देहरादून - हजारों एकड़ वन भूमि में कब्जे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सरकार से कहा आप मूकदर्शक बने रहे, दिए यह निर्देश
नई दिल्ली/देहरादून - सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में वन भूमि पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि हजारों एकड़ जंगल की जमीन पर कब्ज़ा होता रहा और राज्य सरकार व उसके अधिकारी “मूक दर्शक” बने रहे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्त निर्देश जारी किए हैं।
राज्य निवासी अनीता कंडवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की वेकेशन बेंच ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक को एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कमेटी से वन भूमि पर हुए अतिक्रमण की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
अदालत ने कहा कि यह बेहद चौंकाने वाला है कि अधिकारियों ने अपनी आंखों के सामने जंगल की जमीन पर कब्ज़ा होते देखा, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसी कारण कोर्ट ने इस मामले में स्वतः हस्तक्षेप किया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अतिक्रमित भूमि पर कोई नया निर्माण नहीं होगा और तीसरे पक्ष के अधिकार नहीं बनाए जाएंगे। साथ ही कोर्ट ने कहा कि रिहायशी मकानों को छोड़कर जो भी खाली वन भूमि है, उस पर वन विभाग तत्काल कब्ज़ा ले।
मामले की अगली सुनवाई कोर्ट की छुट्टियों के बाद सोमवार को तय की गई है। यह मामला उत्तराखंड में वन संरक्षण और प्रशासनिक लापरवाही से जुड़े एक बड़े मुद्दे की ओर इशारा करता है।
