देहरादून - फर्जी डिग्रियां बेचकर जुटाया 90 करोड़ का काला साम्राज्य, इमलाख खोलना चाहता था यूनिवर्सिटी 
 

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BAMS Fake Degrees - बीएएमएस की जाली डिग्रियां बेचने के प्रकरण में गिरोह का सरगना मुजफ्फरनगर का हिस्ट्रीशीटर इमलाख करीब 90 करोड़ की संपत्ति का मालिक है। यह काली कमाई उसने जाली डिग्रियां बेचकर की। अपनी इस काली कमाई से वह अगले साल (वर्ष 2024) विश्वविद्यालय खोलने की तैयारी में था, लेकिन इससे पहले ही वह गिरफ्तार हो गया। जिस कारण उसके सारे अरमान धरे के धरे रहे गए। आरोपित इमलाख ने यह जानकारी रिमांड के दौरान पुलिस को दी है।


कार्यालय में रखे सारे दस्तावेज जलाना चाहता था -
आरोपित ने पुलिस को यह भी बताया कि जब गिरोह का पर्दाफाश हुआ तो वह अपने मुजफ्फरनगर स्थित बाबा ग्रुप आफ कालेज कार्यालय में रखे सारे दस्तावेज जलाना चाहता था, लेकिन पुलिस उसके पीछे पड़ गई थी। जिसके कारण उसे यह करने का मौका नहीं मिला। रिमांड के दौरान दो दिन तक चली पूछताछ में इमलाख ने कई अहम राज उगले हैं। इसके आधार पर एसआइटी ने जांच आगे बढ़ाई है। जल्द ही अन्य झोलाछापों और भारतीय चिकित्सा परिषद के कुछ अन्य कर्मचारियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। पूछताछ करने के बाद एसआइटी ने आरोपित को जेल भेज दिया है। दूसरी ओर एसआइटी आरोपित इमलाख के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं में बढ़ोतरी करने जा रही है। इसके बाद विवेचना राजपत्रित अधिकारी को ट्रांसफर हो सकती है।


प्रारंभिक जांच में आयुर्वेदिक चिकित्सक बनकर क्लीनिक चला रहे 36 आरोपितों के संबंध में भारतीय चिकित्सा परिषद से सूचना मांगी गई तो ज्यादातर की डिग्री राजीव गांधी हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी कर्नाटक की पाई गई, जो कि पड़ताल में जाली निकलीं। ये जाली डिग्रियां बाबा ग्रुप आफ कालेज मुजफ्फरनगर के स्वामी इमरान और इमलाख ने तैयार कराई थीं। इस मामले में अब तक गिरोह के सरगना इमलाख व उसके भाई इमरान समेत 11 आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है।


11 जनवरी को एसटीएफ ने किया था गिरोह का पर्दाफाश - 
उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बीएएमएस की जाली डिग्री बनवाकर दून में क्लीनिक चला रहे तीन आरोपितों को 11 जनवरी को गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया कि झोलाछापों ने मुजफ्फरनगर स्थित बाबा ग्रुप आफ कालेज स्वामी दो भाइयों इमरान व इमलाख से छह से आठ लाख रुपये में जाली डिग्रियां तैयार कराई और भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में पंजीकरण करा लिया। इसके बाद दून के प्रेमनगर और रायपुर में क्लीनिक खोल दिए।