देखने को मिला।
बाजार में चौड़ीकरण को लेकर मुद्दा -
हल्द्वानी के शहर में चौड़ीकरण का मुद्दा भी हावी रहा ऐसे में व्यापारी वर्ग नाखुश भी नजर आया। लोगों ने दुकानों को तोड़ने और व्यापार को ख़त्म करने की साजिश बताया, इससे बीजेपी को कुछ हद तक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
नतीजों को लेकर संशय -
अब जबकि मतदान हो चुका है, हार-जीत को लेकर अटकलें तेज हैं। राजनीतिक विश्लेषक और कार्यकर्ता दोनों ही अपने-अपने गणित में जुटे हैं। हालांकि, असली तस्वीर कल मतगणना के बाद ही साफ हो पाएगी।