देहरादून - उत्तराखंड में RTE उल्लंघन पर सख्ती, शिक्षा मंत्री ने दी चेतावनी, नियम तोड़ने पर ऐसे निजी स्कूलों की NOC होगी रद्द

देहरादून - उत्तराखंड सरकार अब शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के पालन को लेकर कोई कोताही बर्दाश्त नहीं करेगी। राज्य के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने साफ कर दिया है कि जो निजी स्कूल RTE के तहत नामांकन नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। नियम तोड़ने वालों की मान्यता रद्द करने तक की तैयारी है।

शिक्षा मंत्री ने अपने सरकारी आवास पर विभागीय अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में निर्देश दिए गए कि प्रदेश के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में आरटीई के तहत हुए नामांकन की विस्तृत रिपोर्ट महानिदेशालय को सौंपें। साथ ही, सभी सरकारी और निजी स्कूलों का औचक निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जाए कि वे आरटीई के प्रावधानों पर खरे उतर रहे हैं या नहीं।

RTE नियम न मानने वालों की NOC होगी रद्द -
डॉ. धन सिंह रावत ने दो टूक शब्दों में कहा कि जिन स्कूलों में आरटीई के तहत नामांकन नहीं हो रहा है, उन्हें पहले नोटिस जारी किया जाएगा और फिर उनकी अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
क्या है RTE कानून?
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 के तहत देश के सभी निजी स्कूलों को अपनी कुल सीटों का 25 प्रतिशत हिस्सा आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्गों के बच्चों के लिए आरक्षित करना होता है। यह कानून 6 से 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है।
क्यों है ये कदम अहम?
शिक्षा विभाग की इस सख्ती के बाद प्रदेश भर के निजी स्कूलों में हलचल तेज हो गई है। वर्षों से आरटीई को लेकर चली आ रही अनदेखी पर अब सरकार की नजर है। माना जा रहा है कि इस अभियान से वंचित तबके के हजारों बच्चों को बेहतर स्कूलों में पढ़ने का अवसर मिल सकेगा।