हल्द्वानी - भीमताल विधायक पर पत्नी को निर्विरोध बनाने को लेकर तानाशाही का आरोप, BDC प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने पर आक्रोश

हल्द्वानी/ भीमताल - ओखलकांडा ब्लॉक के बड़ौन क्षेत्र से क्षेत्र पंचायत सदस्य पद की प्रत्याशी बचुली देवी का नामांकन खारिज होने के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है। नामांकन निरस्त किए जाने के विरोध में बुधवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण हल्द्वानी पहुंचे और पहले कोतवाली में विरोध प्रदर्शन और फिर कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के कैंप कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे राज्य आंदोलनकारी और कांग्रेस नेता हरीश पनेरु ने आरोप लगाया कि बचुली देवी ने नामांकन के साथ सभी जरूरी दस्तावेज जमा किए थे, जिनकी रसीदें रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा दी गई थीं। इसके बावजूद 09 जुलाई को नामांकन जांच के अंतिम दिन उनका नामांकन दस्तावेज अधूरे बताकर रद्द कर दिया गया।

ग्रामीणों का आरोप है कि यह फैसला पूर्व नियोजित था और दस्तावेजों को जानबूझकर नामांकन पत्र से हटाया गया। साथ ही महिला प्रत्याशी के साथ रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा अभद्र व्यवहार भी किया गया। प्रदर्शनकारियों ने यह भी दावा किया कि इस पूरे प्रकरण में स्थानीय विधायक राम सिंह कैड़ा की भूमिका संदिग्ध है और यह सारा घटनाक्रम उनकी पत्नी को बडौन से निर्विरोध निर्वाचित कराने के लिए किया गया है। आपको बताएं की विधायक कैड़ा की पत्नी कमलेश कैड़ा पिछले 10 सालों से ओखलकांडा की ब्लॉक प्रमुख हैं।

हरीश पनेरु ने कहा कि जिला प्रशासन और निर्वाचन अधिकारी जनप्रतिनिधियों के दबाव में काम कर रहे हैं, जिससे चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक रिटर्निंग ऑफिसर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा।
इस पूरे मामले में एसडीएम धारी केएन गोस्वामी ने कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर को दस्तावेज अधूरे पाए जाने पर नामांकन निरस्त करने का अधिकार है। प्रत्याशी चाहे तो न्यायालय में अपील कर सकती हैं। वहीं, सिटी मजिस्ट्रेट गोपाल चौहान ने बताया कि प्रदर्शनकारियों से बातचीत की जा रही है और मामले के समाधान का प्रयास किया जा रहा है। यह मामला एक बार फिर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत चुनावों की पारदर्शिता, महिला उम्मीदवारों के साथ हो रहे व्यवहार और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।