Uttarakhand Crime - सगाई और शादी से पहले प्रेमिका ने किया बॉयफ्रेंड का क़त्ल, लिव-इन में थे दोनों, जानिए UCC क्या देगी सजा 
 

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Uttarakhand Crime - उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही एक युवती ने अपने ही प्रेमी की चाकू घोंपकर हत्या कर दी। दोनों की शादी अक्टूबर में तय थी, लेकिन उससे पहले ही यह रिश्ता खून से लथपथ खत्म हो गया। रायपुर थाना क्षेत्र में रहने वाले 27 वर्षीय अजय रावत, निवासी नेहरू कॉलोनी, पिछले एक साल से राधिका सिंह (निवासी खुड़बुड़ा) के साथ नेहरूग्राम में लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। परिजनों की सहमति न मिलने के चलते दोनों ने अलग रहने का फैसला लिया था। अजय बेरोजगार था, जबकि राधिका एक निजी कंपनी में अकाउंटेंट थी।

26 अप्रैल की शाम दोनों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ। पुलिस के अनुसार, अजय उस वक्त शराब के नशे में था। कहासुनी इतनी बढ़ गई कि राधिका ने सब्जी काटने वाले चाकू से अजय के सीने पर वार कर दिया। घायल अजय को पड़ोसियों की मदद से कोरोनेशन अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

परिवार को झटका, सगाई-शादी की तारीख तय थी - 
मृतक के पिता देवेंद्र पाल सिंह रावत ने बताया कि दोनों परिवारों ने आपसी सहमति से 7 जून को सगाई और 2 अक्टूबर को शादी की तारीख तय की थी। तैयारियां चल रही थीं, लेकिन उससे पहले ही यह खौफनाक वारदात हो गई। आरोपी राधिका सिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या (IPC धारा 304) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। रायपुर थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है। पूछताछ में राधिका ने हाथापाई के दौरान चाकू लगने की बात कही है। एफएसएल टीम और सीसीटीवी फुटेज की मदद से घटना की विस्तृत पड़ताल की जा रही है।


क्या UCC में मिलेगा न्याय?
उत्तराखंड में हाल ही में लागू हुई समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) के तहत लिव-इन संबंधों का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। हालांकि, इस तरह की आपराधिक घटनाओं पर भारतीय दंड संहिता (IPC) ही लागू होती है। कानून विशेषज्ञों के मुताबिक UCC केवल नागरिक मामलों तक सीमित है — जैसे विवाह, तलाक, भरण-पोषण, उत्तराधिकार, हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर IPC की धाराएं ही प्रभावी होती हैं।

IPC की प्रमुख धाराएं - 
धारा 302: अगर हत्या जानबूझकर की गई हो — आजीवन कारावास या मृत्युदंड संभव।

धारा 304: अगर हत्या गैर-इरादतन हो — तो 10 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लिव-इन संबंध रजिस्टर्ड था या नहीं, यह जांच का हिस्सा रहेगा, लेकिन सजा का निर्धारण सबूतों और घटना की परिस्थितियों के आधार पर ही होगा। देहरादून की यह वारदात एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि जब रिश्तों में भरोसा टूटता है, तो प्रेम कब और कैसे जानलेवा बन सकता है। कानून अपना काम करेगा, लेकिन इस तरह की घटनाएं समाज के सामने रिश्तों की नई जटिलताओं को उजागर कर रही हैं।




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