हल्द्वानी - रेरा के खिलाफ 19 अगस्त को टैक्टर लेकर सड़कों पर उतरेंगे किसान, जानिए क्या है पूरा माजरा 
 

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हल्द्वानी - इन दिनों हल्द्वानी शहर में रियल स्टेट रेगुलेशन ऑथॉरिटी (रेरा) (Real Estate Regulatory Authority) और किसानों के बीच बड़ा संघर्ष चल रहा है, दरअसल हल्द्वानी और गौलापार में प्राधिकरण और रेरा के नियमों को ताक में रखकर अवैध रूप से प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा कालोनियां काटी जा रही थी, जिस पर प्राधिकरण अब सख्त हो गया है, रेरा के नियम के मुताबिक ही अब नई कॉलोनियां नियमानुसार काटी जा सकती हैं। जिसके बाद से अब लगातार किसान और प्रॉपर्टी डीलर इन नियमों का विरोध कर रहे हैं। 


हल्द्वानी में प्रमुख राज्य आंदोलनकारी व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ललित जोशी ने प्रेस वार्ता करते हुए प्राधिकरण पर रेरा के आड पर छोटी जोत के किसानों का उत्पीड़न का आरोप लगाया है। अपनी खतौनी को दिखाते हुए प्रेस वार्ता में आए लोगों ने कहा कि शहर में किसी बड़े बिल्डर को लाने की साजिश की बू आ रही है। राज्य आंदोलनकारी व कांग्रेस नेता ललित जोशी ने कहा रेरा का वह स्वागत करते हैं लेकिन रेरा के नियमों की आड़ में छोटे किसानों को टारगेट किया जा रहा है जबकि प्राधिकरण को रेरा के नियमों को वर्गीकृत करना चाहिए, जिससे कि यह तय हो जाए की विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों वाले हल्द्वानी शहर में बेहतर तरीके से विकास हो सके।


ललित जोशी ने कहा कि जब छोटी जोत के किसान को कोई आर्थिक संकट आता है तो वह अपनी जमीन बेचकर किसी तरह अपनी मुसीबत को दूर करता है। ऐसे में रेरा के प्रावधान दिखाकर किसानों को उनकी जमीन बेचने के हक से वंचित किया जा रहा है जिसके लिए 19 अगस्त को किसानों द्वारा ट्रैक्टर रैली का भी आयोजन किया जा रहा है। वही प्राधिकरण से एक के बाद एक सवाल पूछते हुए ललित जोशी ने कहा कि अगर प्रॉपर्टी डीलिंग को प्रशासन गलत नजर से देखता है तो यह बताएं कि ऐसा कौन सा विधायक और मंत्री नहीं है जो प्रॉपर्टी डीलिंग में संलिप्त नहीं रहता। इसके अलावा प्राधिकरण पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि 2017 से रेरा एक्ट लागू है। तब से लेकर आज तक क्यों नहीं कार्यवाही हुई और यदि कोई किसान गलत है। तो उसमें रजिस्टार की भूमिका, तहसील, उप जिला अधिकारी और नक्शा पास करने वाले सिटी मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी भी होनी चाहिए, उन्होंने कहा केवल किसानों को टारगेट कर उनका उत्पीड़न किया जाना गलत है। ललित जोशी ने कहा कि क्या पिछले 6 साल से प्राधिकरण ने सारे काम सही किए हैं यदि नहीं तो उनकी भी जांच होनी चाहिए केवल किसान को टारगेट कर अधिकारी अपने आप को बचाना चाहते हैं। ललित जोशी ने कहा कि वह शहर के समग्र विकास के लिए रेरा का स्वागत करते हैं लेकिन रेरा एक्ट के वर्गीकरण में यह बदलाव किया जाना चाहिए।


डीएम ने कहा किसानों को जमीन बेचने पर रोक नहीं - 
जिलाधिकारी वंदना ने कहा अब रेरा (Real Estate Regulatory Authority) के एक्ट का अनुपालन कराने और केवल शपथ पत्र पर निर्भर न रहकर तहसील से रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद रजिस्ट्री किए जाने के निर्देश दिए गए हैं जबकि इस मामले में पूरी तरह भ्रांतियां फैलाई जा रही है। किसानों को खेती की जमीन बेचने पर किसी प्रकार की ना तो रोक है नहीं कोई आदेश दिया गया है। खेती किसानी के लिए कोई भी कितनी भी जमीन खरीद सकता है। जिलाधिकारी ने कहा गौलापार और रामनगर की कुछ कालोनियां जिनके खेत संख्या सहित जांच के निर्देश दिए गए थे जिसमें बार-बार रेरा के उल्लंघन होना पाया गया था। जांच के निर्देश दिए हैं और पूरे जिले में कहीं भी रजिस्ट्री पर रोक नहीं लगी गई है अवैध कॉलोनी के खिलाफ प्रशासन कार्यवाही कर रहा है और जांच में भी जिन स्थानों पर गलत शपथ पत्र पाए होंगे उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी।  जिला अधिकारी का कहना है कि रेरा का अनुपालन करते हुए प्रॉपर्टी डीलर अगर कालोनिया काटते हैं तो वह बेहतर होगा। 


रेरा के नियमों से क्या फायदा होगा - 
रेरा खरीददारों के हिट का पूरा ध्यान रखता है, यह एक्ट 1 मई 2017 को भारत में अस्तित्व में आया रेरा के नियमों के मुताबिक अगर आप अपने लिए घर या किसी जगह पर जमीन खरीदते हैं, तो आपको तय समय में बिल्डर्स को आपको प्रॉपर्टी डिलीवर करनी होगी, इसके साथ ही आपको बुकिंग के समय केवल 10% ही देना होता है, जो पहले मनमाना लिया जाता था, इसके साथ ही कई अन्य फायदे खरीददार और बेचने वाले दोनों को फायदा होने वाला है।

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